शौर्यचक्र विजेता शहीद की मां से जिला प्रशासन ने कहा-“साबित करो, आप यूपी की निवासी है!“

शौर्यचक्र विजेता शहीद की मां से जिला प्रशासन ने कहा-“साबित करो, आप यूपी की निवासी है!“

शहीद विवेक सक्सेना की मां ने कहा कि अभी तक यूपी सरकार ने मेरे बेटे को कोई सम्मान नहीं दिया है। हम लोग शौर्यचक्र और पुलिस मेडल वापस करना चाहते हैं, क्योंकि उन मेडल को देखकर मुझे बेटे की याद आती है।

लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ में पले-बढ़े बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) सहायक कमांडेंट विवेक सक्सेना ने देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। मरणोपरांत उनको शौर्यचक्र से सम्मानित किया गया, लेकिन राज्य सरकार के लिए यह शहादत मायने नहीं रखती है। आलम यह है कि वे शहीद व उनके परिवार को यूपी का मूल निवासी ही नहीं मानते है। लखनऊ जिला प्रशासन का कहना है कि शहीद का परिवार लखनऊ का निवासी ही नहीं है। इस कारण ही शहीद के परिजनों को 19 साल बाद भी राज्य सरकार से मिलने वाली सरकारी सहायता अब तक नहीं मिल पाई है।

जानकारी के अनुसार 8 जनवरी 2003 में सक्सेना बीएसएफ की एक कंपनी में मणिपुर में तैनात थे। इस दौरान ऑपरेशन ज्वाला शुरू किया गया था। इस अभियान के दौरान विवेक विद्रोहियों से टक्कर लेते शहीद हो गए थे। अदम्य साहस व बहादुरी के लिए भारत सरकार ने उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित करने की घोषणा की। शहीद का परिवार उस वक्त लखनऊ में रहता था, इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार ने एक्सग्रेसिया राशि देने की बात कही थी, लेकिन आज तक वह राशि नहीं दी गई। मणिपुर सरकार को जब एक्सग्रेसिया राशि के लिए पत्र लिखा गया तो जवाब मिला, हमारे पास संसाधन नहीं हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि इस तरह के मामलों में राज्यों द्वारा जारी की गई राशि का रिम्बर्समेंट नहीं होगा।

कॉन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स वेलफेयर एसोसिएशन का कहना है कि इस बाबत दिसंबर 2020 में राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी गई थी। इसका भी कोई फायदा नहीं हुआ। वहां से मिले जवाब में लिखा था कि बीएसएफ द्वारा जो राशि या लाभ दिए जाने थे, वे दिए जा चुके हैं। शौर्य चक्र विजेता शहीद विवेक सक्सेना की विधवा मां सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट कर थक गई हैं। अनेकों बार सरकार को ज्ञापन दिया गया है।

कलाम ने दिया था शौर्य चक्र

तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने शहीद की मां व पिता रामस्वरूप सक्सेना फ्लाइट लेफ्टिनेंट को शौर्य चक्र प्रदान किया था। शहीद का परिवार 1967 से लखनऊ में स्थाई तौर पर रह रहा है। विवेक सक्सेना का जन्म और शिक्षा-दीक्षा, लखनऊ में हुई थी। यहां तक की शहीद का अंतिम संस्कार भी लखनऊ में हुआ था।

परिजनों ने खुद लगवाई प्रतिमा

शहीद की प्रतिमा भी स्वयं परिवार द्वारा अपने खर्चे पर बनवाई गई है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रतिमा के लिए कोई मदद नहीं दी गई। शहीद परिवार फाइल लेकर मंत्रालयों और कार्यालयों के चक्कर लगा चुका है।

प्रिवार के सदस्यों ने बताया -"जिला प्रशासन द्वारा मेरी मां से स्थायी निवास पत्र मांगा जाता है, जबकि विवेक की नौकरी और पढ़ाई लखनऊ के घर से हुई है। तहसीलदारों का कहना है कि हम सब उत्तर प्रदेश के निवासी ही नहीं है।"

पिता की कचहरी का चक्कर लगाकर गई जान

2003 में बेटे के शहीद होने के बाद से ही माता-पिता तहसील के चक्कर लगा रहे थे। सम्मान राशि के नहीं मिलने व सरकारी तंत्र की बेरुखी के चलते पिता फ्लाइट लेफ्टिनेंट रामस्वरूप सक्सेना का भी स्वर्गवास हो गया। उन्होंने 1965 और 1971 की लड़ाइयों में भाग लिया था।

विवेक की मां कहती है -"सरकार ने परिवार के साथ अच्छा नहीं किया। हम शौर्य चक्र का क्या करें। हमारे बेटे ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था। यूपी सरकार ने बेटे की शहादत का मान नहीं रखा। मुझे मेडल देखकर बेटे की याद आती है। मैं मेडल लौटाना चाहती हूं।"

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

Related Stories

No stories found.
The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com