मणिपुर सीएम के पैतृक आवास पर क्यों हुआ हमला?

मणिपुर सीएम एन बिरेन सिंह के पैतृक आवास के बाहर जमा हुई भीड़
मणिपुर सीएम एन बिरेन सिंह के पैतृक आवास के बाहर जमा हुई भीड़

इम्फाल। मणिपुर में श्रीलंका जैसी स्थिति पैदा हो गई। जातीय हिंसा के बीच लोगों को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इंटरनेट बहाल होने के बाद सोमवार जुलाई से लापता दो छात्रों के शवों की तस्वीर इंटरनेट चालू होते ही आग की तरह फैल गई जिससे घाटी में तनाव बढ़ गया। आक्रोशित भीड़ ने मुख्यमंत्री के पैतृक आवास पर हमला कर दिया। हालांकि इस दौरान सीएम अथवा उनके परिवार का कोई सदस्य घर में मौजूद नहीं था। इंफाल घाटी में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के खाली पड़े पैतृक आवास पर हमले की कोशिश समेत हिंसक झड़पों के एक दिन बाद शुक्रवार को स्थिति शांत लेकिन तनावपूर्ण है। अग्रिम आदेशों तक इंटरनेट पुनः बन्द कर दिया गया है।

जानिए क्या है पूरा मामला?

मणिपुर की राजधानी इंफाल में जुलाई से लापता एक लड़के और लड़की के शव की तस्वीरें सोमवार को सोशल मीडिया पर आने के एक दिन बाद, मंगलवार को फिर से हिंसा भड़क गयी। मणिपुर के घाटी इलाकों में बढ़ते तनाव के बीच, लोगों के एक समूह ने गुरुवार रात इंफाल पूर्व के हेइंगंग में मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के निजी आवास पर धावा बोलने की कोशिश की। सुरक्षा कर्मियों द्वारा जवाबी कार्रवाई के बाद भीड़ तितर-बितर हुई। एक सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि भीड़ की संख्या शुरू में "लगभग 500-600" थी। उन्होंने कहा कि "आरएएफ कर्मी घटनास्थल पर मौजूद थे और जवाबी कार्रवाई के लिए सुरक्षा बल भी तैनात थे। मुख्यमंत्री हालांकि पैतृक आवास पर नहीं रहते हैं और वह अपने आधिकारिक आवास में रहते हैं।"

एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘इंफाल के हिंगांग इलाके में मुख्यमंत्री के पैतृक आवास पर हमला करने की कोशिश की गई। सुरक्षा बलों ने भीड़ को आवास से लगभग 100 मीटर पहले ही रोक दिया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस आवास में कोई नहीं रहता है, हालांकि यह कड़ी सुरक्षा में है।’

सूत्रों ने बताया कि इंफाल ईस्ट के हट्टा मिनुथोंग में, मारे गए दो छात्रों के लिए न्याय की मांग करते हुए निकाली जा रही एक रैली में उस समय हिंसा भड़क गयी जब सुरक्षाकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को आगे बढ़ने से रोक दिया। घटना में कई लोग घायल हुए और उन्हें एक स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। अधिकारियों ने बताया कि बृहस्पतिवार देर रात को भीड़ ने इंफाल ईस्ट के चेकोन इलाके में एक मकान में आग लगा दी। बाद में दमकलकर्मियों ने आग पर काबू पाया।

उन्होंने बताया कि इंफाल ईस्ट जिले के वांगखेई, खुरई और कोंग्बा में प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाबलों की आवाजाही बाधित करने के लिए टायर जलाए और लोहे की छड़ों तथा पत्थरों से सड़कें अवरुद्ध कर दीं। एक आधिकारिक आदेश के अनुसार, मणिपुर सरकार ने पिछले दो दिन में यहां सुरक्षा बलों के प्रदर्शनकारियों पर, मुख्य रूप से छात्रों पर कथित रूप से अत्यधिक बल प्रयोग की शिकायतों की जांच के लिए बृहस्पतिवार को एक समिति का गठन किया। छात्रों से शांति बनाए रखने और सामान्य स्थिति बहाल करने में कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ सहयोग करने की अपील करते हुए पुलिस ने कहा, ''कोई भी अगर मौजूदा स्थिति का फायदा उठाते हुए पाया गया तो पुलिस उससे सख्ती से निपटेगी।''

मणिपुर में दो युवकों की मौत को लेकर छात्रों ने मंगलवार और बुधवार को हिंसक विरोध प्रदर्शन किया था। भीड़ ने बृहस्पतिवार की तड़के इंफाल पश्चिम जिले में उपायुक्त कार्यालय में भी तोड़फोड़ की थी और चार पहिया दो वाहनों में आग लगा दी थी। राज्य के मैतेई-प्रभुत्व वाले घाटी क्षेत्र में हिंसा चरम पर है। मंगलवार से तीव्र, व्यापक विरोध प्रदर्शन देखा गया है। विरोध प्रदर्शन दो तस्वीरों के वायरल होने के बाद और बढ़ गया है। तस्वीरें दो मैतेई बच्चों की हैं, जो 6 जुलाई से लापता हो गए थे और उन्हें आतंकवादियों ने मार डाला। मृतकों की पहचान हिजाम लिनथोइंगामी (17) और फिजाम हेमजीत (20) के रूप में हुई है। बुधवार को भी प्रदर्शनकारी छात्रों ने सीएम बंगले और राजभवन की ओर मार्च करने की कोशिश की। सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए भारी आंसू गैस के गोले दागे, लेकिन छात्रों के प्रतिनिधियों को राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मिलने की अनुमति दी गई। उस दोपहर बाद, एक भीड़ ने थौबल जिले में भाजपा खोंगजोम मंडल कार्यालय को आग लगा दी।

प्राधिकारियों ने इंफाल ईस्ट और इंफाल वेस्ट जिलों में सुबह पांच बजे से रात 11 बजे तक कर्फ्यू में ढील दी है ताकि लोग आवश्यक सामान तथा दवाएं आदि खरीद सकें। एक आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि यह छूट ''किसी भी गैरकानूनी सभा या बड़े पैमाने पर लोगों की आवाजाही या धरना प्रदर्शन'' पर लागू नहीं होगी।

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