खबर का असर: आदिवासी लड़कियों से ठगी मामले में पांच महीने बाद शुरू हुई कार्रवाई, जानिए पूरा मामला?

द मूकनायक द्वारा समाचार प्रकाशित करने के बाद आजाक थाना हरकत में आया और पीड़िता को कार्यवाही का आश्वासन दिया।
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भोपाल। मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में आदिवासी लड़कियों के साथ नौकरी के नाम पर एनजीओ द्वारा की गई ठगी के मामले में पुलिस ने पांच महीने बाद कार्रवाई शुरू की है। इस मामले में पीड़ित आदिवासी इंद्रवती गोंड ने अगस्त 2023 में अजाक पुलिस थाने सहित अन्य को शिकायत पत्र दिए थे। लेकिन कार्यवाही नहीं कि जा रही थी। द मूकनायक ने इस मामले में प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया था।

एनजीओ ने आदिवासी लड़कियों को पहले नौकरी दी, फिर सैलरी रोक कर उन्हें हटाया था। द मूकनायक द्वारा समाचार प्रकाशित करने के बाद आजाक थाना हरकत में आया और पीड़िता को कार्यवाही का आश्वासन दिया। थाने की ओर से 11 जनवरी को ही पीड़िता को पत्र भेज कर उन्हें मामले से सबंधित दस्तावेज लाने को कहा गया। जानकारी मिली है कि पुलिस एनजीओ के डायरेक्टर अनिल शर्मा सहित अन्य दो आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज करेगी।

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मध्य प्रदेश: आदिवासी लड़कियों से नौकरी के नाम पर ठगी! जानिए पूरा मामला?

यह था पूरा मामला

मध्य प्रदेश में आदिवासी इलाकों में टीबी के रोगियों के लिए काम कर रही 'दिव्य ज्योति सोशल डेवलपमेंट सेंटर' नाम की एनजीओ ने पहले तो आदिवासी युवाओं को नौकरी दी, लेकिन बाद में कई महीने काम कराने के बाद उन्हें बगैर तनख्वाह दिए हटा दिया। संस्थान आदिवासी बहुल जिले डिंडोरी, अनूपपुर, उमरिया, शहडोल और खरगोन में काम करती है। उक्त एनजीओ को सरकार से चार साल का प्रोजेक्ट मिला है। जिसमें एनजीओ स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत कार्य करेगा।

वर्ष 2022-25 के बीच चलने वाले प्रोजेक्ट में एनजीओ को आदिवासी इलाकों के युवाओं से गाँवों में डोर-टू-डोर सर्वे कर टीबी के मरीजों के सेंपल कलेक्ट कर जिले की लैब को भेजने थे। इसके साथ टीबी से बचाव और इलाज के लिए जागरूकता अभियान चलाने थे।

दिव्य ज्योति नाम के एनजीओ ने इसके लिए इन जिलों में आदिवासी शिक्षित लड़के, लड़कियों की इंटरव्यू के माध्यम से जन स्वास्थ्य सहयोगी (जेजेएस) के पद पर भर्ती की थी। कुछ समय बाद नियुक्त किए गए जेजेएस को टारगेट दिए गए। इसमें प्रति महीने 15 से 20 सेंपल कलेक्शन करने को कहा गया। यह टारगेट भी एनजीओ में काम कर रहे लड़के, लड़कियां पूरा कर रहे थे। लेकिन बाव्जूद इसके एनजीओ ने सैलरी में कटौती करना शुरू कर दिया। जब इस बात का विरोध शुरू हुआ तो एनजीओ के लोग कर्मचारियों से अभद्रता करने लगे। कुछ लोगों को बिना कारण नौकरी से निकाल दिया गया।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए चंद्रकला धुर्वे ने बताया कि, "एनजीओ ने जब सैलरी कटौती करना शुरू की तो हमने भोपाल स्थित दिव्य ज्योति एनजीओ के डायरेक्टर अनिल शर्मा को फोन किया तो उन्होंने कहा कि भोपाल ऑफिस में हम आपको काम देंगे। मैं जब सारा सामान लेकर भोपाल पहुचीं तो मुझे नौकरी नहीं दी, और तीन महीने की सैलरी भी रोक ली। वापस अनूपपुर जाकर मैंने कोतवाली पुलिस में शिकायत की लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई।"

इधर, अनूपपुर जिले की इंद्रवती गौंड ने बताया कि साल अप्रैल 2022 में उन्हें भी दिव्य ज्योति एनजीओ ने जन स्वास्थ्य सहयोगी (जेजेएस) के पद पर नियुक्त किया था। लेकिन बाद में पैसे काटना शुरू कर दिए जब हमने एनजीओ के अधिकारियों से बात की तो वह फोन पर अभद्रता करते थे। मेरी अगस्त महीने की पूरी सैलरी एनजीओ ने नहीं दी इसके अलावा तीन महीने तक मेरी सैलरी से दो से चार हजार तक रुपए काट लिए। एनजीओ ने मेरे जैसे दर्जनों आदिवासी युवाओं को नौकरी के नाम पर ठगा है। लगभग सभी को बिना बताए हटा दिया है। पुलिस में शिकायत के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई।

इस मामले दिव्य ज्योति सोशल डेवलपमेंट सेंटर' के डायरेक्टर अनिल शर्मा का पक्ष जानने के लिए द मूकनायक ने उनके मोबाइल नम्बर पर कई बार कॉल किए पर उन्होंने फोन नहीं उठाया। इधर जनजाति कल्याण विभाग के आयुक्त संजीव सिंह से भी बात नहीं हो सकी।

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