कर्नाटक: जेल से छूटे महंत, एक ही दिन में वारंट और गिरफ्तारी

महंत के खिलाफ, पहला केस ओदानदी सेवा संस्थान नाम के NGO ने मैसूर के नजरबाद पुलिस स्टेशन में दर्ज करवाया था।
कर्नाटक: जेल से छूटे महंत, एक ही दिन में वारंट और गिरफ्तारी

नई दिल्ली। कर्नाटक पुलिस ने चित्रदुर्ग मुरुगराजेंद्र बृहन मठ के महंत शिवमूर्ति शरण को गत सोमवार को गिरफ्तार कर लिया था। गिरफ्तारी पॉक्सो एक्ट के तहत हुई है। बता दें कि लिंगायत धर्म के महंत के खिलाफ चित्रदुर्ग की अदालत ने गैरजमानती वारंट जारी किया था। सोमवार को ही जारी हुए इस वारंट में पुलिस को आदेश दिया गया था कि वो मंगलवार तक महंत को अदालत में पेश करें। महंत शिवमूर्ति शरण पर पहले से ही बच्चों के यौन शोषण के 2 केस दर्ज हैं, जिसमें वो जमानत पर चल रहे थे।

पहले भी दर्ज हुई हैं बच्चों के यौन शोषण की शिकायतें

महंत के खिलाफ, पहला केस ओदानदी सेवा संस्थान नाम के NGO ने मैसूर के नजरबाद पुलिस स्टेशन में दर्ज करवाया था। इस FIR में शिवमूर्ति पर आरोप लगा था कि उन्होंने हॉस्टल में रहने वाले दलित समुदाय के नाबालिग छात्रों का यौन शोषण किया था। तब पुलिस ने पॉक्सो और SC/ST एक्ट के तहत उनके खिलाफ FIR दर्ज की थी। बाद में यह केस जाँच और कार्रवाई के लिए चित्रदुर्ग ग्रामीण पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर कर दिया गया था।

इसके अलावा महंत शिवमूर्ति शरण के ऊपर दूसरा केस 2 नाबालिग लड़कियों की माँ ने दर्ज करवाया था। शिकायत के अनुसार साल 2019 से 2022 तक जब उनकी बेटियाँ हॉस्टल में थीं। तब शिवमूर्ति शरण ने उनका यौन शोषण किया था। यह केस भी पॉक्सो एक्ट में दर्ज हुआ था। इस केस में शिवमूर्ति के साथ कनिष्ठ द्रष्टा बसवदित्य और परमशिवैया, गंगाधर, महालिंगा और करिबासप्पा भी आरोपित किए गए थे। लेकिन जाँच के दौरान कोई सबूत न मिलने की बात कह कर पुलिस ने बाद में परमशिवैया का नाम केस से निकाल दिया था।

मिली जमानत

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार शिवमूर्ति शरण ने हाईकोर्ट में एक आवेदन दायर कर गिरफ्तारी पर सवाल उठाया। उच्च न्यायालय ने चित्रदुर्ग में उनके प्रवेश पर रोक लगाते हुए उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उपस्थित होने की अनुमति दी थी। याचिका पर सुनवाई करने वाली न्यायमूर्ति सूरज गोविंदराजू की अध्यक्षता वाली पीठ ने आदेश दिया कि 'याचिकाकर्ता को जल्द रिहा किया जाए। साथ ही, उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को इस आदेश की एक प्रति चित्रदुर्ग जेल अधिकारियों को तुरंत ई-मेल के माध्यम से भेजनी चाहिए।' शिवमूर्ति शरण की रिहाई जल्द से जल्द की जाए, ऐसा कोर्ट ने आदेश दिया।

हाई कोर्ट ने जताई हैरानी

गैर जमानती वारंट को दरकिनार कर महंत को रिहा करने का निर्देश देते हुए न्यायमूर्ति गोविंदराज ने कहा, 'सिर्फ इसलिए कि यह एक सनसनीखेज मामला है, आप इस अदालत के आदेश की गलत व्याख्या नहीं कर सकते।' हाई कोर्ट ने कहा, 'यह हैरान करने वाला है कि एसपीपी को इस न्यायालय के दिनांक 8-11-23 के आदेश की जानकारी नहीं है। इस अदालत ने आरोपी नंबर एक (महंत) को स्पष्ट रूप से आदेश दिया है कि वह चित्रदुर्ग में प्रवेश न करें और वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अदालत की सुनवाई में भाग लें।'

'याचिकाकर्ता के साथ घोर अन्याय'

न्यायाधीश ने कहा कि निचली अदालत के पारित आदेश इस न्यायालय के पारित आदेशों के विपरीत हैं। उन्होंने कहा, 'मेरी सुविचारित राय है कि इस न्यायालय को प्रभावी न्याय प्रदान करने के लिए अपनी अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग करना होगा।' निचली अदालत के आज दिन में जारी किए गए गैर जमानती वारंट पर रोक लगाते हुए उच्च न्यायालय ने कहा, 'उपरोक्त वर्णित तथ्य और जिस तरीके से आदेश पारित किए गए हैं, उससे यह संकेत मिलता है कि इस न्यायालय के पारित आदेश का उल्लंघन करके याचिकाकर्ता के साथ घोर अन्याय हुआ है।'

8 नवंबर को मिली थी महंत को जमानत

महंत ‘बच्चों का यौन अपराधों से संरक्षण’ (पॉक्सो) कानून के तहत दर्ज दो मामलों में से पहले में एक सितंबर, 2022 से हिरासत में थे और उच्च न्यायालय ने उन्हें 8 नवंबर को जमानत दे दी थी। इसके बाद उन्हें 16 नवंबर को यहां जेल से रिहा कर दिया गया। महंत को रिहा किये जाने के बाद से वह दावणगेरे के विरक्ता मठ में रह रहे थे।

जमानत में ये शर्तें

उच्च न्यायालय ने महंत के खिलाफ पॉक्सो कानून के दो मामलों में से एक में जमानत के लिए अनेक शर्तें लगाई हैं, जिनमें मामलों में जांच पूरी होने तक उन्हें चित्रदुर्ग जिले में प्रवेश की अनुमति नहीं मिलना शामिल है। महंत को दो लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही रकम की दो जमानत देने पर छोड़ा गया था और साक्ष्यों से छेड़छाड़ या गवाहों को प्रभावित नहीं करने की चेतावनी दी गई थी।

रामरहीम को भी 21 दिन की फरलो मिली

उधर हरियाणा के रोहतक की सुनारिया जेल में बंद रामरहीम को 21 दिन की फरलो मिल गई है। मंगलवार सुबह वह यूपी के बागपत जिले में स्थित बरनावा आश्रम में जा सकता है। फरलो की सूचना मिलते ही पुलिस ने जेल परिसर के आस-पास सतर्कता बढ़ा दी है। सोमवार देर रात या बुधवार सुबह आधिकारिक तौर पर मुख्यालय से जेल प्रशासन के पास पत्र आ सकता है। गुरमीत को साध्वी बलात्कार मामले में वर्ष 2017 में सजा सुनाई गई थी। बाद में उसे छत्रपति हत्याकांड और रणजीत हत्याकांड में भी सजा हो चुकी है। तीन दिन पहले रामरहीम ने फरलो के लिए अर्जी दाखिल की थी, जिसे मंजूर कर लिया गया है। सोमवार शाम को जैसे ही पुलिस को सूचना मिली तो जेल परिसर के आस-पास सतर्कता बढ़ा दी गई।

राम रहीम
राम रहीम

पहले भी जेल से बाहर आ चुका है राम रहीम

इससे पहले 20 जुलाई को 30 दिन की परोल मिली थी और वह 20 अगस्त को वापस जेल लौट आया था। राम रहीम को इसी साल 21 जनवरी को 40 दिन की परोल मिली थी। गुरमीत राम रहीम को दो साध्वियों से यौन शोषण मामले में 10-10 साल और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति और पूर्व प्रबंधक रणजीत सिंह हत्याकांड में उम्रकैद की सजा हुई है।

फरलो क्या होता है?

फरलो एक तरह की छुट्टी जैसी होती है, जिसमें सजायाफ्ता कैदी को जेल से कुछ दिनों के लिए रिहा किया जाता है। फरलो की अवधि को कैदी की सजा में छूट और उसके अधिकार के तौर पर देखा जाता है। आमतौर यह अधिकार लंबे समय के लिए सजा पाए कैदी के लिए होता है। इसे बिना कारण के भी दिया जाता है। इसका मकसद कैदी अपने परिवार और समाज से मिल सके। लेकिन हर राज्य में फरलो को लेकर अलग-अलग प्रावधान हैं। उत्तर प्रदेश में फरलो देने का कोई नियम नहीं है।

आसाराम
आसाराम

आसाराम समेत इन लोगों की पॉक्सो एक्ट में हो चुकी है गिरफ्तारी

भारत में पॉक्सो एक्ट साल 2012 में लागू किया गया था। इसे लागू करने का मकसद बच्चों को यौन उत्पीड़न से जुड़े अपराधों से बचाना था। आसाराम पॉक्सो एक्ट में दोषी पाए गए थे। आसाराम के खिलाफ पॉक्सो एक्ट में हुआ था मामला दर्ज। आसाराम रेप केस में उम्र कैद की सजा काट रहा है। स्वयंभू संत आसाराम को एक नाबालिग लड़की के साथ रेप का दोषी पाया गया था। रेप पीड़िता की उम्र 16 साल थी। इसी वजह से आसाराम पर पॉक्सो एक्ट लगा था। पॉक्सो एक्ट लगने के बाद अगस्त 2013 में उनकी गिरफ्तारी हुई थी। इस समय वो जोधपुर जेल में बंद है।

तमिलनाडु में पादरी पॉक्सो एक्ट में हुआ था गिरफ्तार

तमिलनाडु के कोयंबटूर में एक चर्च के पुजारी को साल 2022 में ही एक नाबालिग लड़की को यौन शोषण के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। नाबालिग अपनी बहन और दीदी के साथ पादरी के पड़ोस में रहती थी। पादरी उसके घर घुसा और उसने पीड़िता की बहन को कमरे में बंद किया और उसके बाद नाबालिग लड़की के साथ घिनौनी हरकत की। पुलिस ने इस मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत पादरी को गिरफ्तार किया था।

क्रिकेट कोच की पॉक्सो एक्ट में गिरफ्तारी

उत्तराखंड के देहरादून में क्रिकेट एकेडमी चलाने वाले क्रिकेट कोच नरेंद्र शाह को पिछले महीने 8 अप्रैल को पॉक्सो एक्ट मे गिरफ्तार किया गया। आरोपी का एक नाबालिग लड़की के साथ ऑडियो वायरल हुआ था। इसके बाद नाबालिग लड़की के पिता की शिकायत पर उसके खिलाफ 28 मार्च को पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था। पॉक्सो एक्ट लगने के 10 दिन बाद उसकी गिरफ्तारी हुई। पुलिस ने उसे एम्स ऋषिकेश से गिरफ्तार किया। दरअसल उसने ऑडियो वायरल होने के बाद खुदकुशी की कोशिश की थी, जिसके बाद उसे हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था।

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