फादर्स डे विशेष: तारा कौन?

फादर्स डे विशेष: तारा कौन?

एक वर्ष अब बीत गए

नैना मेरे अब तरस गए 

इस तेज धूप-सी दुनिया मैं 

देगा मुझको छाया कौन ?

कहीं किनारे बैठी हुई सोच रही थी मौन

हर वक़्त मुझे जिसने धैर्य का पाठ पढ़ाया 

छोटी बातों को दिल पर ना लो एवं कर्तव्य बोध करवाया 

खुद का बड़प्पन जाने ना दो 

और खुद पर आंच आने भी ना दो 

मैं अचरज भरी सोचती रही ऐसी शिक्षा देगा कौन?

जब वक़्त तुम्हारा साथ ना दे 

हालात हों काबू से परे 

नहीं करो शिकायत तुम किसी से 

भेजो तुम सन्देश ईश्वर को

लोगों से रखो तुम मौन 

मैं खड़ी यही सोचती रही कि अब ऐसा शिक्षक होगा कौन ?

रातों को झट आँख यूहीं खुल जाती है 

नींद जाने दूर कहां कोसो चली जाती है 

फिर यादों का एक झरोखा खुल जाता है 

बचपन से लेकर अब तक सब पलभर में आँखों में आ जाता है 

शब्दों में कर जाएँ बयां 'पिता को' ऐसी संतान होगी कौन ?

मैं खड़ी अपलक निहारती तारों को देखती रही इनमें से मेरे 'पापा' कौन? 

(मेरी ये कविता फादर्स-डे पर मेरे स्व. पिता डॉ रामजी श्रीवास्तव को समर्पित है।)

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