उत्तर प्रदेश: जुमे की नमाज़ के बाद हुई हिंसा में जबरन आरोपी बनाने की तैयारी में थी यूपी पुलिस! पीड़ित परिवार ने बताई सच्चाई

प्रयागराज में जुमे के बाद हुई हिंसा मामले में गिरफ्तार गुलाम गौस की दादी अपने पोते के घर लौटने की राह देखते हुए
प्रयागराज में जुमे के बाद हुई हिंसा मामले में गिरफ्तार गुलाम गौस की दादी अपने पोते के घर लौटने की राह देखते हुए

-हिंसा के बाद सादी वर्दी में घर मे घुसकर छात्र को जबरन उठा ले गई थी पुलिस
-सादी वर्दी में पहुंचे पुलिसकर्मियों पर महिलाओं को भद्दी गालियां देने का आरोप
-पुलिस द्वारा महिलाओं से अभद्रता के विरोध में उतरे पुरूष की पिटाई का आरोप

प्रयागराज। देशभर मे 10 जून को जुमे की नमाज के बाद हुए विरोध प्रदर्शन के बाद हुई हिंसा में पुलिस द्वारा कई निर्दोषों को भी आरोपी बनाकर कार्रवाई करने के लगातार आरोप लग रहे हैं। तोड़फोड़, आगजनी और विरोध प्रदर्शन के बाद हुई पुलिसिया कार्रवाई पर देशभर में सवाल उठ रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर और प्रयागराज में भी पुलिस की बर्बरता की कहानियां खुलकर सामने आ रही हैं। जिन परिजनो के पास बेगुनाही के सबूत थे, उन्हें पुलिस की यातनाएं झेलने के बाद छोड़ दिया है, लेकिन परिजन के मन में दहशत अभी भी बरक़रार है। इस पुलिसिया कर्रवाई से लोगों का कानून और न्यायपालिका में विश्वास भी खत्म होता हुआ देखा जा रहा है। लोगों के मन मे पुलिस के प्रति द्वेष और खट्टाहस देखी जा रही है।

प्रयागराज के अटाला में पुलिस ने BSC के छात्र के घर पहुंचकर उसे जबरन हिंसा का आरोपी बताकर घर से उठा लिया। परिवार द्वारा विरोध करने पर उनके साथ अभद्रता की गई। परिजनों द्वारा लगातार बेगुनाही के सबूत देने के बाद भी छात्र को 24 घण्टे से अधिक समय तक हिरासत में रखा गया। पुलिस ने जब अपनी कलई फंसते देखी तो मजबूरन छोड़ना पड़ा। पुलिस की इस कार्रवाई और यातना के कारण छात्र में इतनी दहशत भर गई कि वह 13 जून को होने वाली परीक्षा की तैयारी भी न कर सका। परीक्षा केंद्र तक जाते समय डर भरा रहा।

क्षेत्रीय निवासियों का आरोप है कि, अरशान के परिवार के पास बेगुनाही के ठोस सबूत थे तो पुलिस ने छोड़ दिया, लेकिन जिनके पास सुबूत नहीं थे पुलिस ने उन्हें जेल भेज दिया है। इस मामले में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय कुमार प्रयागराज से सम्पर्क किया गया। उनके PRO ने व्यस्त होने की बात कहीं। मामले की पूरी जानकारी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय कुमार को मैसेज के जरिये दी गई। खबर लिखने तक उनका कोई जवाब नहीं मिल सका।

विस्तार से जानिए पूरा मामला

यूपी के प्रयागराज के खुल्दाबाद क्षेत्र के अटाला में मोहम्मद अरशान अंसारी अपने मामा – अल्ताफ के घर में रहता है। 12 साल पहले अरशान के पिता मोहम्मद शमीम अंसारी की मौत हो गई थी। जिसके बाद वह अपनी मां शेबी बेगम के साथ मामा के घर पर ही रहता है। मोहम्मद अरशान अंसारी प्रयागराज के ठाकुर हर नारायण सिंह डिग्री कॉलेज में बीएससी तृतीय वर्ष का छात्र है। प्रयागराज में 10 जून शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद विरोध प्रदर्शन और फिर बवाल हुआ था। यह घटना तब हुई जब मोहम्मद अरशान दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे के बीच अपनी वनस्पति विज्ञान की परीक्षा दे रहा था।

अरशान के मामा मोहम्मद अल्ताफ अहमद अंसारी अपनी दुकान पर
अरशान के मामा मोहम्मद अल्ताफ अहमद अंसारी अपनी दुकान पर

मोहम्मद अरशान के मामा अल्ताफ अहमद अंसारी, जो इलाके में एक सामान्य व्यापारी हैं, और छोटी सी दुकान चलाते हैं— घटना का जिक्र करते हुए बताते है, "11 जून शनिवार को पूरे परिवार के लोग छत पर बैठे हुए थे। इलाके का माहौल खराब होने के कारण अरशान को भी घर से बाहर नहीं निकलने दिया था। घर का मुख्य दरवाजा बंद नहीं था। शाम करीब 6 बजे लगभग 10-12 सादी वर्दी में कुछ पुलिसकर्मी घर में घुस आए। सभी मोहम्मद अरशान को उठाकर ले जाने लगे। घर की महिलाओं ने इसका विरोध किया तो पुलिस ने महिलाओ को गाली देना शुरू कर दिया। मैंने जब इसका विरोध किया तो मेरे साथ अभद्रता और मारपीट की।"

मोहम्मद अरशान की मौसी शमीमा बेगम बताती हैं, "हम अपने भाई के साथ ही घर पर रहते हैं। मां की मौत हो चुकी है। भाई पर जिम्मेदारी है इसलिए अभी शादी भी नहीं हुई। बच्चा हमारी आंखों के सामने पला-बढ़ा है। उस दिन जब बच्चे को उठाकर ले गए तो बहुत तकलीफ हुई। अगर बच्चे ने कोई गलती की होती तो इतनी तकलीफ नहीं होती। हम पुलिस वालों से कह रहे थे भईया छोड़ दो !! छोड़ दो !! ….उन्होंने धक्का दे दिया। मुझे और मेरी बहन को मां की गलियां दी।"

अरशान का प्रवेश पत्र
अरशान का प्रवेश पत्र

सबूत होने के बाद भी पुलिस आनाकानी करती रही

परिजनों का आरोप है कि, पुलिस 11 जून को शाम लगभग 6 बजे अरशान को घर से उठाकर ले गई थी। जिसके बाद उन्होंने अरशान का एडमिट कार्ड लेकर स्थानीय पुलिस से संपर्क किया। "अपने भांजे की बेगुनाही के लिए परीक्षा प्रवेश पत्र को सबूत के रूप में दिखाया, लेकिन पुलिस ने बड़े अधिकारी के आने की बात कहकर मामले को टाल दिया। एक दिन की पुलिस हिरासत में रहने के बाद, अरशान से लिखित रूप से पत्र लेने के बाद पुलिस ने 12 जून को रविवार की रात लगभग 10 बजे उसे छोड़ दिया।" हालांकि, गिरफ्तार किए गए सभी लोग भाग्यशाली नहीं थे कि जिनके पास इस तरह के ठोस सबूत होते।

पुलिस क्षेत्रीय लोगों को कर रही परेशान

10 जून को प्रयागराज में हिंसा के दिन से सभी प्रमुख सड़कों पर तैनात वर्दीधारी पुरुषों की उपस्थिति से सादे कपड़ों में अजनबी अटाला के स्थानीय लोगों को अधिक परेशान कर रहे हैं। स्थानीय लोगों का दावा है कि, हिंसा के तुरंत बाद, सादे कपड़ों में पुलिस ने गिरफ्तारी का विरोध करने वाले परिवार के साथ दुर्व्यवहार करने के बाद उनके बच्चों को कथित तौर पर बलपूर्वक उठा लिया था। जिनके पास सबूत थे पुलिस ने उन्हें बड़ी मशक्कत के बाद छोड़ दिया। लेकिन जो सबूत नहीं दे पाए उन्हें नैनी जेल भेज दिया गया।

आरिफ के घर मे लगा CCTV और DVR गायब है
आरिफ के घर मे लगा CCTV और DVR गायब है

तीन पड़ोसी गिरफ्तार, सीसीटीवी नष्ट

आरिफ अली (31), गुलाम गौस (31), और इनायत अली (19) एक दूसरे के पड़ोस में रहते हैं। तीनों लोग जीवनयापन के लिए पेंटिंग का काम करते हैं। 11 जून शनिवार को आरिफ के घर के बाहर बने चबूतरे पर सभी बैठे हुए थे, इस दौरान सादे कपड़ों में कुछ लोगों ने उनपर हमला किया था। आरोप है कि, घटना के एक दिन बाद सादे कपड़ों में लोग सड़क पर चक्कर लगा रहे थे। "सादे कपड़ों में कुछ आदमी गली में घुसे और हमारे बच्चों को उठा लिया। जाने से पहले, उन्होंने सीसीटीवी तारों को तोड़ने की कोशिश की और डीवीआर ले गए।"

जिस दिन से हिंसा भड़की, उस दिन से पास की एक गली में रहने वाली शाहिना के ऊपर मानो विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा है। उसका पति सलीम उर्फ ​​गुड्डू, जो बिजली का सामान मैकेनिक है, शाम को घर से निकला था और उसके बाद से नहीं लौटा। तीन बच्चों की मां शाहिना ने कहा, "जब वह रात में नहीं लौटा तो मैं चिंतित हो गई। अगली सुबह मेरे भतीजे ने मुझे बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों में सलीम का नाम भी है।" सलीम परिवार का अकेला कमाने वाला है।

क्षेत्रीय निवासियों के मुताबिक सादे कपड़े में आये लोगों ने तोड़ी कार
क्षेत्रीय निवासियों के मुताबिक सादे कपड़े में आये लोगों ने तोड़ी कार

अटाला के रहने वाले बुजुर्ग रियाजुल हक चौधरी (60), के भतीजे फैजल को पुलिस ने हिंसा के आरोप में गिरफ्तार किया था। आरोप है कि, स्थानीय पुलिस ने कार्रवाई में तोड़फोड़ की। चौधरी ने टूटे शीशे वाली कारों की ओर इशारा करते हुए कहा, "उन्होंने सीसीटीवी को नष्ट करने और गलियों में खड़ी कारों और वाहनों को क्षतिग्रस्त करने की कोशिश की।" चौधरी ने कहा, "हम सरकार से उन लोगों को गिरफ्तार करने का अनुरोध करते हैं, जिन्हें हिंसा में भाग लेते देखा गया था, लेकिन गलत तरीके से गिरफ्तार और जेल में बंद लोगों को तुरंत रिहा करना चाहिए।"

प्रशासन के आश्वासन के बावजूद बाजार बंद

कभी भीड़-भाड़ वाला बाजार अब एक संघर्षग्रस्त क्षेत्र जैसा दिखता है, जहां पुलिस और अर्धसैनिक बल क्षेत्र में स्थानीय लोगों की हर गतिविधि पर नजर रखते हैं। कर्फ्यू जैसी स्थिति के बीच स्थानीय व्यापारियों में दहशत का माहौल है।

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