अनमोल प्रीतम की रिपोर्ट-
पिछले साल एक नाम चर्चा का विषय बना था, वो नाम था अखलाक। अखलाक सलमानी वो शख्स है जिसका साल 2020 के अगस्त में दो लोगों ने बुरी तरह ना केवल पीटा बल्कि उसका हाथ भी काट दिया गया था। अखलाक का कहना था कि, दो लोगों ने पहले उसका नाम पूछा और फिर उसे पीटने लगे। साथ ही उसके जिस हाथ पर '786' लिखा हुआ था उसे आरी (लकड़ी काटने वाली एक तरह की ब्लेड) से काट कर अलग कर दिया। वहीं अखलाक पर भी दूसरे पक्ष ने आरोप लगाया था कि उसने एक बच्चे का अपहरण किया है और उसके साथ यौन हिंसा भी की.
इस घटना के लगभग 21 महीने बाद बीती 20 मई को फास्ट-ट्रैक ट्रायल कोर्ट का फैसला आया है। कोर्ट ने बाल यौन उत्पीड़न और अपहरण से संबंधित सभी आरोपों को खारिज करते हुए अखलाक सलमानी को बरी कर दिया है। कोर्ट ने पाया कि अखलाक सलमानी निर्दोष हैं और उन पर लगे सभी आरोप झूठे हैं।
क्या था पूरा मामला?
यह मामला अगस्त 2020 का है, जब हरियाणा के पानीपत में दो लोगों ने कथिततौर पर 28 साल के अखलाक सलमानी का हाथ काट दिया था क्योंकि उसके हाथ पर '786' लिखा हुआ था। अखलाक के बताने के बाद अखलाक के परिवार ने कथित हमलावरों के खिलाफ FIR दर्ज की। लेकिन ठीक उसी दिन हमला करने वालों ने भी अखलाक के खिलाफ क्रॉस FIR दर्ज करवाई। इसमें उन्होंने अखलाक पर आरोप लगाया कि अखलाक ने उनके परिवार के साल साल के बच्चे का अपहरण कर उसके साथ यौन उत्पीड़न किया है। जनवरी 2021 में हरियाणा पुलिस ने IPC की विभिन्न धाराओं सहित POCSO एक्ट के तहत अखलाक को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया।
कई मीडिया रिपोर्ट्स में इसे आधार बनाया गया और अखलाक के साथ हुई बर्बरता को ना केवल सही ठहराया बल्कि अखलाक को एक नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न का दोषी भी करार कर दिया गया। यह मामला साल 2020 में मुस्लिम विरोधी हिंसा का सबसे चर्चित मामला रहा।
अखलाक पर लगाए गए आरोप झूठे हुए साबित
तब से चल रहे इस मामले के फैसले में अखलाक पर लगाए गए आरोप झूठे साबित हुए। कोर्ट ने पुलिस की जांच में कई खामियों की तरफ भी इशारा किया है। पॉक्सो कोर्ट के न्यायाधीश सुखप्रीत सिंह ने पीड़ित और गवाहों के बयानों में विरोधाभास और विसंगतियों की तरफ भी इशारा किया है।
कोर्ट ने कहा, "अभियोजन पक्ष की तरफ से जो FIR दर्ज कराई गई है, वो उसी दिन कराई गई है जिस दिन अखलाक ने अपने हाथ काटे जाने की FIR दर्ज करवाई थी। साथ ही ऐसा लगता है कि (पीड़ित बच्चा) को उसके बयान के पहले सिखाया पढ़ाया गया था। ये बातें संदेह पैदा करने वाली हैं। इसके साथ-साथ अभियोजन पक्ष की तरफ से पर्याप्त सबूत पेश नहीं हो पाए। साथ ही इस जांच में (पीड़ित बच्चे) की चिकित्सीय जांच का भी अभाव दिखता है। इस अदालत का विचार है कि पीड़ित, उसके पिता और उसके चाचा के बयान विसंगतियों और विरोधाभासों से भरे हुए हैं। इसलिए अदालत ये मानती है कि उनके गवाही पर्याप्त नहीं है लिहाजा ये आरोपी को दोषी ठहराने का एकमात्र आधार नहीं हो सकता। इसलिए आरोपी को उसके ऊपर लगे आरोपों से बरी किया जाता है।"
कोर्ट ने शिकायत दर्ज कराने में लंबे समय तक देरी और अखलाक द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद शिकायत दर्ज कराने को लेकर भी सवाल उठाया। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस केस में आरोपी अखलाक वास्तव में शिकायतकर्ता पक्ष का शिकार है, जिस पर पहले हमला किया गया और फिर आरी मशीन से उसका हाथ काटकर मरने के लिए छोड़ दिया गया था। कुल मिलाकर इस फैसले से एक बात स्पष्ट हो जाती है कि अखलाक ने बच्चे का यौन उत्पीडन नहीं किया था। उस पर लगे आरोप फर्जी थे।
द मूकनायक ने इस मामले में अखलाक से बात करने की कोशिश की लेकिन अखलाक के भाई इकराम ने बताया कि, "अखलाक अभी बात करने की स्थिति में नहीं है। वह बहुत ज्यादा डरा और घबराया हुआ है। अखलाक आज भी उस घटना को भूल नहीं पाया है।"
उस दिन को याद करते हुए अखलाक के बड़े भाई इकराम बताते हैं, "हमें कुछ लोगों ने फोन कर जानकारी दी कि आपके भाई को काफ़ी चोट आई है और उसका हाथ भी कटा हुआ है। मैंने तुरंत पानीपत में अपने जानने वालों को कहा कि वो किसी तरह हमारे भाई को अस्पताल में भर्ती करवा दें। जब हम अस्पताल पहुंचे तो हमने देखा की अखलाक की हालत अत्यंत गंभीर है। उसके शरीर पर गंभीर चोट के निशान हैं। उसके शरीर के कई हिस्सों में लकड़ी के पेंच धंसे हुए थे। उसके माथे पर गंभीर चोट के निशान हैं, जैसे उसके माथे पर ईंट या पत्थर से हमला किया गया हो। उसका हाथ जिसपर '786' लिखा था उसे आरी मशीन से काट दिया गया था। अखलाक के कटे हाथ को बरामद करने के लिए हमने घटनास्थल के आसपास कई दिनों तक पूछताछ की। हमने रेलवे ट्रैक, पार्क और यहां तक की कूड़े में भी तलाशा, लेकिन हमें हाथ नहीं मिला। वहीं दूसरी तरफ हम पुलिस थाने के चक्कर लगाते रहे। हम जब भी पुलिस स्टेशन जाते हमें दुत्कार कर भगा दिया जाता था या अनसुना कर दिया जाता था। पुलिस हम पर समझौता करने का दबाव बनाती रही।"
इकराम आगे कहते हैं कि, हमारी FIR आसानी से लिखी ही नहीं गई। कई चक्कर काटने के बाद करीब दो हफ्ते बाद पुलिस ने हमारी FIR दर्ज की, लेकिन उसी दिन हमलावरों की शिकायत पर पुलिस ने मेरे भाई के खिलाफ यौन उत्पीड़न और अपहरण का केस दर्ज कर दिया ताकि हम दबाव में आकर समझौता कर लें।
वहीं इस मामले में अखलाक के वकील अकरम ने बताया कि, "एक तरह से सोची समझी और सुनियोजित तरीके से अखलाक को फंसाया गया था ताकि समझौते के लिए दबाव बनाया जा सके। अखलाक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाने वाले गवाहों और पीड़ित के बयान में काफी अंतर था। केस फ़ाइल करने से पहले पीड़ित का फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाया गया। पहले दिन से यह स्पष्ट तौर पर दिख रहा था कि यह केस फर्जी है।"
अखलाक के साथ हुई दोहरी नाइंसाफी?
अखलाक के भाई इकराम ने कहा कि मेरे भाई को मुसलमान और गरीब होने के नाते निशाना बनाया गया। मुझे कानून पर भरोसा है। अभी तो मेरे भाई के साथ इंसाफ होना बाकी है।
वे कहते हैं, "मैंने यह केस सिर्फ अपने लिए नहीं लड़ा बल्कि समाज के लिए लड़ा है। क्योंकि यह सब चीजें समाज में होनी नहीं चाहिए। आज मेरा भाई था कल कोई और होगा। हमें कभी राम के नाम पर मारा जा रहा है तो कभी गाय के नाम तो कभी मुसलमान कह कर मार रहा है। ये सब अब रूकना चाहिए।
वहीं अखलाक के वकील अकरम के अनुसार अखलाक के साथ दोहरी नाइंसाफी हुई है।
उनका कहना है कि पहले तो अखलाक को मारा गया, उसका हाथ काटा दिया गया फिर उसी को फर्जी केस में फंसाकर जेल भेज दिया गया। अखलाक ने जो जुर्म किया ही नहीं उसके लिए उसे एक साल से अधिक समय तक जेल में रहना पड़ा। जो लोग असल में दोषी हैं वो आज भी आज़ाद घूम रहे हैं। अखलाक द्वारा दायर केस में अभी तक पुलिस ने चार्जशीट भी दायर नहीं की। अखलाक द्वारा दायर FIR पुलिस ने खुद लिखी थी और जानकर इस अखलाक की तरफ से की गई FIR की भाषा और धाराओं को हल्का रखा ताकि दोषियों को बचाया जा सके। अखलाक के साथ इंसाफ तब होगा जब उसके द्वारा दायर केस में एक्शन लिया जाएगा और आरोपियों को सजा मिलेगी।
क्या था पूरा मामला
करीब दो साल पहले 23 अगस्त 2020 को यूपी के सहारनपुर जिले के ननौटा गांव का अखलाक काम की तलाश हरियाणा के पानीपत गया था। अखलाक अपने भाई के साथ बाल काटने का काम करता था। दिनभर काम की तलाश करने के बाद भी उसे काम नहीं मिला। शाम को आराम करने के मकसद से अखलाक रेलवे ट्रैक के पास एक पार्क में बेंच पर लेट गया। कुछ देर बाद दो लोग अखलाक के पास आए। वो दोनों शराब के नशे में थे। उन्होंने पहले अखलाक से उसका नाम पूछा फिर उसके ऊपर हमला कर दिया। इसमें अखलाक का एक हाथ भी काटा गया, इस मामले के बाद आरोपियों के तरफ से भी क्रॉस FIR की गई जिसका फैसला 20 मई को आया और इसमें अखलाक को बेकसूर बताते हुए बरी कर दिया गया।
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