मध्य प्रदेशः सिविल जज भर्ती परीक्षा को लेकर विवाद, जानिए आखिर क्यों हो रहे दलित-आदिवासी छात्रों के स्कोर कार्ड वायरल!

मध्य प्रदेशः सिविल जज भर्ती परीक्षा को लेकर विवाद, जानिए आखिर क्यों हो रहे दलित-आदिवासी छात्रों के स्कोर कार्ड वायरल!

भोपाल। मध्य प्रदेश में हाल ही में घोषित सिविल जज भर्ती परीक्षा परिणाम विवादों में घिर गया है। सोशल मीडिया में कई अभ्यर्थियों के स्कोर कार्ड शेयर किए जा रहे हैं, जिसमें परीक्षा पर कई तरह के सवाल खड़े कर दिए गए है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ओर से आयोजित किए गए सिविल जज एग्जाम पर आरक्षित सीटों को खाली छोड़कर बाद में सामान्य कैटेगरी से भरने का आरोप भी लग रहा है। द मूकनायक ने इस मामले की पड़ताल की। पढ़िए हमारी ये खास रिपोर्ट।

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर के द्वारा आयोजित परीक्षा पर आरक्षित सीटों को नहीं भरकर सामान्य कैटेगरी में ट्रांसफर किए जाने का आरोप लगाया जा रहा है। सोशल मीडिया पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जन जाति के छात्रों के सिविल जज परीक्षा के स्कोर कार्ड शेयर कर दावा किया जा रहा है कि अभियर्थियों के नम्बर पासिंग मार्क्स से भी ज्यादा होने के बाबजूद भी उन्हें इंटरव्यू में बाहर कर दिया गया है।

सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर की गई- ’यह आदिवासी वर्ग से सिविल जज एस्पिरेन्ट् महिमा है, थ्योरी में 180 मार्क्स चाहिए थे इनके 192 है। इंटरव्यू में 20 नम्बर चाहिए थे इन्हें 18.5 अंक ही मिले। चयन से वंचित रह गई। कुल 114 पद स्वीकृत थे। मात्र 5 ने क्वालीफाई किया। 109 पद खाली रह गए। लगातार 3 साल तक यदि योग्य उम्मीदवार नहीं मिले तो यह पद सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों से भर दिए जाएंगे।’

सिविल जज 2021 की भर्ती के लिए कुल 270 पदों का नोटिफिकेशन जारी किया गया था, जिसमें 114 सीटें 2019 के दूसरे फेज की खाली रह गई सीटों को भी शामिल किया गया है। इस बार 2021 में अनुसूचित जाति (SC) के लिए 36, अनुसूचित जन जाति (ST) के लिए 114, अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए 38, और सामान्य (UR) 82 सीटें आरक्षित की गई थी, जिनमें भर्ती की जानी थी। जबलपुर हाई कोर्ट के द्वारा सिविल जज भर्ती की नियमावली के कारण इस बार भी आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का चयन नहीं हो सका है।

जनिए कैसे होती है भर्ती :-

भर्ती प्रक्रिया के तहत तीन परीक्षाएं आयोजित की जाती है, जिसमें पहला चरण प्री एग्जाम , दूसरा मेन एग्जाम और तीसरा और आखरी चरण इंटरव्यू का होता है। बाकी अन्य सिविल सर्विसेज की परीक्षा प्रक्रिया सिविल जज एग्जाम से अलग है। इसमें अन्य परीक्षाओं की तरह मेन एग्जाम और इंटरव्यू के नम्बरों को जोड़कर मेरिट सूची न तैयार कर इंटरव्यू में भी पासिंग मार्क्स निर्धारित किए गए है। सिविल जज का मेन एग्जाम 400 अंक और इंटरव्यू 50 अंक का होता है, लेकिन यहाँ इंटरव्यू में 20 अंक लाना अनिवार्य है। यदि निर्धारित अंक नहीं आएंगे तो परीक्षा से बाहर कर दिया जाएगा। चाहे मेन एग्जाम में कटऑफ से नम्बर अधिक हो।

इस मामले में द मूकनायक से सिविल जज परीक्षा की अभ्यार्थी महिमा देवड़ा ने बातचीत करते हुए बताया है कि उनके एसटी कैटेगरी में कटऑफ 180 रहा, जिसमें उन्हें 192 अंक मिले। वहीं इंटरव्यू में उन्हें 18.5 अंक मिले जिस कारण उन्हें बाहर कर दिया गया। महिमा ने बताया कि 2019 से हाईकोर्ट के भर्ती में इंटरव्यू में पासिंग मार्क्स को लेकर आरक्षित सीटें खाली रह जाती है। यदि तीन बार में भी आरक्षित सीटों पर चयन नहीं हुआ तो यह सामान्य कैटेगरी (UR) में ट्रांसफर हो जाएगी। महिमा ने बताया कि हम सभी आरक्षित सीटों पर भर्ती किए जाने की मांग करेंगे।

अभ्यार्थी महिमा देवड़ा
अभ्यार्थी महिमा देवड़ा

अब सीटों की स्थति जानते है।

2021 मध्य प्रदेश सिविल जज परीक्षा में अनुसूचित जन जाति (ST) की कुल सीटें 114 थी। जिसमें सिर्फ 5 छात्रों का चयन हो पाया 109 सीटें खाली रह गईं।

अनुसूचित जाति (SC) के लिए 36 सीटों पर भर्ती होनी थीं मगर इसमें 26 छात्रों का चयन हुआ 10 सीटें खाली रह गईं। वहीं एससी का लास्ट कटऑफ 203 और एसटी का कटऑफ 208 अंक का रहा। कई छात्र ऐसे थे जिन्हें लास्ट कटऑफ से अधिक अंक मिले लेकिन इंटरव्यू में फेल होने के कारण उन्हें बाहर कर दिया गया।

2019 में भी खाली रह गईं थी सीटें

मध्य प्रदेश सिविल जज परीक्षा में वर्ष 2019 में भी आरक्षित सीटें खाली रह गईं थी। फेज-1 की परीक्षा में अनुसूचित जन जाति की 58 सीटों में से सिर्फ 10 छात्र चयनित हो सके थे। वहीं अनुसूचित जाति की 31 सीटों पर 29 छात्रों का चयन हुआ था।

फेज-2 में भी अनुसूचित जन जाति की 88 सीटों पर सिर्फ 6 छात्रों चयन हुआ। एससी की 32 सीटों में 21 छात्र परीक्षा पास कर पाए।

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