MP : सीवेज टैंक में उतरने से दो लोगों की मौत, कब थमेगा यह मौतों का सिलसिला?

केंद्र सरकार की 'अमृत योजना' के तहत स्वीकृत सीवेज परियोजना पर कर रहे थे काम
केंद्र सरकार की 'अमृत योजना' के तहत स्वीकृत सीवेज परियोजना पर कर रहे थे काम

देश में सीवर में सफाई के दौरान मजदूरों की मौतों के लगातार बढ़ रहे आंकड़ें, सुप्रीम कोर्ट के टिप्पणी के बाद भी आज तक नही सुधरे हालात।

भोपाल। देश विकास की राह पर अग्रसर है, सरकार हर रोज ऐसे नए दावे करती है। हर वर्ग को समान अधिकार और सम्मान देने की बात तो सरकार करती है लेकिन जब बात सीवर या गटर साफ करने को आती है तो देश का निचला और पिछड़ा वर्ग ही लोगों को याद आता है।

हम चांद पर जा रहे हैं, लेकिन आज भी सीवर में घुसकर मलबों को साफ करने जैसे जोख़िम भरे कामों के लिए इंसानों का इस्तेमाल किया जा रहा है। अब इस सीवर और टैंक की सफाई में न जाने कितने मजदूर अपनी जान गंवा देते हैं।

इस बलिदान पर न तो सरकार को कुछ फर्क पड़ता है और न ही देश के उच्च वर्ग को, लेकिन उस परिवार का क्या जो अपने चिराग को खो देता है।

वैसे तो हर रोज टैंक साफ करने के दौरान मजदूरों की मौत की खबरें आती हैं, ऐसे ही इस बार ये दर्दनाक हादसा मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में सामने आया है।

क्या है पूरा मामला

ताजा मामला भोपाल के लाऊखेड़ी इलाके का है। भोपाल में करीब 20 फीट गहरे सीवेज टैंक में उतरने से दो लोगों की मौत हो गई। जानकारी मिलते ही पुलिस ने रस्सी से बांधकर लाशों को बाहर निकाला।

बता दें कि, इन दोनों लोगों की पहचान हो चुकी है। एक को इंजीनियर बताया जा रहा है, तो दूसरा मजदूर है। इस मजदूर की उम्र मात्र 18 साल है और इसका नाम भारत सिंह है।

एनडीटीवी के रेजिडेंट एडिटर अनुराग द्वारी ने ट्विट करके पूरे मामले पर प्रकाश डाला है। इस मामले का वीडियो भी ट्विटर पर शेयर किया गया है, जिसमें साफ दिख रहा है किस तरह पुलिस लाशों को सीवर टैंक से रस्सी के सहारे निकाल रही है।

अफसर बनना चाहता था भारत…

कहते हैं कि, सपने कभी भी और कहीं भी पनप सकते हैं। इसका जीता जागता उदाहरण है भारत सिंह। भारत सिंह कोई मजदूर नहीं था बल्कि पढ़ाई करने वाला एक युवा था। वह युवा जो बड़ा होकर एक अफसर बनना चाहता था। शायद मां बाप की परिस्थित को देखकर इस सपने ने उसके अंदर अपने पंख फैलाए होंगे।

भारत के पिता ने बताया कि, "मेरा बेटा 8 साल का छात्र है जो झाबुआ से मेरे पास भोपाल आया था"।

बेटे के साथ हुए इस हादसे पर पिता के आंखों के आंसू नहीं रुक रहे हैं। उन्हें क्या पता था एक झटके में उनके घर का चिराग बुझ जाएगा। कैमरे पर कांपते शब्दों में उन्होंने बताया कि पिता पर बोझ न पड़े इसलिये वो 13 दिसंबर को चैंबर के काम के लिए चला गया। सुपरवाइजर उसे लेने आए और उसे अपने साथ ले गए।

रोते हुए भारत के पिता सिर्फ इतना कह पाए कि, बेटे को खोने का गम इतना ज़्यादा है कि वो सरकार से अपने बेटे के लिए इंसाफ भी नहीं मांग पा रहे हैं।

सरकार ने दिए जांच के आदेश

जानकरी के मुताबिक इस पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। 24 घंटे में इस पूरे मामले पर रिपोर्ट मांगी गई है। लेकिन सवाल ये है कि इस मौत के लिए जिम्मेदार बनाया किसे जाएगा?

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी…

वैसे आपको बता दें कि, देश के सुप्रीम कोर्ट ने सीवर टैंक में लगातार होती मौतों को लेकर वर्ष 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था "दुनिया के किसी भी देश में लोगों को गैस चैंबर में मरने के लिये नहीं भेजा जाता है। लोग रोज मर रहे हैं, उनके जीवन की रक्षा के लिए सरकारों ने क्या किया है? उनके पास सुरक्षात्मक गियर, मास्क, ऑक्सीजन सिलेंडर भी नहीं हैं। दुनिया के किसी अन्य हिस्से में ऐसा नहीं होता है।"

इतिहास गवाह है, देश चाहे जितनी तरक्की कर ले लेकिन गैस चैंबर में हर साल, हर महीने, हर दिन किसी ना किसी मजदूर का दम घुटता है। हर रोज किसी न किसी परिवार को अपने चहेते की कुर्बानी देनी पड़ती है। लेकिन हम इसे रोज एक खबर की तरह पढ़कर भूल जाते हैं और शायद इसीलिए आज तक सरकार ने इन मौतों को रोकने के लिए आज तक कुछ नहीं किया। इसी की नतीजा है कि आज एक अफसर बनने का ख्वाब देखने वाला युवा हमारे बीच रहा।

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