केरल: इडुक्की की आदिवासी बस्तियां आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित, चुनाव बहिष्कार की चेतावनी

इडुक्की की आदिवासी बस्तियां अब भी सड़क और स्वास्थ्य सुविधाओं से दूर, नाराज समुदाय ने चुनाव बहिष्कार का फैसला किया।
Idukki Tribal Villages Struggle for Roads & Health
केरल के इडुक्की की आदिवासी बस्तियां सड़क और स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित, नाराज समुदाय ने चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया।फोटो साभार- द हिन्दू
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केरल: राज्य में स्थानीय निकाय और विधानसभा चुनावों से पहले इडुक्की जिले की प्रमुख आदिवासी बस्तियों में बुनियादी सुविधाओं की कमी एक बार फिर से चर्चा का विषय बन गई है। सबसे बड़ी चिंता यह है कि एडमालाकुडी पंचायत की दो मुथुवन आदिवासी बस्तियां और वट्टावाडा पंचायत की पांच बस्तियां अब भी सड़क संपर्क से पूरी तरह कटे हुए हैं।

राज्य विशेष शाखा की ओर से केरल सरकार को सौंपी गई एक रिपोर्ट में बताया गया है कि एडमालाकुडी क्षेत्र में लगातार सुविधाओं के अभाव को लेकर लोगों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

मरीजों को बांस की स्ट्रेचर पर ढोना मजबूरी

सड़क सुविधा नहीं होने की वजह से एडमालाकुडी, स्वामियारालाकुडी, कूडल्लारकुडी, मेले वाल्सापेट्टीकुडी, वायलथराकुडी और पारासुक्कडवुकुडी जैसे इलाकों में मरीजों को बांस की बनी अस्थायी स्ट्रेचर पर जंगलों से होकर अस्पताल तक ले जाना पड़ता है। हाल ही में एक बुजुर्ग महिला को 10 किलोमीटर तक घने जंगलों से इसी तरह मानकुलम स्थित अस्पताल पहुंचाया गया।

21 अगस्त को एक बच्चे की मौत हो गई। एक अन्य घटना में, अस्थमा से पीड़ित एक महिला को समय पर सोसाइटीकुडी स्थित परिवार स्वास्थ्य केंद्र तक नहीं पहुंचाया जा सका, जिससे उसकी हालत बिगड़ गई और बाद में जान गंवानी पड़ी।

वट्टावाडा पंचायत के एक आदिवासी सदस्य ने कहा, “जिले के आदिवासी लंबे समय से बुनियादी सुविधाओं और सड़क संपर्क की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।”

चुनाव बहिष्कार का ऐलान

वट्टावाडा ग्राम पंचायत के दो वार्डों के आदिवासी नेताओं की हालिया बैठक में आगामी चुनावों के बहिष्कार का निर्णय लिया गया। आदिवासी प्रमुखों की बैठक (ऊरू कूटम) में यह तय हुआ कि चुनावों में हिस्सा नहीं लिया जाएगा। पंचायत में आरक्षित सीटों को भरने के लिए राजनीतिक दलों को इन पांच बस्तियों से उम्मीदवार उतारने की ज़रूरत होती है, लेकिन कोई भी सामने आने को तैयार नहीं है।

15 साल बाद भी अधूरी उम्मीदें

जानकारी के मुताबिक, एडमालाकुडी की कूडल्लारकुडी बस्ती में हाल ही में पांच साल के एक बच्चे की मौत ने पंचायत के लोगों को हिला कर रख दिया। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2010 में मुथुवन समुदाय के लिए विशेष रूप से पहला आदिवासी ग्राम पंचायत गठित किया गया था। लेकिन 15 साल बीत जाने के बाद भी समुदाय बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहा है।

इंटेलिजेंस विंग की रिपोर्ट में सरकार से त्वरित हस्तक्षेप कर समस्याओं का समाधान निकालने की सिफारिश की गई है।

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