उत्तरप्रदेश में एक ही दिन सीवर सफाई के दौरान 4 सफाईकर्मियों ने गंवाई जान

उत्तरप्रदेश में एक ही दिन सीवर सफाई के दौरान 4 सफाईकर्मियों ने गंवाई जान

29 मार्च को लखनऊ के गुलाबनगर में बिना किसी सुरक्षा उपकरण के सीवर सफाई के लिए उतरे दो सफाईकर्मियों की मौत हो गयी। मृत सफाईकर्मियों का नाम करण और पूरन बताया जा रहा है। साथ मे काम करने वाले अन्य सफाई कर्मचारियों एवं परिजनों का आरोप है कि सीवर सफाई का ठेका लेने वाली कंपनी स्वेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजर अमित ने करण और पूरन को नौकरी से निकाल देने की धमकी देकर उन्हें जबरदस्ती बिना किसी सुरक्षा उपकरण के सीवर में उतरने को मजबूर किया। दोनों सफाईकर्मी सीवर के अंदर लगभग 3 घण्टे तक फंसे रहें जहाँ जहरीली गैस से घुटन के कारण उनकी मौत हो गयी।

मृत सफाईकर्मी करण और पूरन
मृत सफाईकर्मी करण और पूरन

दोनों सफाईकर्मियों के मौत के बाद उनके परिजनों ने घण्टों तक मुआवजे और नौकरी के लिए हंगामा किया, अपना ट्यूमर का ऑपरेशन कराकर 5 दिनों से आईसीयू में इलाजरत भीम आर्मी के संगठन सचिव अनिकेत धानुक भी अपने स्वास्थ्य की चिंता किए बगैर परिजनों के साथ न्याय के लिए खड़े हुए, बाद में अधिकारियों ने मृत परिजनों को 20-20 लाख की मुआवजे राशि और आश्रित परिजनों को नौकरी देने का ऐलान किया।

मौके पर भीम आर्मी के अनिकेत धानुक
मौके पर भीम आर्मी के अनिकेत धानुक

रायबरेली में भी सफाई के दौरान दो सफाईकर्मियों ने गंवाई जान

लखनऊ से पहले उत्तरप्रदेश के रायबरेली में भी बीते मंगलवार को सीवर सफाई के दौरान दो सफाईकर्मीयों की मौत हो गयी। वहाँ भी सफाई का ठेका लेने वाले कम्पनी के ऊपर जबरन बिना किसी सुरक्षा उपकरण के सफाईकर्मियों को सीवर में भेजने का आरोप है।

हादसे के 24 घण्टे बाद परिजनों से मिलने पहुँचें डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक
हादसे के 24 घण्टे बाद परिजनों से मिलने पहुँचें डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक

उत्तरप्रदेश में एक ही दिन 4 सफाईकर्मियों के सीवर में जान गंवाने के बाद डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक लखनऊ में मृत सफाईकर्मियों के परिजनों से मिलने पहुँचें और दोषियों के खिलाफ सख़्त कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया।

भीम आर्मी के चंद्रशेखर आजाद ने सरकार से मृत सफाईकर्मियों के परिजनों को 50-50 लाख मुआवजे राशि देने की और दोषी अधिकारियों पर सख़्त कारवाई की माँग है, चंद्रशेखर से ने कहा कि इस सफाईकर्मियों की मौत हुई नहीं बल्कि हत्या की गयी है'

सीवर सफाई के दौरान देश के किसी ना किसी हिस्से से ऐसे ही दर्दनाक कहानियां अक्सर सामने आते रहती है, ऐसे घटनाओं पर रोक लगाने के लिए जरूरी कवायद करने के बजाय सरकार को संसद में खड़े होकर झूठे आंकड़े देना ज्यादा आसान लगता है, 15 मार्च को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि मैला ढोने के काम में लगे होने के कारण किसी की मौत होने की रिपोर्ट सामने नहीं आई है।

केंद्र सरकार भले ही स्वच्छ भारत अभियान के नाम पर हजारों करोड़ खर्च करने का दावा करती है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के सख़्त आदेश के बावजूद भी सीवर सफाई के लिए वैकल्पिक रास्ते नहीं अपनाए जा रहे।

कानूनी रूप से भारत में प्रतिबंधित है बिना किसी के उपकरण के सीवर सफाई

मैनुअल स्कैवेंजर्स अधिनियम, 2013" के तहत मैनुअल स्कैवेंजिंग (हाथ से मल उठाने की प्रक्रिया) को पूरी तरह प्रतिबंधित किया गया है। इस अधिनियम के तहत नालियों, सीवर टैंकों, सेप्टिक टैंकों को बिना किसी सुरक्षा उपकरण के सफाईकर्मियों से साफ करवाना या इस कार्य के लिये लोगों को रोज़गार देना एक दंडनीय अपराध है।

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अनुसार, सरकार के पास 43,797 लोगों पर जाति-संबंधी आंकड़े हैं, जो हाथ से मैला ढोने में लगे हैं, जिनमें से 42,500 से अधिक अनुसूचित जाति के हैं। राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में, सामाजिक न्याय और अधिकारिता के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री, रामदास अठावले ने कहा कि हाथ से मैला ढोने वालों में से 42,594 (97.25 प्रतिशत) एससी से, 421 एसटी से और 431 ओबीसी से हैं।

भारत की ब्राह्मणवादी व्यवस्था भी है जिम्मेदार

सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज द्वारा वर्ष 2021 में जारी की गयी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे भारत में साफ – सफाई से जुड़े कार्य मुख्यतः जातीय उत्पीड़न का एक संस्थागत रूप है, इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की ब्राह्मणवादी सामाजिक व्यवस्था दलितों को इंसानों के मल उठाने जैसे सबसे प्रदूषणकारी कार्य सौंपती है इसका ऐतिहासिक प्रमाण नारद संहिता और वाजसायनी संहिता जैसे प्राचीन ग्रंथों में इसका प्रमाण मिलता है।

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