केरल: प्रसिद्ध दलित विचारक और लेखक के. के. कोचु का 76 वर्ष की उम्र में निधन

केरल के कोट्टायम जिले के कल्लारा में जन्मे कोचु ने अपना पूरा जीवन दलित और पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए संघर्ष को समर्पित कर दिया था।
K K Kochu
के. के. कोचु
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कोट्टायम: प्रसिद्ध दलित लेखक, विचारक और सामाजिक कार्यकर्ता के. के. कोचु का गुरुवार को 76 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह कोट्टायम के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कैंसर का इलाज करा रहे थे।

2 फरवरी 1949 को केरल के कोट्टायम जिले के कल्लारा में जन्मे कोचु ने अपना पूरा जीवन दलित और पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए संघर्ष को समर्पित कर दिया था। उनके लेखन ने इन समुदायों की समस्याओं और सामाजिक अनुभवों को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

केरल में दलित उन्नयन आंदोलन के एक प्रमुख चेहरा रहे कोचु ने लेखक, वक्ता और विचारक के रूप में अमूल्य योगदान दिया। उनके कार्यों को व्यापक स्तर पर सराहा गया और 2021 में उन्हें उनके संपूर्ण साहित्यिक योगदान के लिए केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

आपातकाल (Emergency) के दौरान उन्हें 16 दिनों तक जेल में रखा गया था और बाद में उन्हें छह महीने तक भूमिगत रहना पड़ा। 1977 में उन्होंने केएसआरटीसी (KSRTC) में क्लर्क के रूप में कार्यभार संभाला और 2001 में वरिष्ठ सहायक पद से सेवानिवृत्त हुए।

कोचु की आत्मकथा ‘दलितन’ को एक महत्वपूर्ण कृति माना जाता है। उनकी अन्य प्रसिद्ध पुस्तकों में ‘बुद्ध तक की दूरी’ (बुद्धनिलेक्कुला दूरम), ‘राष्ट्रवाद के लिए एक इतिहास पाठ’, ‘केरल इतिहास और सामाजिक संरचना’, ‘वामपंथ के बिना समय’ और ‘दंगा और संस्कृति’ शामिल हैं।

सिर्फ लेखन ही नहीं, वह सामाजिक आंदोलनों में भी सक्रिय रूप से जुड़े रहे। उन्होंने कम्युनिस्ट युवा वेदी, पीपुल्स वर्कर्स यूनियन और मनुष्यावकाश समिति (मानवाधिकार समिति) का नेतृत्व किया। 1986 में वे ज़ेडियन संगठन की केंद्रीय समिति के सदस्य बने और ज़ेडियन वीकली पत्रिका के संपादक के रूप में भी कार्य किया।

के. के. कोचु का साहित्य, सामाजिक न्याय के प्रति समर्पण और संघर्षों की विरासत केरल के इतिहास में अमिट छाप छोड़ जाएगी।

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