जनजातीय समाज के योगदान का हो उचित सम्मान; आदि महोत्सव में पीएम मोदी

कार्यक्रम में 200 से अधिक स्टालों में देश भर की जनजातियों की समृद्ध और विविध विरासत को प्रदर्शित किया जाएगा।
आदि महोत्सव में जनजातीय समाज द्वारा पारंपरिक नृत्य का प्रदर्शन
आदि महोत्सव में जनजातीय समाज द्वारा पारंपरिक नृत्य का प्रदर्शनफोटो साभार- @narendramodi

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में मेगा नेशनल ट्राइबल फेस्टिवल "आदि महोत्सव" का उद्घाटन किया। उन्होंने आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा को भी पुष्पांजलि अर्पित की। इस दौरान उनके साथ केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा भी मौजूद रहे।

इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 21वीं सदी का भारत 'सबका साथ, सबका विकास' के मंत्र पर चल रहा है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले 8-9 सालों में आदिवासी समुदाय से जुड़े आदि महोत्सव जैसे आयोजन देश के लिए एक अभियान बन गए हैं। मैं खुद ऐसे कई कार्यक्रमों का हिस्सा बनता हूं। आदिवासी समुदाय का कल्याण मेरे लिए व्यक्तिगत संबंधों और भावनाओं का विषय भी है।

मेगा नेशनल ट्राइबल फेस्टिवल में आदिवासी समुदाय के लोगों द्वारा प्रदर्शन
मेगा नेशनल ट्राइबल फेस्टिवल में आदिवासी समुदाय के लोगों द्वारा प्रदर्शनफोटो साभार- @narendramodi

जनजातीय समाज के योगदान का हो उचित सम्मान

पीएमओ ने जानकारी देते हुए बताया कि, प्रधानमंत्री मोदी देश की जनजातीय आबादी के कल्याण के लिए कदम उठाने में सबसे आगे रहे हैं और वह देश के विकास में उनके योगदान का उचित सम्मान भी करते हैं। आदिवासी संस्कृति, शिल्प, व्यंजन, वाणिज्य और पारंपरिक कला की भावना का जश्न मनाने वाला आदि महोत्सव, जनजातीय मामलों के मंत्रालय के तहत जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ लिमिटेड (ट्राइफेड) की एक वार्षिक पहल है।

इस साल इस कार्यक्रम का आयोजन 16 से 27 फरवरी तक दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में किया जा रहा है। पीएमओ के मुताबिक कार्यक्रम स्थल पर 200 से अधिक स्टालों में देश भर की जनजातियों की समृद्ध और विविध विरासत को प्रदर्शित किया जाएगा। कार्यक्रम में वाणिज्य और पारंपरिक कला की भी झलक दिखेगी।

जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि पीएम मोदी ने जनजातीय मामलों के मंत्रालय के लिए इस लक्ष्य के साथ बजट आवंटित किया है कि जैसे ही हम आजादी का अमृत महोत्सव में प्रवेश करते हैं, जनजातियों और आदिवासी क्षेत्रों की समस्याओं को 2047 तक हल किया जाना चाहिए।

वाणिज्य व पारंपरिक कलाओं के स्टाल पर पीएम मोदी
वाणिज्य व पारंपरिक कलाओं के स्टाल पर पीएम मोदीफोटो साभार- @narendramodi

वाणिज्य और पारंपरिक कला की झलक 

जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा के मुताबिक आदिवासियों के उत्पादों को बाजार उपलब्ध करवाने और उनकी कला-संस्कृति को पहचान दिलाने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इस महोत्सव में आदिवासी शिल्प, संस्कृति, व्यंजन और व्यापार से सीधे रूबरू होने का मौका मिलेगा। हस्तशिल्प, हथकरघा, मिट्टी के बर्तन, आभूषण आदि यहां के आकर्षण का केंद्र होंगे। 

उठा सकेंगे आदिवासी जायके का लुत्फ 

11 दिवसीय मेले में 28 राज्यों के लगभग 1000 आदिवासी कारीगर और कलाकार शामिल होंगे। 13 राज्यों के आदिवासी रसोइए मिलेट्स में जायके का तड़का लगाएंगे, जिसमें रागी हलवा, कोदो की खीर, मांडिया सूप, रागी बड़ा, बाजरा की रोटी, बाजरा का चुरमा, मडुआ की रोटी,वा रोटी, भेल, कश्मीरी रायता, कबाब रोगन जोश का जायका खास तौर पर मिलेगा। इसके अलावा तमिलनाडु, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर के आदिवासी जायके का लुत्फ भी मिलेगा।

200 से अधिक स्टाल लगाए जाएंगे

आदिवासी संस्कृति शिल्प, व्यंजन, व्यापार और पारंपरिक कला की भावना का जश्न मनाने वाला आदि महोत्सव जनजातीय मामलों के मंत्रालय के तहत जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ लिमिटेड (TRIFED) की एक वार्षिक पहल है। कार्यक्रम स्थल पर 200 से अधिक स्टालों में देशभर की जनजातियों की समृद्ध और विविध विरासत को प्रदर्शित किया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र ने भारत सरकार के प्रस्ताव पर वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष भी घोषित किया है। ऐसे में महोत्सव में विशेष ध्यान आदिवासियों द्वारा उगाए गए श्री अन्न को प्रदर्शित करने पर होगा।

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