दिल्ली: स्टूडेंट्स कलेक्टिव ने कहा, “सीएए भारतीय संविधान की मूल भावना के ख़िलाफ़ है”

प्रमुख अल्पसंख्यक समुदायों, विशेष रूप से मुसलमानों को छोड़कर, धार्मिक आधार पर नागरिकता देने का निर्णय हमारे संविधान में निहित समानता, धर्मनिरपेक्षता और समावेशिता के मूल सिद्धांतों पर हमला करने जैसा है।
प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में सीएए को लेकर मीडिया को संबोधित करते स्टूडेंट्स कलेक्टिव के छात्र.
प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में सीएए को लेकर मीडिया को संबोधित करते स्टूडेंट्स कलेक्टिव के छात्र. द मूकनायक.

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (CAA) लागू करने की अधिसूचना के साथ ही देशभर में अलग-अलग जगहों पर इसका विरोध हो रहा है। दिल्ली में जामिया मिल्लिया इस्लामिया और दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संगठन भी इसके विरोध में उतर आए हैं। बुधवार को पुलिस ने दिल्ली विश्वविद्यालय में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे कई छात्रों को हिरासत में ले लिया। आज इसी को लेकर डीयू के 'स्टूडेंट्स कलेक्टिव' ने प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में सीएए के कार्यान्वयन को ख़ारिज करते हुए और शिक्षण संस्थानों में प्रोटेस्ट कर रहे छात्रों पर पुलिस की बर्बर कार्रवाई पर अपना मत रखते हुए मीडिया को संबोधित किया।

कलेक्टिव ने अपने संयुक्त बयान में कहा कि विभिन्न विश्वविद्यालयों और संगठनों के छात्र नेताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले एकीकृत मोर्चे 'स्टूडेंट्स कलेक्टिव' ने 2019 के नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लागू करने के लिए भारत सरकार द्वारा जारी हालिया गज़ट अधिसूचना का पूरी तरह से विरोध करता है। 'स्टूडेंट्स कलेक्टिव' ने कहा - “हमारा मानना है कि सीएए भारतीय संविधान की मूल भावना के सीधे तौर पर ख़िलाफ़ है।”

स्टूडेंट्स कलेक्टिव ने जारी अपने प्रेस नोट में कहा कि “प्रमुख अल्पसंख्यक समुदायों, विशेष रूप से मुसलमानों को छोड़कर, धार्मिक आधार पर नागरिकता देने का निर्णय हमारे संविधान में निहित समानता, धर्मनिरपेक्षता और समावेशिता के मूल सिद्धांतों पर हमला करने जैसा है। सीएए के कार्यान्वयन को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के साथ जोड़कर, सरकार कमज़ोर मुस्लिम अल्पसंख्यकों से नागरिकता छीनने का जोखिम उठा रही है। हम ऐसी किसी भी भेदभावपूर्ण कार्रवाई का दृढ़तापूर्वक विरोध करते हैं।”

इसके अलावा, हम इस घोषणा के समय को एक चुनावी हथकंडे से कम नहीं मानते हैं, जो समुदायों का ध्रुवीकरण करने और विभाजनकारी सांप्रदायिक एजेंडे के माध्यम से वोटों को प्रभावित करने के लिए तैयार किया गया है। यह स्पष्ट है कि सरकार को अपने “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास” के विकासात्मक एजेंडे पर भरोसा नहीं है और इसीलिए वह राजनीतिक लाभ के लिए सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने का काम कर रही है।

स्टूडेंट्स कलेक्टिव ने CAA को लेकर प्रोटेस्ट कर रहे छात्रों पर पुलिस की बर्बर कार्रवाई का विरोध करते हुए कहा कि सीएए के कार्यान्वयन से पहले, देश भर के कैंपसों में भारी पुलिस और अर्धसैनिक बलों की उपस्थिति के साथ शिक्षण संस्थानों का सैन्यीकरण करने की कोशिश की गई है। शिक्षण संस्थानों में पुलिस का दख़ल और छात्रों को मनमाने ढंग से हिरासत में लेने की घटनाएं, जैसा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) और दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) जैसे संस्थानों में देखा गया है, बेहद चिंताजनक हैं। छात्रों को निशाना बनाने में कैंपस प्रशासन और क़ानूनी एजेंसियों के बीच मिलीभगत लोकतांत्रिक सिद्धांतों और छात्र अधिकारों का खुला उल्लंघन है।

सीएए के विरोध करते हुए कलेक्टिव ने देश के नागरिकों से अपील करते हुए कहा - “सीएए के संबंध में अपने मत पर हम दृढ़तापूर्वक क़ायम हैं और संवैधानिक मूल्यों और सभी नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए सभी हितधारकों और संबंधित नागरिकों के तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हैं, चाहे उनका धर्म या पृष्ठभूमि कुछ भी हो। हम सभी न्याय-प्रेमी देशवासियों से आह्वान करते हैं कि वे हमारे राष्ट्र के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को बनाए रखने और प्रत्येक व्यक्ति के अधिकारों और सम्मान की रक्षा के लिए हमारे साथ इस अभियान में शामिल हों।”

प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में सीएए को लेकर मीडिया को संबोधित करते स्टूडेंट्स कलेक्टिव के छात्र.
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