छठ पर्व पर बिहार जाने की ऐसी होड़, भारतीय रेलवे दिखा मजबूर!

दूसरे राज्यों से आने वाली दर्जनों ट्रेन लखनऊ से होकर गुजरती हैं, लेकिन छठ पर्व में यात्रियों की संख्या इतनी अधिक हो जाती है कि भारतीय रेलवे के स्लीपर सहित थर्ड एसी कोच भी जनरल जैसे ही नजर आते हैं।
ट्रेन के अंदर इतने यात्री हैं कि खड़े टिकट जांच अधिकारी के घुसने भर की भी जगह नहीं है।
ट्रेन के अंदर इतने यात्री हैं कि खड़े टिकट जांच अधिकारी के घुसने भर की भी जगह नहीं है। फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक
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उत्तर प्रदेश। बिहार राज्य से अब तक दो दिग्गज नेता देश के रेलवे की कमान संभाल चुके हैं। बावजूद इसके यूपी राज्य को बिहार तक सीधी जाने वाली ट्रेन आज तक नहीं मिल सकी है। इसका असर खासतौर पर छठ पर्व पर देखने को मिलता है। सूबे की राजधानी लखनऊ में एक बड़ी संख्या में बिहार राज्य के लोग रहते हैं। इनमें आम जनता ही नहीं बल्कि आईएएस और आईपीएस सहित नेता और मंत्री भी हैं।

हालांकि, अन्य राज्यों से आने वाली दर्जनों ट्रेन लखनऊ से होकर गुजरती हैं। लेकिन छठ पर्व में यात्रियों की संख्या इतनी अधिक हो जाती है कि भारतीय रेलवे के स्लीपर सहित थर्ड एसी कोच भी जनरल जैसे ही नजर आते हैं। इस सम्बंध में रेलवे के उच्च अधिकारियों का कहना है कि दो राज्यों की राजधानी के बीच सीधे ट्रेन चलाने की प्रक्रिया लंबी है। इसके लिये पहले जिले के मंडल से एक पत्र रेलवे रीजन के जनरल मैनेजर को भेजा जाता है। रेलवे मंडल से यह पत्र रेलवे बोर्ड को भेजा जाता है। रेलवे बोर्ड से यह रेलवे मंत्रालय जाता है। जिसके बाद ही सारे निर्णय लिये जाते हैं। इतनी लंबी प्रक्रिया के लिये कवायद करना मुश्किल है।

बिहार जाने वाले यात्रियों की सबसे ज्यादा संख्या
बिहार जाने वाले यात्रियों की सबसे ज्यादा संख्या फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक

द मूकनायक की टीम यूपी की राजधानी लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पहुंची थी। रेलवे प्लेटफॉर्म पर बिहार जाने वाले यात्री स्टेशन पर अपना इंतजार कर रहे थे। बिहार के लिये जो भी ट्रेन आ रही थी वह सब खचाखच भरी हुई थी। आलम यह था कि रेलवे कोच में पैर रखने की जगह तक नहीं बची थी। छठ पर्व होने के कारण अलग-अलग राज्यों में काम पर रहे प्रवासी मजदूर छठ पर्व के कारण अपने घरों को लौट रहे थे। कई लोग अपने परिवार के साथ थे। रेल के कोच में बड़ी संख्या में भीड़ होने के कारण दम घोटने वाला माहौल था। कई लोग रेलवे के गेट पर मौजूद पावदान पर सफर करते नजर आये। सभी लोग बस किसी तरह बिहार पहुँच जाना चाह रहे थे।

लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पर ट्रेन में चढ़ते यात्री
लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पर ट्रेन में चढ़ते यात्रीफोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक

श्रमजीवी एक्सप्रेस में आवश्यकता से अधिक नजर आई भीड़

नई दिल्ली से राजगीर चलकर जाने वाली ट्रेन लखनऊ से होकर पटना जाती है। इस ट्रेन में 1 फर्स्ट एसी, टू टायर एसी के 2 कोच, थ्री टायर एसी के 6 कोच, स्लीपर के 6 कोच, 4 जनरल, 1 पेंट्री कार,1 दिव्यांग और महिला कोच सहित 1 सामान वाला कोच मिलाकर कुल 22 कोच लगे होते हैं। छठ पर्व के दौरान फर्स्ट एसी और सेकंड एसी को छोड़कर सभी कोचों में जनरल वाली स्थिति थी। इन कोचों में कुल 72 से 85 रिजर्व सीट होती हैं। इसके बावजूद लोग आवश्यकता से अधिक नजर आये।

भारी भीड़ के बीच एक बर्थ में बैठे बच्चे
भारी भीड़ के बीच एक बर्थ में बैठे बच्चेफोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक

बिना रेलवे टिकट सफर करते नजर आये लोग

द मूकनायक की टीम चारबाग स्टेशन पर थी। इस दौरान फर्स्ट और सेकेंड एसी को छोड़कर लगभग सभी कोच में दोगुनी संख्या में लोग भरे हुए थे। इन कोचों में टीटीई का घुस पाना भी मुश्किल था। ऐसे में टिकट चेक करना दूर की बात थी। त्यौहार का समय होने के कारण अधिकारियों पर भी दबाव था। द मूकनायक ने कई ऐसे यात्रियों को भी कैमरे में कैद किया जिनके पास टिकट तक मौजूद नहीं थे और वह स्लीपर क्लास में सफर करते नजर आये। ऐसे में रेलवे को भी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा। रेलवे विभाग देख रहे वरिष्ठ पत्रकारों और जानकारों की माने तो ऐसे में यदि अतिरिक्त ट्रेन चला दी जाये तो रेलवे का मुनाफा इस दौरान कई गुना बढ़ जायेगा।

बिहार ने दिये दो रेल मंत्री, नहीं मिल सकी ट्रेन

बिहार सरकार में मौजूदा समय में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2004 में केंद्रीय रेल मंत्री रह चुके हैं। 2004 के आम चुनावों में लालू की राजद ने बिहार में 26 लोकसभा सीटें जीतकर अन्य राज्य-आधारित पार्टियों से बेहतर प्रदर्शन किया था। तब नीतीश कुमार को केंद्रीय रेल मंत्री के पद से सम्मानित किया गया था, लेकिन उनके द्वारा की गई अत्यंत पिछड़ी जातियों की बढ़ती आकांक्षाओं के परिणामस्वरूप जद (यू) और भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 2005 के बिहार विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी को हरा दिया था। वहीं बिहार राज्य के राजनेता व राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू यादव 2004 से 2009 तक केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार में केंद्रीय रेल मन्त्री का कार्यभार सौंपा गया था। कहा जाता है लालू यादव के केंद्रीय रेलमंत्री रहने के दौरान रेलवे को बड़ा मुनाफा भी हुआ था। इसके बावजूद लखनऊ से बनकर पटना जाने वाली ट्रेन आज तक न मिल सकी।

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