राजस्थान: गांव के सरकारी स्कूल को प्राइवेट स्कूल की तरह चमकाने के लिए आदिवासी किसानों ने किया ये काम..

सवाईमाधोपुर जिले के किसानों ने सरसों की तूड़ी (वेस्ट) की नीलामी कर एकत्र किए गए रुपयों को सरकारी विद्यालय के विकास के लिए सौंपा
भूरिपहाड़ी स्कूल
भूरिपहाड़ी स्कूल फाइल फोटो

जयपुर। बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के ’शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो’ के ध्येय वाक्य से प्रेरणा लेकर पूर्वी राजस्थान के सवाईमाधोपुर व आस-पास के जिलों के आदिवासी किसानों ने ग्रामीण इलाकों में शिक्षा की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए महती पहल की है। इसके तहत सरसों फसल की तूड़ी ’वेस्ट’ से प्राप्त आमदनी को अब किसान शिक्षा विकास के लिए काम लेने लगे हैं। ग्रामीणों के इस कदम की हर तरफ तारीफ हो रही है।

अब तक ग्रामीण अपने गांव की सरसों फसल की तूड़ी को सार्वजनिक रूप से नीलाम कर इससे प्राप्त आमदनी को मंदिर निर्माण व धार्मिक कार्यों में खर्च करते रहे हैं, लेकिन अब ग्रामीणों ने इस राशि को शिक्षा के विकास पर खर्च करने की शुरुआत कर दी है। विशेष कर सवाईमाधोपुर जिले में आदिवासी बाहुल्य गांवों में महिला जनप्रतिनिधि भी सरसों की तूड़ी से प्राप्त आय को शिक्षा के विकास पर खर्च करने के लिए जनजागरूकता अभियान चला रही हैं। इसके सार्थक परिणाम भी आने लगे हैं।

महिला जागरूकता का ही परिणाम है कि पूर्वी राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले की पंचायत समिति मलारना डूंगर की ग्राम पंचायत गम्भीरा व पंचायत समिति सवाईमाधोपुर की ग्राम पंचायत भूरीपहाड़ी में ग्रामीणों ने सर्वधर्म व जाति के लोगों की सहमति से सरसों की तूड़ी नीलाम की है। इससे प्राप्त राशि को शिक्षा के विकास पर खर्च किया जाएगा।

मुख्यमंत्री जनसहभागिता योजना के तहत मिलता है रिफंड

पंचायत समिति प्रधान देवपला मीणा ने बताया विद्यालय विकास के लिए सरसों फसल की तूड़ी नीलामी से प्राप्त राशि खर्च करना ग्रामीणों का सराहनीय कदम है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री जनसहभागिता योजना के तहत राज्य सरकार के फंड में राशि जमा कराने पर सरकार डेढ़ गुना अधिक राशि के साथ ग्रामीणों की जमाराशि वापस करती है। यह योजना विद्यालय विकास के लिए कारगर साबित हुई है। उन्होंने कहा कि सवाईमाधोपुर जिला कलक्टर सुरेश कुमार ओला भी इसे लेकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। जिन गांवों में महिला जनप्रतिनिधि हैं वह भी शिक्षा की आधारभूत संरचना विकास के लिए बेहतर काम कर रही हैं।

सरसों की तूड़ी
सरसों की तूड़ी

सरसों तूड़ी बिक्री से मिले 18 लाख 51 हजार

ग्राम पंचायत मुख्यालय भूरिपहाड़ी में आदिवासी मीणा जाति के साथ अन्य समाज के लोगों ने 4500 बीघा भूमि में सरसों फसल की बुवाई की। सरसों से निकलने वाली तूड़ी वेस्टेज को सर्वसम्मति से 18 लाख 51 हजार रुपए में नीलाम किया गया है।

पंचायत समिति सदस्य नारंगी देवी मीणा ने द मूकनायक को बताया कि इससे पूर्व भी सर्वसमाज धर्म व जाति के लोगों की सहमति से सरसों तूड़ी को बेच कर प्राप्त राशि को गांव के मंदिरों के विकास व अन्य धार्मिक कार्यों में खर्च करते थे। नारंगी देवी कहती है कि इस बार उन्होंने गांव के युवा व बुजुर्गों के समक्ष सरकारी विद्यालय की जर्जर स्थिति का जिक्र करते हुए तूड़ी से प्राप्त राशि को विद्यालय विकास पर खर्च करने का प्रस्ताव रखा था। पंचों ने इस प्रस्ताव पर विचार करने के बाद सभी को सरसों तूड़ी से प्राप्त राशि को इस वर्ष विद्यालय विकास पर खर्च करने का मन बना लिया।

गांव के ही अशोक राज मीणा कहते हैं कि यह अच्छी पहल है। इससे हमारे गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय भवन की दशा सुधरेगी। वर्तमान में विद्यालय के कक्षों की छतों से पानी टपकता है। प्रार्थना सभा स्थल भी खस्ताहाल है। चारदीवारी निर्माण व फर्नीचर की भी जरूरत है। उन्होंने कहा कि तूड़ी से प्राप्त राशि को प्रधानाचार्य ठंड़ीराम मीणा व विद्यालय विकास समिति अध्यक्ष भजन लाल मीना के द्वारा जिला कलक्टर के माध्यम से पहले मुख्यमंत्री जनसहभागिता योजना में जमा करवाएंगे। इसके बाद प्राप्त सम्पूर्ण राशि को केवल शिक्षा के विकास पर खर्च करेंगे।

सवाईमाधोपुर, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय गम्भीरा
सवाईमाधोपुर, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय गम्भीरा

गम्भीरा गांव के लोग भी नहीं रहे पीछे

ग्राम पंचायत गम्भीरा के किसानों की सरसों की तूड़ी की नीलामी से प्राप्त राशि को भी इस बार विद्यालय विकास पर खर्च किया जाएगा। प्रधान देवपाल मीणा ने बताया कि दो वर्ष पूर्व भी ग्रामीणों ने गांव के किसानों की सरसों की तूड़ी सामूहिक नीलामी से प्राप्त राशि 8 लाख रुपए मंदिर निर्माण के लिए पंचों के पास सुरक्षित रखे हैं। इस बार तूड़ी नीलामी से प्राप्त राशि विद्यालय विकास पर खर्च करेंगे।

राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय गम्भीरा प्रधनाचार्य बनवारी लाल मीना ने बताया कि गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय गम्भीरा का स्कूल जर्जर अवस्था में है। कक्षा कक्षों की छतों की पट्टियां टूटी हुई हैं। कुछ कमरों में लकड़ी की बल्लियां लगा कर रोक रखी हैं। स्कूल की स्थिति से प्रधान देवपला मीना व सरपंच मोहन बाई मीणा को अवगत कराया था। इस पर दोनों जनप्रतिनिधियों ने विद्यालय विकास के लिए कुछ करने का आश्वासन दिया था।

गम्भीरा सरपंच मोहन बाई ने बताया गांव के राजकीय स्कूल की जर्जर स्थिति की जानकारी मिलने पर पंचों के सामने बात रखी थी। इस पर पंचों ने सार्वजनिक रूप से सरसों की तूड़ी बेचने की सहमति दी है। इस मसले पर सभी किसानों की राय से सरसों तूड़ी नीलाम कर दी गई है। उन्होंने कहा कि हमने पहले गांव के किसानों की तूड़ी सर्वसम्मति से भगवान के मंदिर के लिए बेची है। अब शिक्षा के मंदिर के नीलाम करेंगे। सरपंच मोहन बाई ने कहा कि शिक्षा भी जरूरी है। स्कूल के भवन सही होंगे तो बच्चों को शिक्षा में कोई व्यवधान नहीं होगा।

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