नई दिल्ली- इस साल का ‘कारवां-ए-हबीब सम्मान‘ सुप्रसिद्ध नाटय-समीक्षक जयदेव तनेजा को दिया जाएगा। यह सम्मान, रंगकर्मी और निर्देशक हबीब तनवीर की स्मृति में हर वर्ष दिया जाता है। 'कारवां-ए-हबीब तनवीर सम्मान' चयन समिति के सदस्यों ने सर्वसम्मति से इस वर्ष वरिष्ठ रंग- समीक्षक जयदेव तनेजा को इस सम्मान से सम्मानित करने का निर्णय किया है।
हबीब तनवीर की वैचारिक-सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से रंगमंच सहित साहित्य, संस्कृति, समाज और राजनीति के क्षेत्र में विशिष्ट, जनपक्षधर और समग्र योगदान के लिये प्रतिवर्ष किसी एक व्यक्तित्व को ‘कारवां-ए-हबीब सम्मान‘ प्रदान किया जाता है। यह सम्मान और नाट्योत्सव 'कारवां-ए-हबीब तनवीर' समिति, विकल्प साझा मंच और अस्मिता थियेटर ग्रुप की तरफ़ से प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है।
यह बहुप्रतिष्ठित सम्मान पूर्व में क्रमश: अनामिका हक्सर (2018), प्रसन्ना (2019), उषा गांगुली (2020, मरणोपरांत), राम गोपाल बजाज (2021), राजेश कुमार( 2022) और भानु भारती (2023) को प्रदान किया जा चुका है।
'कारवां-ए-हबीब तनवीर सम्मान' समिति के संयोजक अरविन्द गौड़ ने बताया कि इस वर्ष की चयन समिति में प्रसिद्ध रंगकर्मी एवं फ़िल्मकार अनामिका हक्सर, वरिष्ठ रंगकर्मी, अभिनेता एवं रंग-शिक्षक अमिताभ श्रीवास्तव, हिन्दी के सुपरिचित नाटककार एवं संस्कृतिकर्मी राजेश कुमार, सुप्रसिद्ध साहित्यकार गीता श्री, हबीब तनवीर की संस्था नया थियेटर के सुप्रसिद्ध अभिनेता रामचन्द्र सिंह, समकालीन रंगमंच पत्रिका के संपादक और वरिष्ठ रंग-समीक्षक राजेश चन्द्र, चर्चित युवा रंग-निर्देशक, कवि एवं समीक्षक ईश्वर शून्य, वरिष्ठ रंगकर्मी और निर्देशक बापी बोस, प्रसिद्ध नारीवादी एक्टिविस्टऔर स्त्रीकाल पत्रिका के संपादक संजीव चंदन, वरिष्ठ रंगकर्मी और फिल्मकार उपेन्द्र सूद (एन. एस. डी. 1981बैच ) शामिल हैं, जिन्होंने सर्वसम्मति से इस प्रतिष्ठित सम्मान के लिये जयदेव तनेजा के नाम का चयन किया।
सलाहकार समिति के सदस्यों वरिष्ठ रंग-निर्देशक निर्देशक और सामाजिक कार्यकर्ता प्रसन्ना, सुप्रसिद्ध साहित्यकार और नाटककार असग़र वजाहत, वरिष्ठ साहित्यकार उदयप्रकाश, वरिष्ठ रंग-निर्देशक निर्देशक भानु भारती, अभिनेता, निर्देशक और रा. ना. वि. के पूर्व निदेशक रामगोपाल बजाज ने भी सर्वसम्मति से इस प्रतिष्ठित सम्मान के लिये जयदेव तनेजा के नाम का अनुमोदन किया।
डॉ. जयदेव तनेजा का जन्म 15 मार्च, 1943 को ओकाड़ा, पाकिस्तान में हुआ था। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से एम. लिट्. और पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। हिन्दी नाटक और रंगमंच की तीन पीढ़ियों को अपनी आलोचना और चिंतन से प्रेरित-परिष्कृत करने वाले डॉ. जयदेव तनेजा ने आधुनिक हिन्दी/भारतीय नाटक और रंगमंच संबंधी पन्द्रह आलोचनात्मक पुस्तकें एवं बहुसंख्य नाट्य-लेख लिखे हैं। नाटककार मोहन राकेश पर केन्द्रित उनकी कृतियों- 'लहरों के राजहंस : विविध आयाम' तथा 'मोहन राकेश: रंग-शिल्प और प्रदर्शन' ने मोहन राकेश के योगदान को देखने-समझने की एक नयी दृष्टि दी है।
डॉ. तनेजा ने 'पूर्वाभ्यास' (मोहन राकेश), 'नाट्य-विमर्श' (मोहन राकेश), 'बी.एम. शाह, 'मनोहर सिंह', 'ब.व. कारंत', 'पुनश्च' (राकेश और अश्क दम्पति का पत्राचार), 'एकत्र' (मोहन राकेश की असंकलित रचनाएं), 'राकेश और परिवेश : पत्रों में' आदि पुस्तकों का संपादन भी किया है। दिल्ली विश्वविद्यालय के आत्माराम सनातन धर्म कॉलेज से रीडर पद से सेवानिवृत्त डॉ. जयदेव तनेजा हिन्दी अकादमी के 'श्रेष्ठ साहित्यिक कृति पुरस्कार', दिल्ली नाट्य संघ के 'विश्व रंगमंच दिवस सम्मान', साहित्य कला परिषद के 'परिषद सम्मान' और हिन्दी अकादमी के 'साहित्यकार सम्मान' से सम्मानित हो चुके हैं।
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