मध्य प्रदेश: भोपाल में 386 घरों पर चला प्रशासन का बुलडोजर, मीडिया के प्रवेश पर रोक- ग्राउंड रिपोर्ट

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देश के बाद अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई, रहवासियों का आरोप है कि उनके घर तोड़ कर सरकार ने उन्हें बेघर कर दिया।
सौ साल पुरानी भदभदा झुग्गी बस्ती में 386 घरों बुलडोजर की कार्रवाई के बाद फैला मलबा.
सौ साल पुरानी भदभदा झुग्गी बस्ती में 386 घरों बुलडोजर की कार्रवाई के बाद फैला मलबा.फोटो- अंकित पचौरी, द मूकनायक

भोपाल। राजधानी की भदभदा झुग्गी बस्ती में पिछले दो दिनों के भीतर बुलडोजर चलाकर 386 घर जमीदोंज कर दिए गए। नगर निगम और जिला प्रशासन की संयुक्त कार्रवाई में मीडिया पर भी पाबंदी लगाई गई थी। 500 से ज्यादा पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में चल रही कार्रवाई के चलते 1 किलोमीटर दूर बैरिकेडिंग करके रास्ता रोक दिया गया था। यहां प्रशासन को छोड़ कर अन्य किसी को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई। 

करीब 100 साल पुरानी भदभदा झुग्गी में शनिवार को सभी मकान गिरा दिए गए। द मूकनायक टीम भदभदा बस्ती में पहुचीं लेकिन अब यहां सिर्फ बस्ती का मलवा बिखरा पड़ा था। कुछ लोग गृहस्थी के सामान को लोडिंग गाड़ियों से दूसरी जगहों पर ले जा रहे थे, कुछ लोग मकान के मलवे से ईंट निकाल रहे थे। 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 386 घरों को हटाने के आदेश दिए थे। प्रशासन ने मंगलवार तक का समय देकर रहवासियों को घर खाली करने के लिए कहा था। मगर लोगों का कहना था कि जब तक उन्हें दूसरी जगह विस्थापित नहीं किया जाता, तब तक वह यहीं रहेंगे। एनजीटी के निर्देश के बाद तीन दिन से कार्रवाई चल रही है। कोई हंगामा न हो, इसके लिए पुलिस ने बस्ती से 1 किलोमीटर पहले बैरिकेडिंग कर रास्ता रोक रखा है। पुलिस के 500 जवान तैनात हैं। घरों को तोड़ने के लिए दस जेसीबी लगाई गई थी। 

मकान तोड़ने की कार्रवाई शुरू होते ही रहवासी चीखने चिल्लाने लगे। महिलाएं रो-रोकर अधिकारियों से कार्रवाई रोकने की गुहार लगाती रहीं लेकिन बुलडोजर की कार्रवाई नहीं रुकी। इसी बीच कुछ लोगों की तबियत भी बिगड़ गई जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।

घर के मलवे पर बैठी रहवासी फ़िरोज बी.
घर के मलवे पर बैठी रहवासी फ़िरोज बी.फोटो- अंकित पचौरी, द मूकनायक

द मूकनायक से बातचीत करते हुए बस्ती की रहवासी फिरोज़ बी ने बताया कि उनका परिवार पिछले सौ सालों से यहां रह रहा है, उनके पिता भी इसी बस्ती में रहते थे। फिरोज ने बताया कि नगर निगम पहले से ही नोटिस भेज रहा था। लेकिन मकान तोड़ने की कार्रवाई अचानक की गई। फिरोज ने कहा, "सुबह ही पुलिस और प्रशासन के लोगों ने मकान गिराना शुरू कर दिए, हमें घर का सामान निकालने तक का वक्त नहीं दिया, प्रशासन ने खाने तक कि व्यवस्था नहीं की, रिश्तेदार खाना लेकर आए तो अंदर नहीं घुसने दिया." 

एक और रहवासी, मोहम्मद असलम उस्मान ने बताया कि, "प्रशासन और पुलिस ने दहशत बनाकर कार्रवाई की। बस्ती वालों के मकानों से सामान निकाल कर बाहर फेंका गया। कभी सोचा नहीं था कि घर टूट जाएगा। हमारे रहने की अब कोई व्यवस्था नहीं हैं। यदि सरकार को हमें हटाना था, तो पहले हमारी रहने की व्यवस्था करनी चाहिए थी।"

नगर निगम ने रहवासियों के सामान के शिफ्टिंग के लिए लोडिंग गाड़ियां उपलब्ध कराई हैं। कुछ लोगों को चांदपुर बैरसिया इलाके में जमीन के पट्टे तो बाकी को 1 लाख रुपए की मुआवजा राशि या प्रधानमंत्री आवास का ऑप्शन दिया गया है। 

कांग्रेस ने बस्ती हटाने का किया विरोध

झुग्गी बस्ती भदभदा पर बुलडोजर एक्शन के खिलाफ कांग्रेस ने मानवाधिकार आयोग को लेटर भी लिखा है। पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि 10वीं-12वीं की परीक्षा चल रही है। इस बीच घरों पर बुलडोजर चला दिया। लोगों की कनपटी पर बंदूक रखकर घर खाली करने के लिए सहमति ली जा रही है। पूर्व मंत्री शर्मा ने कहा कि, "बगैर नोटिस के बिजली-पानी कनेक्शन काट दिए। लोगों को सामान नहीं निकालने दिया गया। वहां खाने-पीने की व्यवस्था नहीं है।"

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