सामाजिक न्याय के योद्धा शरद यादव नहीं रहे, अंतिम संस्कार कल

मंडल मसीहा के नाम से विख्यात समाजवादी खेमे के दिग्गज नेता शरद यादव का कल देर रात गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में निधन हो गया।
सामाजिक न्याय के योद्धा शरद यादव नहीं रहे, अंतिम संस्कार कल

मंडल मसीहा के नाम से विख्यात समाजवादी खेमे के दिग्गज नेता शरद यादव का कल देर रात गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में निधन हो गया। 75 वर्षीय शरद यादव के निधन की सूचना उनकी बेटी सुभाषिनी यादव ने फेसबुक पर एक पोस्ट के माध्यम से सार्वजनिक किया, उनके निधन की खबर सुनकर राजनीतिक गलियारों एवं उनके समर्थकों के बीच शोक की लहर दौड़ गई। शरद यादव के साथ मंडल आंदोलन में अपनी भूमिका निभाने वाले सिंगापुर में इलाजरत बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने निधन के तुरंत बाद अस्पताल से ही एक वीडियो संदेश जारी कर दुख जताया, लालू प्रसाद ने उन्हें अपने बड़े भाई समान बताते हुए सामाजिक न्याय के प्रणेता करार दिया।

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत राजनीति के तमाम बड़ी हस्तियों ने भी ट्वीट कर शरद यादव के निधन पर शोक व्यक्त किया।

सात बार सांसद रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव का पार्थिव शरीर दिल्ली स्थित 5 A वेस्टेंड, छतरपुर फार्म में रखा गया है जहां उनके अंतिम दर्शन के लिए आज सुबह से ही राहुल गांधी समेत बड़े नेताओं की भीड़ जुट रही है। कल 14 जनवरी को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद स्थित उनके जन्मस्थली में अंतिम संस्कार किया जाएगा।

शरद यादव के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए पूर्व सांसद और जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव ने बिहार में दो दिवसीय राजकीय शोक घोषित करने की मांग की है।

1 जुलाई 1947 को मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले के अखमऊ गांव के एक किसान परिवार में जन्मे शरद यादव ने अपनी राजनीति की शुरुआत छात्रजीवन में ही किया था। 1970 में शरद मध्यप्रदेश के जबलपुर विश्विद्यालय में छात्रसंघ अध्यक्ष रहे। इमरजेंसी के दौरान शरद जेपी आंदोलन में सक्रिय हुए, जेपी उन्हें अपना पहला शिष्य मानते थे 1972 और 1975 में उन्हें मीसा कानून के तहत जेल भेज दिया गया। आपातकाल के दौरान उन्होंने लगभग 19 महीने जेल में गुजारे।

लोहिया के विचारों से प्रभावित शरद यादव आपातकाल के दौरान ही 1974 में मध्यप्रदेश के जबलपुर सीट से लोकसभा चुनाव लड़े और महज 27 के उम्र में संसद पहुंचे। जेपी आंदोलन से निकले शरद वो पहले नेता थे जिन्होंने संसद के गलियारों में दस्तक दी, शरद उन दिग्गजों में से है जिन्होंने तीन अलग - अलग राज्यों से लोकसभा चुनाव जीता। वे कुल 7 बार लोकसभा सांसद रहे जबकि 3 बार राज्यसभा जाने का मौका मिला। पांच दशक तक राजनीति में सक्रिय रहने वाले शरद यादव ने अगस्त 1990 में तत्कालीन वीपी सिंह के सरकार पर दबाव बनाकर मंडल कमीशन को लागू करवाया था जिससे पिछड़े वर्ग के लिए नौकरियों में आरक्षण का रास्ता साफ हुआ।

शरद यादव भले ही मध्यप्रदेश में जन्में हो लेकिन उनकी राजनीति की केंद्र धुरी बिहार रही। नीतीश और लालू से उनकी जुगलबंदी जगजाहिर है, शरद यादव बिहार के मधेपुरा से 4 बार लोकसभा सदस्य चुने गए, उन्हें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का राजनीतिक गुरु भी कहा जाता है, वर्ष 2004 से 2014 तक वे जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे, लेकिन 2016 में महागठबंधन में आई दरार के बाद नीतीश और शरद के रिश्ते में कड़वाहट आ गई , बाद में उन्होंने अपना अलग दल भी बनाया था जिसे हाल में ही राष्ट्रीय जनता दल के साथ विलय किया था।

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