झारखंड: समाज सेवा की बजाय अधिकांश आदिवासी सांसद-विधायक करते हैं पार्टियों की गुलामी- सालखन मुर्मू

आदिवासी सेंगेल अभियान की रैली रांची में सम्पन्न, 10 दिसंबर को मरांग बुरु बचाओ सेंगेल यात्रा का एलान. प्रधानमंत्री 15 नवंबर को उलिहातू में कर सकते हैं सरना धर्म कोड मान्यता की घोषणा। सरना धर्म कोड नहीं दिया तो 30 दिसंबर को करेंगे रेल-रोड चक्का जाम
आदिवासी सेंगेल अभियान ने एलान किया कि सरना धर्म कोड नहीं दिया तो 30 दिसंबर को रेल-रोड चक्का जाम करेंगे
आदिवासी सेंगेल अभियान ने एलान किया कि सरना धर्म कोड नहीं दिया तो 30 दिसंबर को रेल-रोड चक्का जाम करेंगे
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रांची- आदिवासी सेंगेल अभियान द्वारा आहूत सरना धर्म कोड जनसभा बुधवार को रांची के मोराबादी मैदान में सफल रहा जिसमें देश-विदेश से सेंगेल के नेता, प्रतिनिधि एवं समर्थक शामिल हुए। जनसभा में सरना धर्म कोड सोतो: समिति का बड़ा मुंडा जत्था खूंटी जिला से शामिल हुआ। केंद्रीय सरना समिति की तरफ से फूलचंद तिर्की और भुवनेश्वर लोहार भी अपना वक्तव्य रखे। जनसभा में स्वर्गीय डॉक्टर करमा उरांव की पत्नी श्रीमती शांति उरांव और स्वर्गीय साहेब राम मुर्मू के सुपुत्र देवदुलाल मुर्मू को शाल और सरना मान-पत्र देकर सम्मानित किया गया।

सेंगेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा कि भारत के प्रकृति पूजक आदिवासी हिंदू ,मुसलमान, ईसाई आदि नहीं है। उनकी मांग है सरना धर्म कोड देकर अविलम्ब उनको धार्मिक आजादी प्रदान की जाए अन्यथा 30 दिसंबर को भारत बंद किया जाएगा- रेल रोड चक्का जाम होगा। इस बीच घोषणा किया गया कि मरांग बुरू (पारसनाथ पहाड़, गिरिडीह) को बचाने के उद्देश्य से रविवार 10 दिसंबर को मरांग बुरु बचाओ सेंगेल यात्रा आयोजित होगी। देशभर के आदिवासी 10 दिसंबर को मधुबन, पारसनाथ, गिरिडीह में जमा होंगे। दुमका में 22 दिसंबर को हासा भाषा विजय दिवस मनाया जाएगा। उम्मीद जताया गया कि प्रधानमंत्री 15 नवंबर को उलिहातू में सरना धर्म कोड मान्यता की घोषणा करेंगे।

आदिवासी सेंगेल अभियान की रैली में सभा को संबोधित करते सालखन मुर्मू
आदिवासी सेंगेल अभियान की रैली में सभा को संबोधित करते सालखन मुर्मू

सालखन मुर्मू ने आगे कहा कि सारना धर्म कोड आंदोलन जहां भारत के 15 करोड़ आदिवासियों को एकजुट करेगा वहीं भारत राष्ट्र के भीतर आदिवासी राष्ट्र की अवधारणा को भी सफल बनाना होगा। जिसका तात्पर्य है भारत के आदिवासियों को सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक आजादी दिलाना है। आदिवासी राष्ट्र का केंद्र झारखंड होगा। शहीदों का सपना अबुआ दिशोम अबुआ राज को स्थापित करना है। झारखंड बचेगा तभी भारत के आदिवासी बचेंगे।

मुर्मू ने आगे कहा कि आरक्षित सीटों से जीतने वाले अधिकांश आदिवासी एमएलए/ एमपी आदिवासी समाज के बदले केवल अपनी पार्टियों की गुलामी करते हैं। अधिकांश आदिवासी जन संगठन भी आदिवासी समाज के बदले अपना अपना दुकान चलाते हैं। आदिवासी स्वशासन व्यवस्था में जनतांत्रिक और संविधानसम्मत सुधार लाना अविलम्ब अनिवार्य है। जनसभा को देवनारायण मुर्मू, सोहन हेंब्रम, नरेंद्र हेंब्रम, बुधन मार्डी, विश्वनाथ टुडु, स्वप्न सोरेन, बरियड़ हेंब्रम, अमर कुमार मरांडी, मोहन हांसदा, तिलका मुर्मू, सुमित्रा मुर्मू, शांति उरांव, सोनाराम सोरेन और देवदुलाल मुर्मू आदि ने भी संबोधित किया।

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