भारत में 2014 के बाद हर साल जाति संबंधित हिंसा की सबसे ज्यादा खबरें सामने आईं

Caste-related violence in India [Graphic By- Rajan Chaudhary]
Caste-related violence in India [Graphic By- Rajan Chaudhary]

भारत में 1948 के ब्राह्मण विरोधी दंगे (Anti-Brahmin riots) से लेकर 1999 के भुंगर खेड़ा की घटना, जिसमें पंजाब के अबोहर के भुंगर खेड़ा गाँव की ग्राम पंचायत के चार सदस्यों ने एक विकलांग दलित महिला, रामवती देवी को गाँव में नग्न अवस्था में घुमाया था, के बीच में जाति से संबंधित हिंसा की वर्ष-वार छिटपुट खबरें थीं। लेकिन 21वीं सदी में, वर्ष 2014 के बाद देश में जाति से संबंधित हिंसा की बड़ी खबरें लगातार हर वर्ष सामने आई हैं।

नई दिल्ली। देश में जाति संबंधित हिंसा (Caste-related violence) की खबरें इस बात को पुष्ट करती हैं कि जाति के आधार पर आज भी पिछड़ों, दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचार और क्रूरता की जा रही हैं। सार्वजनिक रूप से जाति संबंधित हिंसा का पहला मामला महाराष्ट्र में, 1948 में सामने आया था। उसके बाद जाति से संबंधित हिंसा के छिटपुट मामले सामने आते गए। हम इस बात को भी समझ सकते हैं कि जाति आधारित हिंसा के बहुत सारे छोटे-बड़े मामले भी देश में कई जगहों पर हुए लेकिन वह खबरों की सुर्खियों में नहीं आ सके, उनके बारे में सार्वजनिक पटल पर कोई सूचना नहीं है, और न ही यह कभी बहस का मुद्दा बना। आईए जानते हैं कि कैसे 2014 के बाद से जाति आधारित हिंसा का क्रम लगातार जारी रहा और लगातार बढ़ता ही जा रहा है।

(वर्ष 2015) डांगावास में दलित हिंसा

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान के नागौर जिले के डांगावास गांव में गुरुवार, 14 मई 2015 को जाटों और दलितों के बीच हुई झड़प में 4 लोगों की मौत हो गई और 13 घायल हो गए थे.

(वर्ष 2016) रोहित वेमुला की आत्महत्या के बाद हिंसा

18 जनवरी 2016 को हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के रोहित वेमुला की आत्महत्या ने विरोध प्रदर्शनों को हवा दे दी और पूरे भारत से आक्रोश और भारत में दलितों और पिछड़े वर्गों के खिलाफ भेदभाव के मामले के रूप में व्यापक रूप से मीडिया का ध्यान आकर्षित किया जिसमें उच्च शैक्षणिक संस्थानों को "पिछड़े वर्गों" से संबंधित छात्रों के खिलाफ जाति-आधारित भेदभाव के रूप में देखा गया।

इसी साल दूसरा मामला तमिलनाडु से दिसंबर 2016 में सामने आया। एक हिंदू मुन्नानी केंद्रीय सचिव और उसके तीन साथियों ने अरियालुर जिले के कीज़मालीगई गाँव में एक 17 वर्षीय नाबालिग दलित लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार किया और उसकी हत्या कर दी। पुलिस ने खुलासा किया कि हिंदू मुन्नानी कार्यकर्ता दलित जाति की दलित लड़की से चिढ़ गया था, जिसने उसके गर्भवती होने के बाद उससे शादी करने पर जोर दिया था। पुरुषों ने उसके गर्भ से भ्रूण को भी बाहर निकाल कर, उसका शव एक कुएं में फेंक दिया था। लड़की का शव क्षत-विक्षत अवस्था में मिला, जिसके हाथ बंधे हुए थे, और उसके सभी गहने और कपड़े छीन लिए गए थे।

(वर्ष 2017) सहारनपुर हिंसा

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में अधिक तेज संगीत बजाने को लेकर राजपूत योद्धा-राजा महाराणा प्रताप के जुलूस के दौरान ठाकुरों और दलितों के बीच हिंसा भड़क उठी। हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई, 16 घायल हो गए और 25 दलितों के घर जल गए थे। घटना सहारनपुर से बीजेपी सांसद राघव लखनपाल से जुड़ी थी।

(वर्ष 2018) समरौ हिंसा

पत्रिका न्यूज के अनुसार, 14 जनवरी 2018 की शाम को राजस्थान के जोधपुर जिले के समरौ गांव में जाटों और राजपूतों के बीच हुई झड़पों में कई निर्दोष लोगों की दुकानें और घर जला दिए गए और रावला (राजा का निवास) को तबाह कर दिया गया था।

इसी साल दूसरा मामला महाराष्ट्र से सामने आया। भीमा कोरेगांव की जीत की लड़ाई की 200 वीं वर्षगांठ को मनाने के लिए भीमा कोरेगांव में एक वार्षिक उत्सव का आयोजन किया गया था, जहां सभा में आए हुए लोगों पर हमला कर दिया गया था। बाद में, फोरम फॉर इंटीग्रेटेड नेशनल सिक्योरिटी (FINS) नामक एक थिंक टैंक, जिसमें मुख्य रूप से सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी शामिल थे, ने भीमा कोरेगांव दंगों पर एक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट ने हिंदू नेताओं मिलिंद एकबोटे और संभाजी भिड़े को सीधे तौर पर शामिल होने से बरी कर दिया। जबकि, इसने दलित कार्यकर्ताओं को दोषी ठहराया। इसने महाराष्ट्र पुलिस को "उदासीनता" और सबूतों की अनदेखी के लिए भी दोषी ठहराया था।

इसी साल तीसरा मामला, अप्रैल 2018 की शुरुआत में सामने आया। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) के लाखों लोगों ने अत्याचार अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के खिलाफ पूरे भारत में विरोध प्रदर्शन किया। इसके बाद की हिंसा में 14 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों घायल हो गए।

(वर्ष 2019) पायल तड़वी की आत्महत्या

22 मई 2019 को, 26 वर्षीय अनुसूची-जनजाति मुस्लिम स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. पायल तडवी की मुंबई में आत्महत्या से मृत्यु हो गई। अपनी मृत्यु से पहले उसने अपने परिवार को बताया था कि तीन "उच्च जाति" की महिला डॉक्टरों द्वारा उसे रैगिंग का शिकार बनाया गया था। सुसाइड से कुछ घंटे पहले, उसने कथित तौर पर अपनी मां को इस उत्पीड़न के बारे में बताया था।

इसी साल दूसरा मामला पंजाब से सामने आया। 7 नवंबर 2019 को, एक दलित सिख व्यक्ति, जिसका नाम जगमेल सिंह था, का अपहरण कर लिया गया, प्रताड़ित किया गया और उसे पेशाब पीने के लिए मजबूर किया गया, जिसके बाद संगरूर में उसकी मृत्यु हो गई। जातीय भेदभाव के मामले में उच्च जाति के सिख समुदाय के 4 लोगों द्वारा उनका अपहरण कर लिया गया और उन्हें प्रताड़ित किया गया था।

(वर्ष 2020) हाथरस में सामूहिक बलात्कार और हत्या

सितंबर 2020 में, उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में एक दलित लड़की की कथित तौर पर ठाकुर जाति के 4 लोगों ने हत्या कर दी थी।पीड़ित परिवार के अनुसार गांव के ठाकुरों ने बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और सबूत मिटाने के लिए उसकी रीढ़ की हड्डी तोड़ दी गई और अपराधियों ने उसकी जीभ काट दी। न्यूजलांड्री के अनुसार, लड़की ने अस्पताल के अंदर शूट किए गए एक वीडियो में भी यही कबूल किया है। पुलिस ने बिना पोस्ट मार्टम टेस्ट किए आधी रात को चुपके से उसके शव को जला दिया था।

(वर्ष 2021) लखबीर सिंह की लिंनचिंग और हत्या

हरियाणा में सिंघू बार्डर, सोनीपत जिले में 14 अक्टूबर 2021 की रात, तरनतारन जिले के चीमा खुर्द गाँव के एक दलित सिख मजदूर, लखबीर सिंह को किसानों के विरोध स्थल पर मौजूद निहंग सिखों द्वारा इष्ट आराध्यों के अपमान के आरोप में पीट-पीट कर मार डाला गया था। लखबीर के परिवार के सदस्यों ने कथित इष्ट आराध्यों के अपमान में उसकी भूमिका से इनकार किया था।

(वर्ष 2022) इंद्र मेघवाल की हत्या

राजस्थान के जालौर जिले में एक नौ वर्षीय दलित लड़के, जिसका नाम इंद्र मेघवाल था, को एक उच्च जाति के शिक्षक ने सिर्फ़ इसलिए पीटा की वह उनके लिए रखे पानी पीने के बर्तन को छू दिया था। शिक्षक द्वारा पिटाई के 24 दिनों बाद दलित बच्चे की मौत हो गई थी।

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