यूपी: घूस नहीं देने पर दलित युवक को जातिसूचक गालियां और धमकी, दर्ज हुआ मामला

यूपी: घूस नहीं देने पर दलित युवक को जातिसूचक गालियां और धमकी, दर्ज हुआ मामला

मातृ शिशु एवं बालिका योजना में घूस लेने के मामले में कोर्ट के आदेश पर श्रम प्रवर्तन अधिकारी सहित अन्य के खिलाफ मामला दर्ज।

लखनऊ। यूपी के कासगंज में मातृ शिशु एवं बालिका योजना में एक दलित परिवार के व्यक्ति द्वारा आवेदन करने पर ₹300 घूस ली गई। मामले की शिकायत जिलाधिकारी से की गई। शिकायत का संज्ञान लेकर जिलाधिकारी ने जांच के आदेश दिए।

पीड़ित व्यक्ति अपने मामले को लेकर श्रम आयुक्त कार्यालय गया हुआ था। जिला अधिकारी से शिकायत करने पर नाराज श्रम प्रवर्तन अधिकारी सहित अन्य लोगों ने उसे कथित रूप से जातिसूचक गालियां दीं और उसे धमकाया भी। मामले की शिकायत क्षेत्रीय थाने में की गई। एफआईआर दर्ज नहीं हुई। इस पर पीडि़त ने कोर्ट की शरण ली। इस मामले में करीब एक साल बाद गत 24 जुलाई 2022 को कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज किया गया।

क्या है पूरा मामला?

यूपी में कासगंज के थाना रामपुर क्षेत्र के चौबारा गांव निवासी विकास बाबू ने 5 अक्टूबर 2021 को श्रम विभाग में मातृ शिशु एवं बालिका योजना के तहत आवेदन किया था। श्रम कार्यालय में तैनात लिपिक पर आरोप है कि आवेदन जमा करने के एवज में ₹300 शुल्क जमा कराया। आवेदन के लिए कोई पैसा नहीं पड़ता है। विकास ने यह बात पूछी। लिपिक ने नाराज होकर 2 महीने बाद आने को कहा। 29 नवंबर 2021 को विकास अपनी भाभी अंजली के साथ श्रम कार्यालय गया था। इस बार फिर लिपिक ने योजना के तहत मिलने वाली राशि का 30 प्रतिशत घूस के रूप् में देने की मांग की। वहीं काम 15 दिसंबर तक पूरा हो जाने की बात कही। जब विकास ने विरोध किया तो लिपिक ने बिना घूस के पैसे दिए काम करने से मना कर दिया। विकास ने इसकी शिकायत ट्वीट के जरिए जिलाधिकारी कार्यक्रम को की। जिलाधिकारी ने जांच श्रम विभाग में तैनात अधिकारी को दी।

श्रम प्रवर्तन अधिकारी अशोक पांडे ने 8 दिसंबर 2021 को दोपहर विकास बाबू को कार्यालय बुलाया था। इस दौरान वहां आरोपी लिपिक अमित कुमार, मूलचंद व रामवीर भी मौजूद थे। सभी ने विकास का विरोध करते हुए उसे जातिसूचक गालियां दीं। उसपर मारने के लिए हाथ भी उठाया। सभी ने पीड़ित को कथित रूप से धमकी भी दी। इस दौरान किसी काम से श्रम कार्यालय आए परिचित राज कपूर व राजेश कुमार ने विकास को सभी के चंगुल से बचाया।

पूरी घटना से अवगत कराने के लिए पीड़ित ने जिलाधिकारी को फोन किया, लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी। पूरे मामले की जानकारी पीड़ित ने 13 दिसंबर 2021 को डाक के जरिए सभी अधिकारियों को दी। लेकिन इस मामले में कोई भी सुनवाई नहीं हुई। मामले की शिकायत पुलिस अधीक्षक कासगंज को डाक के जरिए की गई। लेकिन फिर भी कोई सुनवाई नहीं हुई। विवश होकर विकास ने एससी/एसटी कोर्ट में इस्तगासा दायर किया। इस अपील को स्वीकार करते हुए 13 मई 2022 को विशेष न्यायाधीश अनुसूचित जाति/जनजाति अधिनियम कासगंज ने श्रम प्रवर्तन अधिकारी सहित अन्य पर मुकदमा दर्ज करने के आदेश दे दिया।

कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने सभी के खिलाफ 24 जुलाई 2022 को आईपीसी की धारा 323, 504, 506, व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988, की धारा 7 व 13 अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिनियम 1989 की धारा 3 (1) (द) व 3(1) (ध) के तहत मुकदमा दर्ज कर पुलिस मामले की जांच कर रही है।

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