योगी सरकार ने अस्पतालों का नाम हिन्दी के साथ उर्दू में भी लिखने का आदेश देने पर महिला चिकित्साधिकारी को किया निलम्बित

योगी आदित्यनाथ, यूपी सीएम
योगी आदित्यनाथ, यूपी सीएम

लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक ओर जहां 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का नारा देते हैं। वहीं सूबे की योगी सरकार को एक महिला चिकित्साधिकारी का विधि सम्मत निर्णय भी अखर जाता है। इसके चलते प्रदेश के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का नाम हिंदी के साथ उर्दू में भी लिखवाने का आदेश जारी करने वाली स्वास्थ्य विभाग की अधिकारी डॉ. तबस्सुम खान को निलंबित कर दिया जाता है। खान स्वास्थ्य महानिदेशालय में संयुक्त निदेशक प्राथमिक स्वास्थ्य के पद पर तैनात हैं। चर्चा है कि डॉ. तबस्सुम खान के खिलाफ अस्पताल और स्टाफ का नाम उर्दू में लिखवाए जाने पर यह कार्रवाई हुई। आरोप है कि, महिला अधिकारी ने आदेश जारी करने से पहले आला अफसरों को विश्वास में नहीं लिया।

जानकारी के अनुसार, यूपी सरकार ने मंगलवार को संयुक्त निदेशक (स्वास्थ्य) को निलंबित कर दिया, जिन्होंने सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीएमओ) को निर्देश दिया था कि वे यह सुनिश्चित करें कि राज्य में सभी स्वास्थ्य सुविधाओं पर साइनबोर्ड 'नेमप्लेट' उर्दू में भी लिखे गए हैं। स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की कि संयुक्त निदेशक (स्वास्थ्य) डॉ. तबस्सुम खान को कर्तव्य में लापरवाही के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि, सरकारी आदेश जारी करने की प्रक्रिया का उसके द्वारा पालन नहीं किया गया था। सरकारी अस्पतालों में साइनबोर्ड और नेमप्लेट उर्दू में लिखे जाने को सुनिश्चित करने के लिए सीएमओ को निर्देश देने का आदेश भी उनके द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किए बिना जारी किया गया था।

1 सितम्बर को जारी किए निर्देश

1 सितंबर को जारी आदेश में, खान ने कहा कि उन्नाव के मोहम्मद हारून ने शिकायत की थी कि कई सरकारी विभाग राज्य की दूसरी आधिकारिक भाषा होने के बावजूद साइनेज पर उर्दू को छोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सभी सीएमओ को सलाह दी गई है कि वे सभी अस्पतालों, प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को उर्दू में भी साइनबोर्ड पर जानकारी दिए जाने के लिए, जारी आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करें।

राजनैतिक व सामाजिक संगठनों ने जताया रोष, कांग्रेस ने जारी किया बयान

अल्पसंख्यक कांग्रेस अध्यक्ष शाहनवाज आलम ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का नाम हिंदी के अलावा उर्दू में भी लिखने का निर्देश देने वाली अधिकारी डॉ. तबस्सुम खान के निलंबन को योगी सरकार की वैचारिक कुंठा की परिकाष्ठा बताया है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि योगी जी को प्रदेश की दूसरी राजभाषा के वैधानिक स्थिति की जानकारी नहीं है। यह उनकी अज्ञानता का ताजा उदाहरण है

शाहनवाज आलम ने जारी बयान में कहा कि, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस आर एम लोढ़ा ने 2014 में हिंदी साहित्य सम्मेलन बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में फैसला दिया था कि उर्दू प्रदेश की दूसरी राजभाषा है। जिसके बाद 21 अप्रैल 2015 को प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश शासन ने सभी सरकारी कार्यालयों और उपक्रमों के संकेत पट्टियों पर उर्दू के प्रयोग का निर्देश दिया था।

शाहनवाज आलम ने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट के फैसले और प्रमुख सचिव के निर्देशों का पालन करने वाले अधिकारी को तो अपने कर्तव्य पालन के लिए इनाम मिलना चाहिए था, लेकिन सांप्रदायिक कुंठा में डूबी योगी सरकार ऐसा करने वालों को काम में लापरवाही के आरोप में निलंबित कर रही है। शाहनवाज आलम ने कहा कि योगी सरकार को शायद उर्दू से इसलिए नफरत है कि इसे कांग्रेस की नारायण दत्त सरकार ने 8 अक्टूबर 1989 को दूसरे राजभाषा का दर्जा दिया था।

शाहनवाज आलम ने कहा कि, मुख्यमन्त्री जी के इर्द-गिर्द रहने वाले काबिल अधिकारियों को चाहिए कि वो उन्हें अदालतों के फैसलों और पूर्व प्रशासनिक आदेशों की जानकारी दें ताकि उनमें प्रशासनिक क्षमता विकसित हो सके और सरकार की बदनामी नहीं हो।

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

Related Stories

No stories found.
The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com