यूपी: आवेदन के 3 साल बाद भी बुजुर्ग किसान को नहीं मिला पीएम सम्मान निधि, आवास योजना और उज्ज्वला योजना से भी वंचित

बुजुर्ग किसान रामचंदर मौर्य (70) / फोटो - सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक
बुजुर्ग किसान रामचंदर मौर्य (70) / फोटो - सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक

2019 में गांव के सभी लोगों ने PM किसान सम्मान निधि योजना में आवेदन किया था। वृद्ध किसान को PM आवास योजना का भी लाभ नहीं मिल सका, खपरैल के बने घर में जीवन गुजारने को मजबूर है किसान। उज्जवला योजना के अभाव में चूल्हे पर खाना बनाना पड़ता है।

उत्तर प्रदेश/सोनभद्र। देश के प्रधानमंत्री द्वारा किसानों और ग्रामीणों के लिए लागू की गई योजनाओं का लाभ अभी भी कुछ लोगों को नहीं मिल सका है। प्रधान, ब्लॉक और तहसील के अधिकारियों की हीलाहवाली के कारण किसान और ग्रामीण इन योजनाओं से वंचित रह जाए रहे हैं। यूपी के सोनभद्र में भी ठीक ऐसा मामला सामने आया है। योजना के तहत आवेदन के बाद भी गरीब किसान को पीएम सम्मान निधि योजना का लाभ नहीं मिल सका है। किसान को प्रधानमंत्री आवास योजना, और उज्ज्वला योजना का भी लाभ नहीं मिल पाया है, जिससे बुजुर्ग किसान की पत्नी चूल्हे पर खाना बनाने पर मजबूर हैं।

2019 में, किसान ने सम्मान निधि योजना के लिए आवेदन किया था, जिसमें उसे पात्र घोषित कर दिया गया था लेकिन अब तक इस योजना का लाभ नहीं मिल सका है। बुजुर्ग किसान इस योजना का लाभ पाने के लिए अभी भी ब्लॉक और तहसील के चक्कर काट रहा है।

क्या है पूरा मामला? 

यूपी के सोनभद्र के घोरावल ब्लॉक में स्थति महुखर गांव लगभग 600 बीघा जमीन पर बसा हुआ है। गांव में लगभग 40 ग्रामीणों के घर मौजूद हैं। इन चालीस घरों में लगभग 200 लोग रहते हैं। इसी गांव में बुजुर्ग किसान रामचंदर मौर्य (70) अपने परिवार के साथ रहते हैं। रामचंदर के दो बेटे हैं। दोनों बेटों की शादी हो चुकी है। दोनों अपने परिवार के साथ अलग रहते हैं। जबकि, रामचंदर अपनी पत्नी तपेसरी (58) के साथ ही रहते हैं। आज भी रामचंदर का कच्चा घर बना हुआ है। उनके घर टूटे हुए खपरैल से सजी हुई एक छत है, जो मिट्टी के दीवारों पर टिकी हुई है। यह दीवारें भी दिखने में एकदम जर्जर हैं, मानो आज ही गिर जाएंगी। पानी और धूप से बचने के लिए रामचंदर ने प्लास्टिक के तिरपाल को एक बांस के सहारे लगाकर टूटे हुए घर को सहारा दिया हुआ है। रामचंदर इसी घर मे अपनी पत्नी के साथ अपने जीवन के बचे हुए पल बिता रहे हैं। उनके पास लगभग ढाई बीघा खेती है, जिससे उनका और उनके दोनों बेटों का परिवार का किसी तरह गुजारा हो पाता है।

अभी तक नहीं मिला पीएम किसान सम्मान निधि योजना का लाभ

पीएम किसान निधि योजना देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लागू की थी। इस योजना के तहत हर किसान को साल में छह हजार रुपये केंद्र सरकार की ओर से किसानों को पेंशन की तरह दिए जाते हैं। इसकी राशि हर चार महीने में दो हजार रुपये सीधे किसान के खाते में भेजी जाती है। रामचंदर ने भी इस योजना का लाभ उठाने के लिए सभी गांव वालों के साथ 2019 में योजना में आवेदन किया था। रामचंदर बताते हैं, "7 अक्टूबर 2019 में मेरा नाम किसान सम्मान निधि में नाम आ गया था। मुझे इस योजना का पात्र घोषित किया गया था, लेकिन तीन साल बीतने को हैं और आज तक फूटी कौड़ी भी खाते में नहीं भेजी गई। गांव के अन्य लोगों और रिश्तेदारों के खातों में यह पैसा लगातार आ रहा है।"

रामचंदर ने बताया कि, वह इस योजना को पाने के लिए सैकड़ों बार तहसील और ब्लॉक का चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती है। हर बार यही कहकर लौटा दिया जाता है कि फाइल लखनऊ से रुकी है।

पीएम आवास योजना का लाभ भी नहीं मिला

रामचंदर अपने कच्चे और टूटे हुए घर की तरफ इशारा करते हुए बताते हैं, "देखो भैया इतनी तकलीफ में दिन गुजारना पड़ रहा है। गांव में कई लोगों को कालोनी मिल गई है लेकिन मुझे आज तक नहीं मिल सकी।"

रामचंदर आगे अपनी पीड़ा बताते हुए कहते हैं, "कालोनी के लिए कई बार नाम भेजा गया लेकिन कालोनी नहीं दी गई। बारिश के दिनों में छत टपकने लगती है। कमरे में कीचड़ को रोकने के लिए बाल्टी और तसला लगाना पड़ता है। ज्यादा बारिश होने पर पानी घर के अंदर भी घुस जाता है।"

उज्ज्वला योजना से भी वंचित

रामचंद्र कहते हैं, "मेरी पत्नी आज भी चूल्हे पर खाना बनाती है। बारिश के दिनों में लकड़ी गीली हो जाने के कारण खाना बनाने में तकलीफ होती है। उज्ज्वला गैस के लिए आवेदन किया गया था लेकिन नहीं मिला। बड़े बेटे मुलायम मौर्य की जब शादी हुई तो उसकी पत्नी को उज्ज्वला गैस का लाभ मिला, लेकिन वह अब अपने परिवार के साथ अलग रहता है। 

गांव के 40 मकानों में 12 को मिली कालोनी 

गांव के प्रधान गुड्डू यादव बताते हैं कि, महुखर गांव में कुल 40 मकान हैं। जिनमे 4 लोगों के मकान पहले से ही पक्के बने हुए हैं। लगभग 12 परिवारों को कालोनी मिल पाई है। गांव के रहने वाले प्रह्लाद, रामचंदर मौर्य, तेज बली, नवचन्द्र धारी, डथारू सहित कई अन्य लोगों के मकान अभी भी कच्चे बने हैं। इन परिवारों को कालोनी दिलवाने के लिए ब्लॉक में लिस्ट भेजी गई है। ब्लॉक के अधिकारियों की जांच और देरी के कारण ग्रामीणों को समस्या उठानी पड़ रही है।

क्या बोले जिम्मेदार!

मामले पर जिलाधिकारी सोनभद्र चन्द्र विजय ने द मूकनायक को बताया, "मामले की जांच करवाई जाएगी। जिन लोगों को भी इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल सका है, उनसे सम्पर्क उनकी समस्या का समाधान किया जाएगा।"

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