भोपाल। मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम में चल रहे अंडरग्राउंड सीवरेज लाइन प्रोजेक्ट के दौरान हुई मजदूर की दर्दनाक मौत के 17 महीने बाद आखिरकार पुलिस ने कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। भुवन इंफ्रा कंपनी पर लगे आरोप बेहद गंभीर हैं, मजदूर को बिना किसी सुरक्षा इंतजाम के गहरे गड्ढे में उतारना और हादसे के बाद जवाबदेही से बचते रहना।
अब जाकर कोतवाली पुलिस ने कंपनी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रवि प्रसाद, मैनेजर अरुण शर्मा और सुपरवाइजर मुन्ना तिवारी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 304A (गैर इरादतन हत्या) और धारा 34 BNS (साझा आपराधिक लापरवाही) के तहत केस दर्ज किया है।
यह घटना 28 फरवरी 2024 की है। भोपाल निवासी 28 वर्षीय अकील खान नर्मदापुरम में कंपनी द्वारा नंद विहार कॉलोनी में डाली जा रही सीवरेज लाइन के काम में मजदूर के तौर पर लगा हुआ था। उस दिन अकील को करीब 12 फीट गहरे गड्ढे में उतारा गया था, जहां उसे मिट्टी समतल करने का कार्य सौंपा गया।
काम के दौरान अचानक गड्ढे की मिट्टी धंस गई और अकील उसके नीचे दब गया। साथियों ने रस्सी फेंककर उसे निकालने की कोशिश की, लेकिन उसका हाथ फिसल गया। इस घटना के बाद दो घंटे तक होमगार्ड और एसडीआरएफ की टीमों ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया, लेकिन अकील की जान नहीं बचाई जा सकी।
प्रशासन ने हादसे के बाद जांच के आदेश दिए थे। जांच में स्पष्ट हुआ कि, कंपनी ने सेफ्टी बेल्ट, हेलमेट या कोई भी सुरक्षा उपकरण मजदूर को नहीं दिए थे। खुदाई स्थल पर कोई सुरक्षा घेरा या गड्ढे को सपोर्ट देने की व्यवस्था नहीं थी। नियमित निगरानी और सुपरविजन की भी भारी कमी थी। यह भी सामने आया कि इस पूरे काम की मॉनिटरिंग एजेंसियों ने भी अनदेखी की, और न ही ठेकेदार ने सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन किया।
कोतवाली पुलिस के एसआई अनुज बघेल ने मामले की विस्तृत जांच के बाद शुक्रवार रात को एफआईआर दर्ज की। भुवन इंफ्रा के तीन अधिकारियों, रवि प्रसाद (प्रोजेक्ट डायरेक्टर), अरुण शर्मा (मैनेजर) और मुन्ना तिवारी (सुपरवाइजर) को गैर इरादतन हत्या (धारा 304A) और सामूहिक आपराधिक कृत्य (धारा 34 BNS) में आरोपी बनाया गया है।
हैरत की बात यह है कि 30 जून 2025 को हर्षित नगर में भी ऐसा ही हादसा हुआ था। सीवरेज लाइन की खुदाई के दौरान मिट्टी धंसने से मजदूर पप्पू गड्ढे में दब गया था। गनीमत रही कि जेसीबी और स्थानीय लोगों की मदद से उसे सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।
मजदूरों की सुरक्षा को लेकर भारत में कई कानून हैं, जिनमें सबसे अहम है: बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स (रेगुलेशन ऑफ एम्प्लॉयमेंट एंड कंडीशंस ऑफ सर्विस) एक्ट, 1996
इस कानून के अंतर्गत निर्माण स्थलों पर मजदूरों की सुरक्षा, स्वास्थ्य, प्रशिक्षण और बीमा की व्यवस्था अनिवार्य है। किसी भी गड्ढे, टनल या ट्रेंच में काम करने से पहले सुरक्षा उपाय आवश्यक हैं। हेलमेट, सेफ्टी बेल्ट, सेफ्टी नेट आदि देना अनिवार्य है। नियमित प्रशिक्षण और सुपरविजन का प्रावधान है। इस कानून की धारा 39 के तहत यदि ठेकेदार इन नियमों का उल्लंघन करता है, तो उस पर जुर्माना और जेल दोनों हो सकते हैं।
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