कनाडा की संसद में गूंजा 'जय भीम', बाबा साहब अंबेडकर को नोबेल पुरस्कार देने की मांग

सांसद डॉन डेविस और रणदीप सराय की मेजबानी में ओटावा पार्लियामेंट हिल परिसर में डॉ. अंबेडकर समानता दिवस और जयंती समारोह आयोजित किया गया, जिसमें शैक्षिक सत्र के दौरान डॉ. अम्बेडकर की उपलब्धियों पर चर्चा, कनाडा में जाति व्यवस्था की पहचान की मांग उठी।
कनाडा की संसद में गूंजा 'जय भीम', बाबा साहब अंबेडकर को नोबेल पुरस्कार देने की मांग

ओटावा। डॉ. अंबेडकर समानता दिवस और जयंती समारोह कार्यक्रम का भव्य आयोजन ओटावा स्थित पार्लियामेंट हिल परिसर में गत 6 और 7 मई को हुआ, जिसने प्रतिभाग करने वाले 200 से अधिक लोगों को गर्व की भावना से भर दिया।

कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका के अलग-अलग जगहों से दो सौ से अधिक प्रतिनिधियों ने कार्यक्रम में शिरकत की। मेजबानी सांसद डॉन डेविस और रणदीप सराय ने की। कई प्रतिभागियों ने पहली बार कनाडा की संसद का दौरा किया, शैक्षिक सत्रों में भाग लिया और बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर की उपलब्धियों का जश्न मनाया।

कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में सांसद रणदीप सराय ने बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर के योगदान पर एक मिनट का प्रभावशाली भाषण दिया। इसके साथ ही हाउस ऑफ कॉमन्स में शैक्षिक सत्र व अन्य कार्यक्रमों में शिरकत करने वाले सभी प्रतिनिधियों का स्वागत किया।

एक दिन बाद 7 मई को सांसद डेविस ने हाउस ऑफ कॉमन्स में अपने भाषण में डॉ. अम्बेडकर को एक विशाल व्यक्तित्व बताया। डेविस ने अपने वक्तव्य का समापन 'जय भीम' अभिवादन के साथ किया, जो एक ऐतिहासिक क्षण था। यह पहली बार था जब यह अभिवादन भारत के बाहर किसी संसद में सुना गया।

आज मुझे संसद में डॉ. अम्बेडकर समानता दिवस को मान्यता देकर प्रसन्नता हुई। हम अपने देश की राजधानी में पूरे कनाडा से आए लोगों की ऐतिहासिक सभा के साथ इस अद्भुत कार्यक्रम का जश्न मना रहे हैं। डॉ. अम्बेडकर ने मानवता की एक स्थायी विरासत छोड़ी जो हम सभी को प्रेरित करती है। -

डॉन डेविस एमपी 7 मई, 2024

चेतना एसोसिएशन ऑफ कनाडा और आईसीएस कनाडा (आंबेडकराइट इंटरनेशनल कोऑर्डिनेशन सोसाइटी) ने कार्यक्रम आयोजित किया। वहीं उद्घाटन बौद्ध भिक्षु आदरणीय भंते सरनपाल ने किया और अपने चार सहयोगियों के साथ बौद्ध प्रार्थनाएं कीं। जैस्मिन बैले द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

कार्यक्रम में कार्लटन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जंगम ने कनाडा में जाति आंदोलन की जानकारी प्रस्तुति दी। मेजबान संसद सदस्य डेविस और सराय, पूर्व संसद सदस्य फ्रैंक बेलीस, सांसद चंद्र आर्य (नेपियन), सांसद सुख धालीवाल (सरे न्यूटन), और सांसद परम बैंस (स्टीवेस्टन-रिचमंड ईस्ट) व मनोज भंगू और बिल बसरा सफलतापूर्वक कार्यक्रम आयोजित करने के लिए मोमेंटम प्रदान किए गए।

चेतना एसोसिएशन ऑफ कनाडा के प्रतिनिधी व सह आयोजिक सह-अध्यक्ष मंजीत बैंस ने कार्यक्रम की मेजबानी के उद्देश्य का वर्णन किया, जबकि आनंद बैले ने एआईसीएस कनाडा के इतिहास और योगदान पर प्रकाश डाला।

बैंस कहते हैं, "हमें यह देखकर खुशी हुई कि आगामी कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करना कार्यक्रम का एक अहम हिस्सा रहा। चेतना एसोसिएशन ऑफ कनाडा के कार्यकारी निदेशक जय बर्डी कहते हैं, हम कार्यक्रम की मेजबानी करने और जाति को एक स्टैंड-अलोन श्रेणी के रूप में जोड़ने पर विचार करने के लिए पार्टी लाइनों से परे काम करने व उनके जबरदस्त समर्थन के लिए सांसद डेविस और एमपी सराय की सराहना करते हैं।"

हरजीत सोहपॉल (श्री गुरु रविदास सभा, वैंकूवर के अध्यक्ष), रतन जाखू (अध्यक्ष, श्री गुरु रविदास सभा मॉन्ट्रियल), कुलदीप कैली (महासचिव, श्री गुरु रविदास सभा ओंटारियो), माखन टुटध्देव (ममता फाउंडेशन कनाडा), रूप लाल गड्डू (पूर्व अध्यक्ष, एआईएसआरओ), रशपॉल भारद्वाज (अध्यक्ष, एआईएसआरओ), प्रोफेसर अरुण गौतम (एआईएम कनाडा, टोरंटो), गोपाल लोहिया (श्री 108 संत सरवन दास चौरिटेबल ट्रस्ट वेस्टर्न कनाडा और पंजाबी मेला के) ने अपने संगठनों का प्रतिनिधित्व किया।

राजेश अंगराल, जिन्होंने एनडीपी के लिए अलबर्टा प्रांतीय चुनाव लड़ा था, भी उपस्थित थे और उन्होंने कार्यवाही का नोट्स लिया। यूएसए के डॉ. परमजीत चुंबर और डॉ. हरजिंदर कुमार ने अपनी कविताएं पढ़ी। मॉन्ट्रियल स्थित पत्रकार संतोख जस्सी ने बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर का जीवन परिचय दिया और उन्हें नोबेल पुरस्कार के लिए नामित करने के कारणों की व्याख्या की।

रतन जाखू ने भी अपने संदेश में संतोष जस्सी की भावना को शामिल किया. भारत के उच्चायुक्त, संजय कुमार वर्मा के उपस्थित रहने और इस अवसर की शोभा बढ़ाने की उम्मीद थी।

“हालांकि, मुझे इस कमरे में मौजूद कुछ गणमान्य व्यक्तियों के फोन आने लगे कि यदि उच्चायुक्त मौजूद हैं तो वे इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाएंगे। मैंने इस संबंध में महामहिम संजय कुमार वर्मा से बात की. इस आयोजन के महत्व को ध्यान में रखते हुए महामहिम हमारे साथ शामिल न होने पर सहमत हुए। हालाँकि, वह इस अवसर की सफलता के लिए अपनी शुभकामनाएँ भेजते हैं और भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. भीम राव अम्बेडकर को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं”, बर्डी ने घोषणा की।

चूँकि उच्चायुक्त वर्मा उपस्थित नहीं थे, आयोजकों ने अगले दिन उनके प्रतिनिधि को उनके उत्कृष्ट नेतृत्व के लिए मान्यता पुरस्कार प्रदान कियाण् बर्डी ने आगे कहा।

ब्लॉक क्यूबेकॉइस के एक सांसद सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने कार्यक्रम में भाग लिया और प्रतिभागियों और आयोजकों के साथ बातचीत की और सम्पर्क बनाए।

कनाडा की संसद में गूंजा 'जय भीम', बाबा साहब अंबेडकर को नोबेल पुरस्कार देने की मांग
बाबा साहब आंबेडकर पर जातिगत टिप्पणियां करने वाले गीता प्रेस को गाँधी शांति पुरस्कार देना दलित समाज का अपमान: शाहनवाज़ आलम

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com