दिल्ली सुंदरनगरी हत्याकांड; “काश! जज ने मेरी बात सुन ली होती तो आज मेरा बेटा हमारे बीच होता” — मनीष की मां

मनीष की फोटो के सामने बैठी उसकी मां [फोटो- पूनम मसीह, द मूकनायक]
मनीष की फोटो के सामने बैठी उसकी मां [फोटो- पूनम मसीह, द मूकनायक]

"मेरे घर पर आकर उन लोगों ने कहा कि तुम्हारे बेटे को मार दिया है, जा उठाकर ले आ।" यह कहते हुए 18 वर्षीय मनीष की मां अपने बेटे को याद करते हुए रोने लग जाती है। दिल्ली की सुंदरनगरी में तंग गलियों में एक झुग्गी में मनीष का परिवार रहता है। एक छोटे से कमरे में बेटे की तस्वीर के सामने मनीष की मां रोते हुए कहती है कि हमने कभी नहीं सोचा था कोई हमारे बेटे को ऐसे मारकर सड़क पर छोड़ देगा।

आपको बता दें कि, एक अक्टूबर को दिल्ली के सुंदरनगरी में मनीष नामक दलित युवक की तीन मुस्लिम लड़कों ने सारेआम रोड पर चाकू मारकर हत्या कर दी थी। इस हत्या के बाद बिलाल, आलम और फैजान नाम के तीन लड़कों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। घटना सीसीटीवी कैमरे में भी कैद हुई है, जिसमें यह साफ दिखाई दे रहा है कि एक लड़का मनीष के अधमरा होकर गिर जाने के बाद वापस उसे दोबारा चाकू से मराता है।

फोन को लेकर हुआ विवाद

द मूकनायक ने इस घटना के बाद मनीष के परिवार से बातचीत की। मनीष की मां ने बताया कि यह सारा मामला डेढ़ साल पहले का है। मेरा बेटा रात को एक रिश्तेदार की शादी से वापस आ रहा था। उसी दौरान कुछ लड़कों ने उससे फोन मांग और कहा, "भाई जरा फोन देना किसी को फोन करना है।"

वह कहती है, "मेरे बेटे को इस बात का अंदाजा नहीं था कि वो लड़के उससे फोन छीन लेंगे। फोन देने के बाद मनीष ने उनसे फोन मांगा, लेकिन लड़के उसे टालते रहे और बाद में जब वह कहने लगा कि वह अपना फोन वापस लेकर ही जाएगा तो उन लोगों ने उस पर चाकू से हमला कर दिया। यह सारा मामला रात में एक दो घंटे तक चला। उसके बाद देर रात मनीष घर आता और दरवाजा खटखटाता है, मैं जैसे ही दरवाजा खोलती हूं तो उसकी हालात देखकर हकीबकी रह जाती हूं, मनीष पूरी तरह से लहूलुहान था। मैं और पूरा परिवार उसकी ऐसी स्थिति देखकर घबरा जाता है। हमलोग तत्काल ही उसे अस्पताल ले गए। जहां पुलिस कम्पेलन हुई।"

मनीष के घर के पास की तंग गलियां [फोटो- पूनम मसीह, द मूकनायक]
मनीष के घर के पास की तंग गलियां [फोटो- पूनम मसीह, द मूकनायक]

पहले भी बेटे पर चाकू से हमला हुआ था

वह बताती है कि, "इस घटना के बाद मेरा बेटा अंदरुनी रुप से पूरा तरह कमजोर हो गया था। उसके गले को धारदार हथियार से काट दिया था। उसके गले में टांके लगे थे। इस घटना के बाद से वह काम भी नहीं कर सकता था। इससे पहले वह खिलौनों वाली फैक्ट्री में काम करता था। इस घटना के बाद वह काम करने लायक रहा ही नहीं था। घर में ही रहता था।"

"इसी दौरान पुलिस ने दो लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया और कोर्ट में मुकदमा चला। कोर्ट में मुकदमें के दौरान ही आरोपी के परिवार वालों हमारे साथ गाली गलौज करते और केस वापस लेने का दबाव डाल रहे थे," वह बताती है।

एक अक्टूबर को कोर्ट में तारीख पर गए थे

मनीष की मां बताती है कि, कोर्ट पर लगातार तारीखों में मैं खुद मनीष को अपने साथ लेकर जाती थी। इस घटना से आखिरी वाली तारीख में मैंने खुद जज को यह कहा कि मेरे बेटे और परिवार वालों को जान से मारने की धमकी दी जा रही है, हमें सुरक्षा दी जाए। जज ने मेरी बात को अनसुना करते हुए कहा कि अगली सुनवाई 6 अक्टूबर को इस पर चर्चा करेंगे। इतना कहते ही उसकी मां मनीष को याद करते हुए रोती है और कहती है कि "काश! जज में मेरी बात सुनी होती तो आज मेरे बेटा हमारे पास होता"।

मां के ही बगल में बैठी मनीष की मौसी संगीता बताती है कि, "हमने कभी नहीं सोचा एक केस हमारे पर इतना भारी पड़ जाएगा कि हम अपने बच्चे की लाश को घर पर भी नहीं ला सके। पुलिस ने पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया है। हमारे परिवार के लोग भी अफसोस करने नहीं आ पा रहे हैं।"

वह कहती है कि, "जिस दिन बेटे की मौत हुई स्थिति ऐसी हो गई थी कि उसको अंतिम विदाई देने के लिए इतने लोग इकट्ठा हो गए थे कि हमें खुद समझ नहीं आया इतने लोग हमारे दुःख में शामिल होने आए हैं। अगर मनीष भी आपराधिक प्रवृत्ति का होता है तो लोग हमारे साथ क्यों आते?"

"खबरों में दिखाया जा रहा है कि सभी आरोपी मनीष के दोस्त थे। अगर वह मनीष के दोस्त होते तो ऐसा करते या हम उनके परिवारवालों को खिलाफ केस करते? हमारे परिवार को बर्बाद कर दिया और कहते है कि वह मनीष के दोस्त थे।" सवाल पूछते हुए संगीता गुस्से में कहती है।

हमले के बाद ही लड़का बहुत कम बाहर जाता था

मनीष की मौसी की बात की पुष्टि करने के लिए द मूकनायक ने उनकी गली के कुछ लोगों से इस बारे में बात की। गली में ही दो महिलाएं अपने दरवाजे के बाहर खड़ी थीं। हमने जब उनसे मनीष के बारे में पूछा तो वह बताती है कि लड़का बड़ा अच्छा था। पिछले साल जब से उस पर हमला हुआ था वह बहुत शांत हो गया था। किसी से ज्यादा मतलब नहीं रखता था। वह कहती हैं, जहां तक उन लड़कों की बात है वह हमारे मोहल्ले से बहुत दूर रहते हैं हमलोगों को भी नहीं पता कि वह कहां रहते हैं।

गली में पुलिस का पहरा [फोटो- पूनम मसीह, द मूकनायक]
गली में पुलिस का पहरा [फोटो- पूनम मसीह, द मूकनायक]

'बेटे को मारने के बाद घर आकर गालियों के साथ इत्ला किया'

इन सारी बातों के बीच मनीष की पड़ोसन मिथिलेश उस दिन की घटना का जिक्र करती हुए कहती है कि, "उस दिन सभी लड़कों ने पहले मनीष को बाहर सड़क पर चाकुओं से मारा और घर आकर भाभी को (मनीष की मां) को गलियां देते हुए कहते हैं…'$$$$की बाहर निकल तेरे बेटे को मार दिया है। जा उठाकर ले आ।' इतने में ही चारों तरफ अफरा तफरी मच जाती है। जब तक हम उसे अस्पताल लेकर पहुंचते है तब तक उसकी मौत हो जाती है।"

एक अक्टूबर को इस घटना के बाद नंदनगरी के पुलिस थाने में लोगों ने घेराव भी किया। लोगों को कहना था कि पुलिस ने समय रहते कोई कार्रवाई की होती इतनी बड़ी घटना कभी नहीं होती। इसके साथ ही लोगों का आरोप था कि पुलिस उनके साथ बदतमीजी कर रही थी। हत्या के विरोध में गए लोगों पर पुलिस ने लाठियां भी चलाईं। मिथिलेश ने बताया कि, उनकी ही गली के लड़कों को पुलिस ने बहुत जोर से थप्पड़ मारा। मनीष की बहन को भी महिला पुलिस ने एक थप्पड़ मारा था।

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