मध्य प्रदेश: आर्थिक तंगी के बोझ तले दबी सरकार, कैसे उठाएगी ’लाडली बहना’ का भार?

योजना के लिए 31 मार्च 2023 तक कुल कर्ज 3 लाख 31 हजार 651 करोड़ रुपए हो गया था। बजट अनुमान (वित्त वर्ष 2023-24 के लिए) के अनुसार 31 मार्च 2024 तक यह आंकड़ा बढ़ाकर 3.85 लाख करोड़ होने का अनुमान है।
लाडली बहना योजना के कारण करीब 1210 करोड़ रुपए हर महीने इस योजना के लिए खर्च किए जा रहे हैं।
लाडली बहना योजना के कारण करीब 1210 करोड़ रुपए हर महीने इस योजना के लिए खर्च किए जा रहे हैं।Graphic- The Mooknayak

भोपाल। मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार की गेम चेंजर स्कीम लाडली बहना योजना के प्रभाव से एक बार फिर भाजपा सरकार बनाने जा रही है। वहीं अब आर्थिक विशेषज्ञ प्रदेश के वित्तीय प्रबंधन पर चिंता जाहिर कर रहें हैं। लाडली बहना योजना के कारण करीब 1210 करोड़ रुपए हर महीने इस योजना के लिए खर्च किए जा रहे हैं। सीएम शिवराज ने सरकार बनने के बाद लाडली बहनों को मिलने वाली राशि को 1250 रुपये से बढ़ाकर तीन हजार प्रति महीने का वादा किया था। यदि इस राशि को बढ़ाया गया तो प्रदेश में आर्थिक संकट गहरा जाएगा। 

लाड़ली बहना योजना पर इतना खर्च! 

साल 2023 में शिवराज सरकार की लाड़ली बहना योजना के लिए सरकार ने वर्तमान में पांच साल के लिए 60 हजार करोड़ के बजट का प्रावधान किया था। एक हजार रुपया हर महीना देने की योजना के लिए पहले साल के 12 हजार करोड़ की राशि आवंटित की गई थी। अब योजना के अंतर्गत मिलने वाली राशि सरकार ने बढ़ाकर 1250 रुपए कर दी है। 

अगर सरकार लाड़ली बहना योजना में वर्तमान में दी जाने वाली राशि को बढ़ाकर तीन हजार करती है तो एक अनुमान के मुताबिक 1 लाख 80 हजार करोड़ रुए खर्च होंगे। वहीं योजना के लिए पात्रता की उम्र 23 साल से घटाकर 21 साल करने के सरकार के फैसले के बाद योजना के उपर खर्च करने वाली राशि में और अधिक इजाफा हुआ है। प्रदेश में 1 करोड़ 30 लाख महिलाओं को योजना का लाभ दिया जा रहा है। 

एमपी सरकार कर्ज के बोझ तले दबी 

मध्य प्रदेश में वर्तमान में सरकार 3 लाख 85 हजार करोड़ के भारी भरकम कर्ज के बोझ तले दबी है। कर्ज इतना है कि सरकार हर साल केवल 24 हजार करोड़ का ब्याज भर रही है। वहीं चुनावी साल में लाड़ली बहना योजना सहित अन्य योजनाओं को जमीन पर उतराने के लिए सरकार को नए वित्तीय वर्ष 2023-24 में 55 हजार करोड़ के कर्ज लेने की जरुरत पड़ेगी, जो कि जीएसडीपी का 28 प्रतिशत है। इसी साल रिजर्व बैंक की राज्यों को लेकर राज्यों की स्टेट फाइनेंसेज: स्टडी ऑफ बजट्स ऑफ 2022-23 प्रकाशित रिपोर्ट में राज्यों पर बढ़ते कर्ज को लेकर चिंता जताई गई है।

प्रदेश के प्रति व्यक्ति पर 50 हजार का कर्ज

वर्तमान कर्ज को यदि जनसंख्या के हिसाब से विभाजित कर समझा जाए तो प्रदेश में प्रति व्यक्ति पर आज 50 हजार रूपए का कर्जा है। सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 3.14 लाख करोड़ का बजट पेश किया। आर्थिक विशेषज्ञों के मुताबिक मध्य प्रदेश गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। मध्य प्रदेश की आर्थिक स्थिति को इस बात से समझा जा सकता है कि पिछले वर्ष 2022-2023 में राज्य ने 2.79 लाख करोड़ रुपये का वार्षिक बजट पेश किया था, जबकि सरकार पर 3.31 लाख करोड़ रुपये का बढ़ता कर्ज था। ऐसे में सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि सरकार लाड़ली बहना योजना के अंतर्गत 3 हजार रुपए देने के लिए इतनी भारी भरकम राशि का प्रबंध कहां से करेगी, यह भी बड़ा सवाल है?

लगातार कर्ज ले रही सरकार 

मध्य प्रदेश सरकार ने चुनाव से पहले 28 नवंबर को 2 हजार करोड़ का कर्ज लिया ऐसे में इस साल अब तक सरकार 38 हजार 500 करोड़ रुपये का कर्ज ले चुकी है। मध्य प्रदेश सरकार पर 31 मार्च 2022 तक प्रदेश का कुल सार्वजनिक कर्ज 2.95 लाख करोड़ रुपए था।

31 मार्च 2023 तक कुल कर्ज 3 लाख 31 हजार 651 करोड़ रुपए हो गया था। बजट अनुमान (वित्त वर्ष 2023-24 के लिए) के अनुसार 31 मार्च 2024 तक यह आंकड़ा बढ़ाकर 3.85 लाख करोड़ होने का अनुमान है। बता दें कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के बाद प्रदेश सरकार ने तीन बार कर्ज लिया था। मध्य प्रदेश में 9 अक्टूबर को चुनावों के ऐलान के तुरंत बाद आदर्श आचार संहिता लागू हुई थी। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने अक्टूबर महीने में 4 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया था जबकि, सिंतबर महीने में सरकार ने 4500 करोड़ रुपये का कर्ज लिया। 

राज्य के वित्त विभाग के अनुसार, लाडली बहना योजना के तहत राज्य सरकार लगभग 12.5 मिलियन महिला लाभार्थियों को आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए प्रति माह 1,210 करोड़ रुपए खर्च कर रहा है। अधिकारियों के अनुसार, राज्य सरकार ने इस योजना के लिए बजट में शुरुआत में 8,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था, जो कि प्रति माह 1,000 रुपए का भुगतान करने के लिए पर्याप्त था। ऐसे में अब अगर धीरे-धीरे लाडली बहना योजना में रकम 1250 रुपये से बढ़कर 3000 तक पहुंचती है तो इस योजना के लिए सरकार का बजट भी बढ़ता जाएगा।

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