उत्तर प्रदेश: अयोध्या में हार का कारण बना 'बाबा का बुलडोजर'!

राम मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या में हिन्दुओं पर ही चल गया था सत्ता का बुलडोजर. अब चुनाव में जनता ने सीखा दिया भाजपा को सबक, अयोध्या में भाजपा के हार का कारण बना राम मंदिर परिसर का विस्तार.
मार्ग चौड़ीकरण के लिए बुलडोजर से तोड़ी गई हनुमान गढ़ी के पास मौजूद दुकानें
मार्ग चौड़ीकरण के लिए बुलडोजर से तोड़ी गई हनुमान गढ़ी के पास मौजूद दुकानें तस्वीर- द मूकनायक

उत्तर प्रदेश। मंगलवार को लोकसभा चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद माना जा रहा है कि अयोध्या में भाजपा की हार का कारण 'बाबा का बुलडोजर' बना है। जब यह बुलडोजर सत्ता के कहने पर अपराधियों के परिवार के घरों पर चलता था तो लोग जश्न मनाते थे। इस बुलडोजर को ही लोग न्याय समझने लगे थे। लेकिन राम मंदिर परिसर के निर्माण के लिए यह बुलडोजर आम जनता के घरों और दुकानों की तरफ घूम गया। यहां के रहने वाले हजारो लोगों के घर तोड़ दिए गए, जिससे सैकड़ों लोग बेघर हो गए।

बुल्डोजर कार्यवाई का लोकसभा चुनाव नतीजों पर, खासकर अयोध्या लोकसभा सीट पर, असर साफ दिखा। परिणामस्वरूप भाजपा चुनाव हार गई। यह वही राम मंदिर है जब 2014 और 2019 के चुनाव में देश में भाजपा को जिताने के लिए कारगार साबित हुआ था। लेकिन आरोप है कि राम लला की मूर्ति स्थापित करने के लिए अयोध्या के बाशिंदो का ही घर उजाड़ दिया गया। राम मंदिर परिसर के विस्तार के लिए सरकार ने जमकर बुलडोजर की कार्रवाई की. हजारों घर और दुकाने जमींदोज कर दिए गए।

लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद अब हार और जीत पर मंथन शुरू हो गया है। भाजपा की अयोध्या सीट हारने पर सभी का यही कहना है कि जिस अयोध्या में विकास की गंगा बहाई, राम मंदिर बना, एयरपोर्ट बना, अंतरराष्ट्रीय स्तर का अयोध्या धाम का रेलवे स्टेशन बना। राम पथ बना, राम की पैड़ी की सुंदरता बढ़ाई गई उसी सीट पर भाजपा लोकसभा क्यों हार गई? भाजपा की हार का कारण जाने के लिए द मूकनायक ने राम मंदिर परिसर के आस-पास रहने वाले लोगों से बातचीत की। उन्होंने इस हार का असली मतलब बताया।

दरअसल, अयोध्या की हार की अनगिनत वजह है, जिनमें स्थानीय प्रशासन और सांसद द्वारा जनता की बातों को अनसुना करना भी शामिल है। दरअसल, 2019 के चुनाव में लल्लू सिंह जीते तो लोगों से यही कहते सुने गए कि आप लोगों ने मोदी को वोट दिया मुझे नहीं। राम पथ का निर्माण हुआ, जिसमें हजारों दुकानें और मकानें तोड़ी गई, लेकिन उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया गया। नजूल की जमीन पर बने दुकान और मकान का मुआवजा उनको नहीं दिया गया। आरोप है कि स्थानीय जनता अपने जनप्रतिनिधी लल्लू सिंह के पास जाती थी तो कहते थे यह मामला सरकार का है।

अयोध्यावासियों ने भाजपा को हराया

द मूकनायक से बातचीत करते हुए स्थानीय रविचंद्र गुप्ता कहते हैं, "फैज़ाबाद में पांच विधानसभा आती हैं। अगर यह कह भी दिया जाए कि राम मंदिर के स्थानीय निवासियों ने भाजपा को ही वोट दिया तो बात नहीं बनेगी। अयोध्या बहुत बड़ी है। लेकिन यह बात सच है कि हम उन रातों को नहीं भूल पाएंगे जब राम मंदिर मार्ग चौड़ी करण के लिए हमारे घरों और दुकानों को तोड़ा जा रहा था। जब हम भाजपा सांसद के पास जाते थे तो वह मिलने से मना कर देते थे। उनमें राम मंदिर निर्माण में सहयोग करने का घमंड आ गया था। लेकिन जनता ने उन्हें बता दिया है कि बड़ा कौन है।"

"भाजपा के कड़े फैसले लोगों को नागवार गुजरे"

स्थानीय निवासी राजन यादव का कहना है कि बाबा का बुलडोजर, अग्नि वीर योजना, किसान आंदोलन, नोटबंदी जीएसटी एक साथ कई कड़े फैसले भाजपा ने लिए, जो भाजपा का हार का कारण बन गए। ऐसे फैसले जनता को नागवार गुजरे। प्रसाद का काम करने वाले राम शंकर ने कहा कि, अयोध्या में राम मंदिर बना, विकास भी हुआ, यह सब कुछ ठीक है लेकिन राम पथ के निर्माण के दौरान गरीब दुकानदारों की दुकानें तोड़ी गई उनको उचित मुआवजा नहीं दिया गया। पटरी दुकानदारों को डंडे से मार कर भगाया गया। इस कारण इस बार भाजपा का जमकर विरोध हुआ।

अयोध्या में रामजन्मभूमि पर प्रसाद का पैकेट बनाकर बेचने वाले श्रीनाथ सिंह बताते हैं, "कोरोना के कारण मन्दिर में प्रसाद चढ़ना बन्द हो गया था। जब लॉक डाउन खत्म हुआ तब ट्रस्ट की तरफ से मन्दिर में प्रसाद पर रोक लगा दी गई। लगभग 400 लोग यह काम करते थे। ट्रस्ट द्वारा प्रसाद पर रोक के कारण हम सब बेरोजगार हो गए हैं। अब हम मन्दिर के गेट के बाहर टीका-चंदन लगाने का काम करते हैं। श्रद्धालु स्वेच्छा से जो दे देते हैं हम उसे रख लेते हैं। प्रसाद में रोजाना दो से तीन हजार की कमाई होती थी। कई बार टीका भी लगाने नहीं दिया जाता है। हमारा रोजगार छीना था, हमने उनकी सत्ता छीन ली।"

अमित कुमार शर्मा बताते हैं, "मैं 7 साल की उम्र से प्रसाद बेचने का काम करता था। मैं स्कूल जाता था तो समय मिलने पर प्रसाद बेचता था। लॉकडाउन के बाद से प्रसाद पर रोक लग गई। लॉकडाउन खत्म हो गया लेकिन प्रसाद पर रोक लगी रही। ट्रस्ट की तरफ से मन्दिर के गेट पर हमें टीका लगाने की सख्त मनाही है। पुलिस हमें खदेड़ देती थी। हमारे साथ अन्याय हो रहा था। कोई भी नेता या मंत्री हमें नहीं सुनने को तैयार था। इसलिए हमने अपना नेता चुन लिया है।"

अयोध्या मंडल में शामिल सभी सीटें हारी भाजपा

बीजेपी अयोध्या सीट पर चुनाव हारने के साथ-साथ अयोध्या मंडल में शामिल फैजाबाद, बाराबंकी, अंबेडकरनगर, सुल्तानपुर और अमेठी लोकसभा सीटें भी हार गई। इतना ही नहीं अयोध्या से सटी बस्ती, श्रावस्ती और जौनपुर सीट भी बीजेपी नहीं बचा पाई। अयोध्या में एयरपोर्ट से लेकर तमाम तरह के विकास कार्य को योगी सरकार ने कराया, लेकिन सियासी असर नहीं दिखा। प्रदेश की इस सबसे हॉट सीट अयोध्या में सियासी बाजी मारने के साथ सपा ने सभी आसपास की सीटें जीतने में सफल रही।

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