मध्य प्रदेश: द मूकनायक की ग्राउंड रिपोर्ट के बाद, पीड़ित परिवार पर सरकारी दबाव?

मध्य प्रदेश: द मूकनायक की ग्राउंड रिपोर्ट के बाद, पीड़ित परिवार पर सरकारी दबाव?

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से, महज घंटे भर की दूरी पर स्थित एक गांव डामडोंगरी में घुमंतू ट्राइबल परिवारों के त्रासद जीवन पर द मूकनायक की एक ग्राउंड रिपोर्ट के प्रकाशित होने के बाद, असर के तौर पर अब हमसे बात करने वाले परिवार के ऊपर सरकारी उत्पीड़न का साया मंडराने लगा है।

“Unveiling the Plight of Tribes in Madhya Pradesh” नाम से प्रकाशित हुई हमारी इस ग्राउंड रिपोर्ट से मध्य प्रदेश के रायसेन ज़िले के प्रशासन और पुलिस हरकत में आते दिखे हैं लेकिन पीड़ित परिवार पर दबाव भी डालने की कोशिश साफ है।   

प्रकाशित हुई रिपोर्ट में हमने ये सामने रखने और खोजने की कोशिश की थी कि कैसे इस समय लगातार ये साबित करने की कोशिश हो रही है कि समाज के वंचित तबके की अब कोई उपेक्षा नहीं हो रही है; तब अभी भी अलग-अलग स्तर और दृष्टिकोण से कैसे ये तबका जीवन को संघर्ष से बस जी पा रहा है।

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रिपोर्ट, मध्य प्रदेश के इस गांव डामडोंगरी की रहने वाली मैदादेवी और उनके परिवार के कष्टों की कहानी कहती है लेकिन इसके जरिए हमने उन हज़ारों परिवारों की कहानी कहने की कोशिश की है – जो हर रोज़ भेदभाव से जूझ रहे हैं और एक लोकतंत्र में अपने मौलिक अधिकारों से ही वंचित कर दिए गए हैं।  

पुलिस और प्रशासन द्वारा परिवार पर दबाव

इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने के बाद, 26 जून 2023 को मैदाबाई के घर पर प्रशासन के लोगों और पुलिसकर्मियों का पूरा दल पहुंच गया। जैसा कि हमको मैदाबाई ने बताया, “दोपहर के वक्त हमारे घर पर पुलिस की गाड़ियों समेत पूरा काफिला आ गया। उन्होंने आकर हमको धमकाने की कोशिश की क्योंकि हमने अपने हालात को लेकर शिकायत की है।”

मैदाबाई ने परिस्थिति की और जानकारी देते हुए बताया कि पुलिसकर्मी लगातार ये पूछ रहे थे कि उन्होंने ये शिकायत (हमको दिया गया बयान) क्यों की और उनके परिवार को धमकाया गया। मैदाबाई के अनुसार पुलिसकर्मियों ने उनके बेटे का नाम और फोन नंबर लिया है, जिससे उनको भय है कि वो उनके बेटे के ख़िलाफ़ कोई फ़र्ज़ी मुक़दमा दर्ज कर सकते हैं।

मैदाबाई के अलावा उनकी पुत्रवधू दोनों ने ही हमसे बातचीत में ये भी दोहराया कि पुलिस और प्रशासन ने लगातार उनसे एक ही बात कही, “हमें दिल्ली वाली मैडम (मैं, द मूकनायक संवाददाता) का नंबर दो।” यानी कि पुलिस और प्रशासन ने उन पर द मूकनायक संवाददाता का फोन नंबर देने का भी लगातार दबाव बनाया।

मैदाबाई की चिंता अब उनका 13 लोगों को परिवार है, जिसमें 7 बच्चे हैं। उनका आरोप है कि प्रशासन उनका उत्पीड़न कर रहा है। जबकि उनकी पुत्रवधू कलावती मे हमको बताया कि गांव की पटवारी ने उनसे कहा कि उनकी सारी समस्याएं हल हो जाएंगी और साथ ही पुलिस वालों ने पूरे परिवार का नाम अपने पास लिख लिया।

यह परिवार अब पुलिस और प्रशासन के बर्ताव से ख़ौफ़ में है। इस तरह की घटना अपने आप में कई तरह से चिंताजनक है लेकिन अहम ये है कि इसी कारण से कई लोग अन्याय के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने से डरते हैं कि उनको कहीं किसी तरह की मुश्किल या उत्पीड़न का सामना न करना पड़े। 

रुंधे हुए गले से मैदादेवी हमको बताती हैं कि वो अपने बच्चों को, जल्दी से जल्दी गांव से बाहर भेज देना चाहती हैं क्योंकि उनको यहां का माहौल सुरक्षित नहीं लगता है। द मूकनायक से मैदादेवी के बेटे लक्ष्मण, जो कि इस घटना के समय घर पर मौजूद नहीं थे – कहते हैं, “मैंने कुछ ग़लत नहीं किया, फिर भी पुलिस ने मेरा नाम लिख लिया है।”

लक्ष्मण हमसे बहुत उम्मीद लगाते हुए अनुरोध करते हैं कि हम स्थानीय पुलिस स्टेशन में संपर्क करें और उनसे पूरे परिवार के नाम दर्ज करने का कारण पता करें। वह किसी तरह के मामले में अपना नाम नहीं आने देना चाहते हैं क्योंकि मध्य प्रदेश में वंचित समुदायों से आने वाले लोगों के ऊपर फ़र्ज़ी मुकदमे या फिर किसी और केस में संबंध न होने पर भी आरोप मढ़ दिया जाना कोई नई बात नहीं है। इस बारे में भी पिछली रिपोर्ट में हमने ‘Police, Lies & Brutaility’ नाम के सेक्शन में बात की है।

द मूकनायक ने एसडीएम रायसेन प्रमोद गुर्जर और पुलिस प्रशासन से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन किसी ने भी फोन रिसीव नहीं किया। संबंधित अधिकारियों का संस्करण मिलते ही  रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा।

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