मध्य प्रदेशः दस साल बाद भी सरकार डिजिटल नहीं कर सकी भोपाल गैस पीड़ितों का डाटा!

हाईकोर्ट के ऑर्डर पर राज्य सरकार ने नहीं की उचित कार्रवाई, अब जिम्मेदारों पर चलेगा न्यायालय की अवमानना का केस
मध्य प्रदेशः दस साल बाद भी सरकार डिजिटल नहीं कर सकी भोपाल गैस पीड़ितों का डाटा!

भोपाल। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के साढ़े दस साल पहले दिए गए आदेश पर राज्य सरकार अब तक अमल नहीं कर पाई है। मामला भोपाल गैस त्रासदी के पीडि़तों से जुड़ा है। हाईकोर्ट ने भोपाल गैस त्रासदी रिलीफ एंड रिहेबिलेशन डिपार्टमेंट को आदेश दिया था कि गैस कांड के सभी पीडि़तों का रिकॉर्ड डिजीटल किया जाए। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत को पता चला कि आदेश अभी तक लंबित है। इसके बाद जजों का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा। तुरंत रजिस्ट्रार को आदेश जारी किया गया कि भोपाल गैस ट्रेजेडी रिलीफ एंड रिहेबिलेशन डिपार्टमेंट के सेक्रेट्री पर न्यायालय की अवमानना के तहत कार्यवाही की जाए।

जस्टिस शील नागू और जस्टिस वीरेंद्र सिंह की बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी। बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि केवल नेशनल इनफोर्मेटिक सेंटर (एनआईसी) को ही नहीं बल्कि राज्य सरकार को भी रिकॉर्ड डिजीटल करने का काम करना था। कोर्ट ने एनआईसी की तरफ से पेश वकील को भी तेज फटकार लगाई। कोर्ट का कहना था इनको ये भी नहीं पता कि रिकॉर्ड डिजिटलाइज और कंप्यूटर में चढ़ाने में फर्क होता है। कोर्ट ने रजिस्ट्री को आदेश दिया कि वो अवमानना के तहत अफसरों को नोटिस भेजे। 17 मार्च को उनके जवाबों पर सुनवाई की जाएगी।

दरअसल, भोपाल गैस त्रासदी का मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा चुका है। सुप्रीम कोर्ट में दायर किए गए क्यूरेटिव पेटीशन में मौतों की संख्या 5,295 और घायलों का आंकड़ा 5,27,894 बताया गया है। 2011 में दायर क्यूरेटिव याचिका में यूनियन कार्बाइड कंपनी से और 7413 करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा गया।

इस मामले में द मूकनायक ने मध्यप्रदेश सरकार के गैस राहत मंत्री विश्वास सारंग से बात करना चाही, लेकिन दूरभाष पर सम्पर्क नहीं हो सका। इसके बाद हमने विभाग की प्रमुख सचिव चारलियन देशमुख को फोन किया, लेकिन उनसे भी बात नहीं हो सकी।

गौरतलब है कि 2 दिसंबर 1984 की रात मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में गैस लीक होना शुरू हुई थी। आधी रात के बाद यह हवा जहरीली के साथ जानलेवा भी हो गई। यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के लीक होने से ये हादसा हुआ। गैस के लीक होने की वजह थी टैंक नंबर 610 में जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का पानी से मिल जाना। इससे टैंक में दबाव बन गया और वो खुल गया। उसके बाद टैंक से वो गैस निकली जिसने हजारों की जान ले ली। भारी तादाद में लोग विकलांग भी हो गए। आज भी कई पीडि़त उचित मुआवजे के लिए भटक रहे हैं।

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