भोपाल। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह द्वारा सतना जिले के एक कार्यक्रम के दौरान 'हरिजन' शब्द के उपयोग को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। अनुसूचित जाति संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे संविधान विरोधी बताते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया है। भीम आर्मी समेत कई संगठनों ने अजय सिंह के खिलाफ SC/ST अत्याचार निवारण अधिनियम (एट्रोसिटी एक्ट) के तहत मुकदमा दर्ज करने की मांग की है।
मामला सतना जिले के एक कार्यक्रम का है, जहां कांग्रेस विधायक और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने अपने संबोधन में 'हरिजन' शब्द का प्रयोग किया। इसके साथ पर सोशल मीडिया पर लिखे पोस्ट पर भी प्रतिबंधित शब्द का उपयोग किया। हरिजन शब्द भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित है और इसके उपयोग को अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों के लिए अपमानजनक माना जाता है। अजय सिंह के इस बयान के बाद अनुसूचित जाति संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं में आक्रोश फैल गया।
अनुसूचित जाति संगठनों ने इसे संविधान और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन बताते हुए कहा कि एक वरिष्ठ नेता द्वारा सार्वजनिक मंच से प्रतिबंधित शब्द का उपयोग करना निंदनीय है। संगठनों का कहना है कि यह दलित समाज का अपमान है और इसके लिए अजय सिंह के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी के नेता सुनील अस्तेय ने द मूकनायक से बातचीत में कहा, "हमने हमेशा देखा है कि जब कोई दलित समाज के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करता है तो सरकारें चुप रहती हैं। लेकिन अब हम चुप नहीं बैठेंगे। अजय सिंह के खिलाफ तुरंत एट्रोसिटी एक्ट के तहत कार्रवाई होनी चाहिए, यह लोग अनुसूचित जाति वर्ग को गुलाम बनाना चाहते है। अगर अजय सिंह को यह शब्द इतना प्यारा है तो वह खुदके नाम में इसे जोड़ लें।"
1980 में अनुसूचित जाति आयोग ने इस शब्द को अपमानजनक करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार ने सरकारी दस्तावेजों और सार्वजनिक भाषणों में हरिजन, गिरिजन और अन्य अपमानजनक शब्दों के उपयोग पर रोक लगाई है। नेशनल कमीशन फॉर शेड्यूल्ड कास्ट्स (NCSC) ने भी स्पष्ट किया है कि इस शब्द का उपयोग संविधान के मूल्यों के खिलाफ है।
विरोध प्रदर्शन कर रहे संगठनों ने जिला प्रशासन और पुलिस से मांग की है कि कांग्रेस नेता अजय सिंह के खिलाफ SC/ST अत्याचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की जाए।
द मूकनायक से बातचीत में कांग्रेस नेता अजय सिंह ने कहा, "मुझे राजनीति में वर्षों हो गए हैं, लेकिन मैंने कभी आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग नहीं किया। मंच से क्या कहा, यह ठीक-ठीक याद नहीं, लेकिन यदि ट्वीट में कुछ लिखा है, तो मैं उसे दिखवाता हूँ।"
SC/ST अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 की धारा 3(1)(u) के तहत किसी अनुसूचित जाति व्यक्ति के लिए अपमानजनक शब्दों का प्रयोग दंडनीय अपराध है। दोषी पाए जाने पर 5 साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। यह मामला राजनीतिक रूप से भी संवेदनशील हो सकता है, क्योंकि अनुसूचित जाति समुदाय मध्य प्रदेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.