महाराष्ट्र: दलित एक्टिविस्ट शोमा सेन क्यों थी जेल की सलाखों के पीछे, जानिए कारण?

शोमा सेन नागपुर विश्वविद्यालय की पूर्व प्रोफेसर हैं। इसके साथ ही वह दलित और आदिवासी एक्टिविस्ट भी है। उन पर भीमा कोरेगांव मामले के संबंध में कथित माओवादी संबंधों के लिए गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम 1967 (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
प्रोफेसर शोमा सेन.
प्रोफेसर शोमा सेन.

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव केस की आरोपी प्रोफेसर शोमा सेन की जमानत सशर्त मंजूर की है। वह 6 जून 2018 से जेल में बंद हैं। सेन पर कथित तौर पर माओवादी संगठनों के साथ जुड़े होने की जानकारी मिलने के बाद यूपीए के तहत मामला दर्ज किया गया था। जिसके बाद महाराष्ट्र की पुणे पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। शोमा को सुप्रीम कोर्ट ने इस शर्त पर जमानत दी है कि वह महाराष्ट्र से बाहर नहीं जाएंगी। अपने मोबाईल नम्बर के बारे में जानकारी देती रहेगी। गत बुधवार को वह मुम्बई स्थित बायकुला जेल से रिहा की गईं। इस दौरान उनके परिवार सहित तमाम सोशल एक्टिविस्ट वहां उपस्थित रहे।

पूरा मामला महाराष्ट्र का है। शोमा सेन नागपुर विश्वविद्यालय की पूर्व प्रोफेसर हैं। इसके साथ ही वह दलित और आदिवासी एक्टिविस्ट भी है। उन पर भीमा कोरेगांव मामले के संबंध में कथित माओवादी संबंधों के लिए गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम 1967 (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया था। शोमा सेन जमानत की अवधि के दौरान स्पेशल कोर्ट को सूचना दिए बगैर महाराष्ट्र से बाहर नहीं जा सकेंगी। उन्हें अपने मोबाइल नंबर के बारे में जानकारी देनी होगी।

रिहाई के बाद बेटी के साथ शोमा सेन।
रिहाई के बाद बेटी के साथ शोमा सेन।

गौरतलब है कि भीमा कोरेगांव हिंसा में उनकी कथित संलिप्तता के आरोप में पुणे पुलिस ने उन्हें 8 जून, 2018 को सुधीर धावले, महेश राउत, सुरेंद्र गाडलिंग और रोना विल्सन के साथ गिरफ्तार किया था। इन सभी पर UAPA के तहत आरोप लगाए गए थे। उनकी गिरफ्तारी का मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषण से जुड़ा है।

पुणे पुलिस का दावा है कि भाषण के अगले दिन शहर के बाहर इलाके में स्थित कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क उठी थी। सम्मेलन को माओवादियां का भी समर्थन था। बताया जाता है कि उनके माओवादियों से संबंध होने के शक में पहले से उन पर नजर रखी जा रही थी। नागपुर विश्वविद्यालय ने उन्हें सस्पेंड कर दिया था।

शोमा सेन मानवाधिकार कार्यकर्ता और दलित ऐक्टिविस्ट और अंग्रेजी साहित्य की प्रोफेसर हैं। वह नागपुर यूनिवर्सिटी के अंग्रेजी साहित्य विभाग विभागाध्यक्ष रह चुकी हैं। शोमा का जन्म और पालन-पोषण मुंबई के बांद्रा में एक उच्च-मध्यम वर्गीय बंगाली परिवार में हुआ। उन्होंने स्कूली शिक्षा सेंट जोसेफ कॉन्वेंट से पूरी की। सेन ने इसके बाद मुंबई के एलफिंस्टन कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में मास्टर की डिग्री पूरी करने के बाद नागपुर यूनिवर्सिटी से एमफील और पीएचडी की और वहीं प्राध्यापक बन गईं।

उनकी गिरफ्तारी के बाद बेटी कोमल सेन ने आरोप लगाया था कि इससे पहले कभी उन्हें न गिरफ्तार किया गया और न ही सवाल किए गए। उन्होंने दावा किया था कि धावले के अलावा गिरफ्तार किए लोगों में से किसी को शोमा नहीं जानती थीं। उन्होंने आरोप लगाया था कि उनकी गिरफ्तारियां दलितों के अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाले लोगों को चुप कराने की लिए की गई। कोमल ने कहा था कि कि देश का राजनीतिक माहौल ऐसा हो गया है कि कथित निचले समुदाय के लोगों को सुनने के लिए कोई तैयार नहीं है और जब वे बोलते हैं ति उन्हें नीचे गिराना जरूरी हो जाता है।

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