यूपी: नेत्रहीन आदिवासी महिला ने 'कमल' पर वोट डलवाने का लगाया आरोप, प्रशासन का इंकार, पत्रकार ने वीडियो बनाया तो FIR दर्ज!

जिलाधिकारी ने दिए थे जांच के आदेश,महिला का आरोप जांच के लिए आई पुलिस और अधिकारियों ने धमकाया,सेक्टर मजिस्ट्रेट ने एफआईआर दर्ज कर दी सफाई,कहा- "वीडियो बनाने वाले ने कूटरचित वीडियो बनाया."
नेत्रहीन महिला रतिया.
नेत्रहीन महिला रतिया. तस्वीर- साभार सोशल मीडिया.

चित्रकूट। यूपी के चित्रकूट जिले में एक आदिवासी बुजुर्ग नेत्रहीन महिला ने चुनाव ड्यूटी में तैनात कर्मचारियों पर बीजेपी के चुनाव निशान कमल पर वोट डलवाने के आरोप लगाए हैं। इस पूरे मामले की जानकारी एक स्थानीय पत्रकार को हुई। उसने बुजुर्ग महिला के घर जाकर पूरी घटना पूछी और इसका वीडियो बना लिया। पत्रकार ने महिला का वीडियो अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर डाल दिया। वीडियो वायरल हो गया। इस मामले को लेकर सेक्टर मजिस्ट्रेट ने पत्रकार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई।

इधर, जिला निर्वाचन अधिकारी ने जांच के आदेश दिए। बुजुर्ग महिला का आरोप है कि अधिकारी उनके घर आये थे। राशन बंद करने की धमकी दी और अपने पक्ष में वीडियो बना लिया। वहीं पत्रकार ने महिला का एक शपथपत्र प्राप्त किया, जिसमें महिला ने मतदानकर्मियों पर गलत तरीके से मतदान करवाने की पुष्टि की है।

चुनाव ड्यूटी पर तैनात सेक्टर मजिस्ट्रेट पारुल अहिरवार का कहना है चुनाव पारदर्शिता के साथ कराया गया है। इसकी वीडियोग्राफी भी कराई गई है। सेक्टर मजिस्ट्रेट ने पत्रकार द्वारा बनाये गए वीडियो को एफआईआर में कूटरचित बताया है। वहीं इस पूरे मामले को लेकर द मूकनायक ने जिला निर्वाचन अधिकारी/जिलाधिकारी से बातचीत की। वे इस पूरे मामले में कुछ कहने से बचते रहे।

पूरा मामला यूपी के चित्रकूट जिले की मानिकपुर तहसील के दीपू कोलान किहुनिया गांव का है। इस गांव में रतिया नामक बुजुर्ग महिला रहती है। महिला आदिवासी कोल जाति से है। चित्रकूट जिले में आज पांचवें चरण का मतदान हो रहा है। वहीं दिव्यांग और वृद्धजन के लिए चुनाव आयोग ने एक अलग व्यवस्था की है। इसके तहत पोलिंग पार्टियां घर जाकर ऐसे लोगों से मतदान करवाती हैं।

बीती 11 मई 2024 को इसी के तहत पोलिंग पार्टियां वोटिंग कराने मानिकपुर तहसील के दीपू कोलान किहुनिया गांव पहुंची थीं। इस दौरान बुजुर्ग और दिव्यांग जन की वोटिंग कराई गई थी। इस गांव में रहने वाली रतिया का एक वीडियो सोशल मीडिया पर आया है। यह वीडियो चुनाव के अधिकारियों के वोटिंग कराने के बाद का है। इस वीडियो में रतिया कहती हैं- 'मुझे आंखों से दिखता नहीं है,चुनाव के अधिकारियों ने मुझसे 'कमल' पर वोट डालने के लिए कहा, मुझे आंख से दिखता नहीं है, इसलिए मुझसे जो रास्ता बताया जाता है,उसी रास्ते पर ही तो चलूंगी।"

द मूकनायक ने आरोपों की पुष्टि के लिए रतिया से बातचीत की। रतिया कहती हैं-'उस दिन मैं अपने घर पर खाट पर लेटी थी। दो व्यक्ति मेरे घर के अंदर आये। उनके साथ मेरे पड़ोस में रहने वाली रज्जी पत्नी सम्पत भी मौजूद थीं। दोनों मेरा हाथ पकड़कर मेरे घर से बाहर लाये। बाहर लाते समय दोनों अधिकारियों ने धीरे से मेरे कान में कहा कि कमल को वोट देना। जब मैंने उनके बारे में पूछा कि वह कौन हैं और कहाँ से आये हैं, इस पर उन्होंने कहा कि वह लोग वोट डलवाने आये हैं। मैं उनके साथ बाहर आ गई। एक अन्य व्यक्ति ने मेरे पड़ोस में रहने वाली बहू रज्जी को स्वास्तिक निशान का ठप्पा इंक में डुबो कर दिया और कमल के निशान पर मोहर लगवा ली। मैंने उनसे कहा कि मुझे हाथी पर निशान लगाना है,लेकिन उन्होंने मेरी नहीं सुनी।",रतिया ने पूरे मामले को लेकर एक शिकायती शपथ पत्र मुख्य निर्वाचन आयोग को भेजा है।

रतिया ने मुख्य निर्वाचन आयोग को भेजा शिकायती शपथ पत्र
रतिया ने मुख्य निर्वाचन आयोग को भेजा शिकायती शपथ पत्र तस्वीर- द मूकनायक

रतिया के पड़ोस में रहने वाले रज्जी रिश्ते में उनकी बहू लगती हैं। द मूकनायक ने उनसे बातचीत की। रज्जी का कहना है-'मुझसे रतिया का वोट डलवाया गया है। रतिया मेरे साथ मौजूद थीं। वह देख नहीं सकती हैं,अधिकारियों के कहने पर कमल के निशान पर वोट डाला है। जबकि रतिया हाथी पर वोट डालना चाहती थी।" रज्जी ने भी एक शिकायती शपथ पत्र मुख्य निर्वाचन आयोग को भेजा है।

 रज्जी ने मुख्य निर्वाचन आयोग को भेजा शिकायती शपथ पत्र
रज्जी ने मुख्य निर्वाचन आयोग को भेजा शिकायती शपथ पत्र तस्वीर- द मूकनायक

रज्जी का भी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है,जिसमें रज्जी बता रही है-'रतिया से कमल पर वोट डलवाया गया। इस दौरान वह मौजूद थीं। रज्जी के साथ ही रतिया के पड़ोस में रहने वाली एक अन्य महिला गुड़िया का भी वीडियो सोशल मीडिया पर डाला गया है। गुड़िया का भी यही कहना है रतिया को अधिकारियों ने कान में कमल पर वोट डालने के लिए बाध्य किया था। यह सभी वीडियो स्थानीय पत्रकार सचिन वंदन त्रिपाठी द्वारा बनाये गए थे। उन्होंने यह सब वीडियो सोशल मीडिया पर डाल दिए।' गुड़िया ने भी एक शिकायती शपथ पत्र मुख्य निर्वाचन आयोग को भेजा है।

गुड़िया ने मुख्य निर्वाचन आयोग को भेजा शिकायती शपथ पत्र
गुड़िया ने मुख्य निर्वाचन आयोग को भेजा शिकायती शपथ पत्र तस्वीर- द मूकनायक

द मूकनायक ने पत्रकार संदीप वंदन त्रिपाठी से बातचीत की। संदीप बताते हैं-'इस घटना की जानकारी मुझे एक रिश्तेदार से मिली थी। जिसके बाद इस परिवार के पास पहुंचा था। मैं एक समाचार पत्र में कार्य करता हूँ। चूंकि यह वीडियो था और मेरा अखबार प्रिंट है इसलिए मैंने इस वीडियो को अपने एक्स हैंडल पर डाल दिया था। इस संबंध में मैंने उपजिलाधिकारी,डिप्टी एसपी और थाना प्रभारी से बात की थी, उनका कहना था कि यदि ऐसा कुछ है तो इसकी जांच की जायेगी, लेकिन कोई नहीं आया।"

पत्रकार से जब यह प्रश्न किया गया कि उन्होंने यह समाचार अपने संस्थान को भेजा या नहीं इस पर संदीप कहते हैं-'संस्थान में खबर भेजी गई थी। 20 मई को चुनाव होना था इसी कारण इसे रोककर रखा गया। इस मामले में संस्थान ने सम्बंधित अधिकारियों से बातचीत करने की बात कही है। इसके साथ ही पत्रकार संगठन भी इस मुद्दे पर जोर डालेंगे। यदि कार्रवाई नहीं होती है तो सभी पत्रकार संगठन आन्दोलन करेंगे। मामले को कोर्ट में ले जाएंगे।'

पत्रकार के खिलाफ लिखवाया मुकदमा

इस मामले में ड्यूटी पर तैनात सेक्टर मजिस्ट्रेट पारुल अहिरवार ने सचिन वंदन त्रिपाठी पर इस वायरल वीडियो के संबंध में मुकदमा दर्ज कराया है। दर्ज कराई गई एफआईआर में सेक्टर मजिस्ट्रेट ने बताया कि पॉर्रा चुनाव पीठासीन अधिकारी हीरालाल के निर्देशन में पारदर्शिता के साथ कराया गया है। चुनाव प्रक्रिया की वीडियोग्राफ़ी भी कराई गई है। सचिन वंदन त्रिपाठी नामक व्यक्ति ने कूटरचित वीडियो बनाकर गलत तरीके से प्रसारित किया है।

पत्रकार के खिलाफ इन धाराओं में दर्ज हुआ मुकदमा
पत्रकार के खिलाफ इन धाराओं में दर्ज हुआ मुकदमा तस्वीर- द मूकनायक

राशन बंद कर देने की चेतावनी!

इस पूरे मामले में जिला निर्वाचन अधिकारी/जिलाधिकारी चित्रकूट ने निष्पक्ष जांच कराये जाने की बात कही है। वहीं रतिया का कहना है,वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस और अधिकारी उनके घर कई बार आये। राशन बंद कर देने की बात कही और अपने पक्ष में वीडियो भी बना लिया।

केस दबाव बनाने के लिए दर्ज कराया, सभी धाराएं गलत

पूर्व आईपीएस और आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने पूरे मामले को गम्भीर बताया है। अमिताभ कहते हैं- पत्रकार ने पूरे मामले का वीडियो सोशल मीडिया पर डालकर भारतीय चुनाव आयोग से जांच कराने के लिए अपील की थी। अतः उस पर कोई केस नहीं बनता है। वहीँ जो मामला दर्ज किया गया है उसकी धाराएं लगाई गई हैं। आईटी एक्ट की धारा-67 अश्लील साहित्य भेजने के लिए लगती है।

उस वीडियो में महिलाओं के सिर्फ बयान मात्र ही हैं,जो बिलकुल भी अश्लील नहीं है। धारा 182 और 188 लोक सेवक से संबंधित है। पत्रकार ने किसी भी अधिकारी और कर्मचारी का नाम या पद नहीं लिखा ऐसे में यह धारा भी गलत लगाई गई है। वीडियो देखकर साफ़ पता चल रहा है कि वह कूटरचित नहीं है इसलिए धारा 468 और 469 और न ही किसी को इंगित किया गया है। अतः यह एफआईआर भी गलत तरीके से मात्र दबाव बनाने के लिए दर्ज की गई है। आजाद अधिकार सेना इस पूरे मामले को लेकर कोर्ट जायेगी।

इस पूरे मामले को लेकर जिला निर्वाचन अधिकारी/जिलाधिकारी अभिषेक आनन्द से द मूकनायक ने बातचीत की। उन्होंने बताया 'पूरे मामले की जांच कराई जा चुकी है। महिलाओं ने बताया कि उनसे गलत बयान लिए गए थे। इसके साथ ही बयान की भी वीडियोग्राफी कराई गई है।' द मूकनायक ने जब जांच के दौरान राशन बंद करने की धमकी देने के आरोपों के बारे में पूछा तो जिलाधिकारी कुछ भी कहने से बचते नजर आये।'

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