वडोदरा की पावन संकल्प भूमि 109वें 'अंतर्राष्ट्रीय संकल्प दिवस' की बनेगी गवाह, जहां बाबासाहेब के आंसुओं ने रखी थी संविधान की नींव!
वडोदरा- वडोदरा शहर के हृदय स्थल सयाजीबाग में स्थित वह पावन स्थल, जहां डॉ. भीमराव अंबेडकर ने जातिवाद की पीड़ा को भोगते हुए एक ऐतिहासिक संकल्प लिया था, एक बार फिर देश-दुनिया की नजरों के केंद्र में है। यहां 22 और 23 सितंबर को 109वां अंतर्राष्ट्रीय संकल्प दिवस महोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। यह महोत्सव उसी पवित्र बरगद के पेड़ के नीचे आयोजित किया जाएगा, जहां बाबासाहेब ने भेदभाव के खिलाफ लड़ाई का संकल्प लिया था और जिसके इर्द-गिर्द अब गुजरात सरकार एक भव्य मेमोरियल विकसित कर रही है।
इतिहास के पन्नों को पलटें तो बात 1910s के दशक की है। महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ की मदद से उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले डॉ. अंबेडकर जब बड़ौदा राज्य सेवा में एक पद संभालने वडोदरा आए, तो उन्हें जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ा। एक पारसी धर्मशाला से उन्हें इस आधार पर निकाल दिया गया कि उनके रहने से "स्थान अपवित्र हो गया है"। हाथ में लाठियां लिए लोगों के भय के कारण उन्हें वहां से भागना पड़ा।
निराश और आहत, अंबेडकर वडोदरा रेलवे स्टेशन पहुंचे, लेकिन मुंबई जाने वाली ट्रेन में समय था। तब वे पास के सयाजीबाग में एक बरगद के पेड़ के नीचे बैठे। यहीं पर, अपमान और पीड़ा से विदीर्ण हृदय के साथ, उन्होंने टप-टप आंसू बहाए। कहा जाता है कि ठीक इसी जगह पर उन्होंने यह ऐतिहासिक संकल्प लिया: "आज से मेरा कुटुंब वह समस्त करोड़ों/असंख्या शोषण गुलामी भरा जीवन जीने वाले मानव हैं... मैं संकल्प करता हूं कि देश के मानवों में समानता, मानवता, बंधुता के स्थापत्य के लिए जीवन के अंतिम सांस तक संघर्ष जारी रखूंगा।"
इसी संकल्प को भारत के संविधान का 'अंकुर' माना जाता है।
इसी पावन स्थल पर बोधिसत्व भारत रत्न डॉ. भीमराव अम्बेडकर संकल्प भूमि ट्रस्ट, वडोदरा द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम पूरी तरह से अराजनीतिक रहेगा और 'मानव-मानव एक समान' के आदर्शों को समर्पित होगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता गुजरात के पूर्व डीजीपी और ट्रस्ट के अध्यक्ष अनिल प्रथम करेंगे।
22 सितंबर (पूर्व संध्या): दोपहर 3:00 बजे से शाम 8:00 बजे तक। पवित्र धाम पर राष्ट्रीय चिन्ह और संविधान की स्थापना, भीम वंदना, बुद्ध वंदना और एक कवि सम्मेलन आयोजित होगा।
23 सितंबर (मुख्य दिवस): सुबह 8:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक। इस दिन विषुव (Equinox) के कारण दिन और रात बराबर होते हैं, जो समानता का प्रतीक है। कार्यक्रम में बुद्ध वंदना, बाबासाहेब के चित्र पर पुष्पार्पण, सामूहिक संकल्प, मानवतावादी सांस्कृतिक कार्यक्रम, नाट्य प्रस्तुतियाँ और धम्म देशना शामिल होंगी।
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