Dalit History Month: जब लालू यादव ने बाबा साहेब और लोहिया को याद करते हुए लिखी थी दिल की बात, “वोट का राज होगा तो छोट का राज होगा”

जब लालू यादव ने बाबा साहेब और लोहिया को याद करते हुए लिखी थी दिल की बात / फोटो साभार - फ़ेसबुक
जब लालू यादव ने बाबा साहेब और लोहिया को याद करते हुए लिखी थी दिल की बात / फोटो साभार - फ़ेसबुक

आज के लगभग सात साल पहले राजद (राष्ट्रीय जनता दल) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव ने अपने फ़ेसबुक पोस्ट पर बाबा साहेब और लोहिया जी को याद करते हुए जो बात लिखी थी वह आज अप्रैल के "दलित हिस्ट्री मंथ" में लोगों के बीच चर्चा में है। आईए पढ़ते हैं कि लालू यादव ने क्या लिखा था:

"मैं बेहद गरीब परिवार में जन्मा, पिताजी मामूली किसान थे। गाय, भैंस और बकरी चराने के लिए हम पिताजी के पीछे-पीछे जाते थे। हमने हर उस चीज का अनुभव किया है जो गाँव में किसान और मजदूर के बेटे को होते हैं। गाँव के उच्च वर्गों के लोग पिताजी और हमें जातिसूचक गालियों से आवाज लगाकर बुलाते थे। गर्मी के दिनों में पोखर में नहाकर सूरज की तपिश दूर भगाते थे तो जाड़े के दिनों में गन्ने के पत्तों को जलाकर आग तापते थे।

कभी नहीं सोचा था कि फुलवरिया जैसे छोटे से गाँव में मिट्टी के कच्चे घर में पल-बढ़कर और सामंतवादी सोच के लोगों के बीच से उठकर मैं बिहार का मुख्यमंत्री बन जाऊँगा। अब जब भी फुर्सत मिलती है गाँव से संबंधित सारे क्रिया-कलाप करने से खुद को अपने संस्कारों से जोड़े रखना चाहता हूँ एवं इससे असीम शांति भी मिलती है। मैं स्वंय गायों को खिलाता हूँ, नहलाता हूँ, दूध भी निकालता हूँ, घर में सब्ज़ी भी उगाता हूँ, रसोई में खाना भी बनाता हूँ। देहात के गरीब-गुरबों से बतियाना अच्छा लगता है, उनके हालात को सिर्फ समझता ही नहीं सुलझाने का भी प्रयास करता हूँ। मैं दिखावटी जीवन नहीं जीता, जैसा हूँ वैसा बोलता हूँ। मैंने कभी भी इन भाजपाई पाखंडियों की तरह अपनी गरीबी की मार्केटिंग नहीं की।

ये तो बाबा साहेब के लोकतंत्र का कमाल है। हमारे नेता लोहिया जी कहा करते थे कि "वोट का राज होगा तो छोट का राज होगा"। अग़र वोट का राज नहीं होता तो हम तो आज भी गाय, भैंस, बकरी ही चरा रहे होते।"

—राजद सुप्रीमो, लालू प्रसाद यादव

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