यूपी में गत पांच सालों में 37.60 प्रतिशत भागीदारी के साथ 6 करोड़ 53 लाख महिलाओं को मिला रोजगार
नई दिल्ली। चाहे फाइटर जेट उड़ान हो, ऑटो रिक्शा चलाना हो, मकान बनाना या फिर सड़क बिछाना। महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी हिस्सेदारी को बढ़ा रही हैं। इसी क्रम में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना कानून (मनेरगा) में भी पिछले कुछ सालों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। इसमें उत्तर प्रदेश में गत पांच सालों में 37.60 प्रतिशत भागीदारी के साथ 6 करोड़ 53 लाख महिलाओं को रोजगार मिला है।
2017 से पहले यूपी का था खराब प्रदर्शन
यूपी राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2022-23 में मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी में बढ़ोत्तरी हुई है। यह आकंड़ा बढ़कर 37.60 प्रतिशत तक पहुंच गया है। ग्रामीण रोजगार योजना में साल 2019-20 में महिलाओं की भागीदारी 34.28 प्रतिशत थी, जो 2022-23 में बढ़कर 37.60 प्रतिशत हो गई है।
आपको बता दें कि, साल 2017 से पहले यूपी मनरेगा योजना में महिलाओं की भागीदारी के मामले में सबसे खराब प्रदर्शन कर रहा था। लेकिन पिछले साढ़े पांच साल में महिला लाभार्थियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
महिलाओं को प्राथमिकता से दिया गया काम
योजना के तहत साल 2022-23 के दौरान 1738.41 लाख व्यक्तियों को काम दिया गया। जिसमें से 653.64 लाख महिलाएं थीं। इसमें महिलाओं की भागीदारी 37.60 प्रतिशत रही। वहीं साल 2021-22 में कुल व्यक्तियों को कार्य दिवस के तहत 3945.41 लाख व्यक्तियों को रोजगार दिया गया। जिसमें से 1325.26 महिलाएं थीं। जिनका प्रतिशत 33.59 है।
महिला साथियों को दी नियुक्ति
मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा महिला साथियों की नियुक्ति की जा रही है। महिला साथी मनरेगा की नौकरियों के लिए कार्यस्थलों पर प्रबंधन व पर्यवेक्षण का काम करती हैं। ताकि महिलाएं रोजगार के लिए बिना किसी भय के आवेदन कर सकें।
इसके लिए आजीविका मिशन के तहत गठित स्वयं सहायता समूहों (सेल्फ हेल्प ग्रुप) से महिलाओं का चयन किया जा रहा है। अभी तक 35,000 महिला साथियों को रोजगार प्रदान करने का लक्ष्य दिया गया है। जिसके तहत 16,660 महिलाओं को काम मिला है। इस प्रकार के आंकड़ों से एक सकारात्मक पहल का पता चल रहा है। जहां मनरेगा में भी महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के बराबर पहुंचने वाली है।
कार्य अवधि को दो सौ दिन बढ़ाने की मांग
आपको बता दें कि, मनरेगा योजना के तहत ग्रामीणों को 100 दिन की रोजगार गारंटी दी जाती है। ताकि वह अपना जीवनयापन कर सकें। यह योजना "राइट टू वर्क" के अंतर्गत आती है। जिसके तहत ग्रामीणों को अच्छे जीवन यापन के लिए उन्हें रोजगार दिया जाता है। इसमें परिवार के सभी वयस्क सदस्य इसका लाभ ले सकते हैं। जिसके लिए लाभार्थियों को जॉब कार्ड बनवाना पड़ता है।
मनरेगा योजना के अनुसार लगभग एक तिहाई महिलाएं इसकी लाभार्थी होंगी। जो काम के लिए अप्लाई कर सकती हैं। फिलहाल मनरेगा के तहत सिर्फ 100 दिन ही काम मिलता है। कोरोना के बाद कुछ सामाजिक संगठन कार्य अवधि को 100 दिनों से बढ़ाकर 200 दिनों तक करने की केंद्र सरकार से गुहार लगाई थी। साथ ही इसमें मेहनताना का भी जिक्र किया है।
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