झारखंडः सोरेन सरकार का फैसला, 1932 का खतियान अहम, ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण, एससी/एसटी का भी आरक्षण बढ़ा

झारखंडः सोरेन सरकार का फैसला, 1932 का खतियान अहम, ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण, एससी/एसटी का भी आरक्षण बढ़ा

लागू होगा 1932 का खतियान राज्य में रिजर्वेशन बढ़कर 77 प्रतिशत हुआ

नई दिल्ली। झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार वर्ष 1932 के खतियान के अनुसार ही प्रदेश के ओबीसी, एससी व एसटी समुदाय के लोगों को बढ़े आरक्षण का लाभ देगी। राज्य सरकार ने ओबीसी के 27 आरक्षण पर मुहर लगा दी। इसके तहत जहां खतियान पठनीय नहीं होगा। वहां ग्राम सभा को खतियानी तय करने का अधिकार दिया गया है। अब इस विधेयक सदन से पारित कर भारत सरकार को नौंवी अनुसूची शामिल करने का आग्रह किया जाएगा।

झारखंड कैबिनेट ने गत बुधवार को बड़ा फैसला लेते हुए ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी करने को मंजूरी दी है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि आज सरकार ने बड़े पैमाने पर कई ऐतिहासिक निर्णय लिए है। सरकार ने निर्णय लिया है कि राज्य में 1932 का खतियान लागू हो और ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण मिले और कर्मचारियों को उनका अधिकार मिले।

झारखंड कैबिनेट के बड़े फैसले

झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने कैबिनेट की बैठक में आरक्षण और डोमिसाइल पॉलिसी पर बड़े फैसले लिए हैं। राज्य में पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के साथ-साथ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को मिलने वाले आरक्षण में वृद्धि का प्रस्ताव पारित किया गया है। स्वीकृत प्रस्ताव के अनुसार पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को मिलने वाले आरक्षण को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किया जाएगा।

इसी तरह अनुसूचित जाति (एससी) को मिलने वाला आरक्षण 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति (एसटी) का आरक्षण 26 से बढ़ाकर 28 प्रतिशत किया जाएगा। इसके अलावा अत्यंत पिछड़ा वर्ग (इडब्ल्यूएस) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है। इस तरह कुल मिलाकर राज्य में अब आरक्षण का प्रतिशत 50 से बढ़कर 77 हो जाएगा।

1932 खातियान वाला ही असल झारखंडी

कैबिनेट ने झारखंड का डोमिसाइल (स्थानीय निवासी) होने के लिए नया मापदंड तय किया है। नई पॉलिसी के अनुसार जिन व्यक्तियों या जिनके पूर्वजों के नाम 1932 में राज्य में हुए भूमि सर्वे के कागजात (खतियान) में दर्ज होंगे, उन्हें ही झारखंड राज्य का डोमिसाइल यानी स्थानीय निवासी माना जाएगा। ऐसे लोग जिनके पूर्वज 1932 या उसके पहले से झारखंड में रह रहे हैं, लेकिन जमीन नहीं होने के कारण जिनके नाम 1932 के सर्वे कागजात (खतियान) में दर्ज नहीं होंगे, उन्हें ग्राम सभाओं की पहचान के आधार पर डोमिसाइल माना जाएगा. आरक्षण का लाभ उन्हें ही मिलेगा, जो झारखंड के डोमिसाइल होंगे।

स्थानीय मीडिया के अनुसार कैबिनेट सचिव वंदना डाडेल ने बताया कि कैबिनेट में पारित प्रस्ताव के अनुसार आरक्षण बढ़ाने और डोमिसाइल की पॉलिसी लागू करने के लिए राज्य सरकार विधानसभा में विधेयक पारित करायेगी। इसके बाद इन्हें संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार को भी भेजा जाएगा गौरतलब है कि 9वीं अनुसूची केंद्र और राज्य के कानूनों की ऐसी सूची होती है, जिन्हें न्यायालय के समक्ष चुनौती नहीं दिया जा सकता।

सोरेन सरकार की स्थिति मजबूत

द मूकनायक को झारखंड के स्थानीय पत्रकार आनंद दत्ता ने बताया कि झारखंड कैबिनेट के इन दोनों फैसलों को राज्य की मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों के बीच बेहद अहम माना जा रहा है। झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद तीनों सत्ताधारी पार्टियों ने अपने चुनावी घोषणापत्र में भी पिछड़ों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण का वादा किया था। इसी तरह 1932 के खतियान के आधार पर डोमिसाइल का मुद्दा झारखंड अलग राज्य बनने के साथ ही उठ रहा था। यह निर्णय लेकर राज्य की सोरेन सरकार ने अपनी स्थिति मजबूत कर ली है।

लंबे अरसे से हो रही थी मांग

झारखंड मुक्ति मोर्चा के कई विधायक और राज्य के कई संगठन इसकी मांग लंबे अरसे से उठा रहे थे। वर्ष 2003 में झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व वाली सरकार ने भी 1932 के खतियान पर आधारित डोमिसाइल पॉलिसी का फैसला लिया था, लेकिन हाई कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था।

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