'मैडम…आपको नहीं रख सकते, BJP ने आप पर रोक लगा दी है’: क्या अब भाजपा तय करेगी TV चैनल डिबेट में कौन बैठेगा, कौन नहीं?

RJD महिला प्रवक्ताओं का आरोप — BJP दबाव में TV चैनल्स डिबेट पैनल से बाहर कर रहे. एक ही पार्टी की तीन प्रवक्ताओं, सारिका पासवान, कंचना यादव, प्रियंका भारती ने लगाए बहुजनों की आवाज दबाने का आरोप.
Three spokespersons of the same party (RJD), Sarika Paswan, Kanchana Yadav and Priyanka Bharti, accused BJP and TV channels of suppressing the voice of the Bahujans.
एक ही पार्टी (RJD) की तीन प्रवक्ताओं, सारिका पासवान, कंचना यादव और प्रियंका भारती ने BJP और टीवी चैनलों पर लगाए बहुजनों की आवाज दबाने का आरोप. ग्राफिक- द मूकनायक
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नई दिल्ली: राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के महिला प्रवक्तों ने भारतीय टीवी चैनलों और सत्तारूढ़ दल के प्रवक्ताओं पर आरोप लगाया है कि राजनीतिक डिबेट्स पैनल में उन्हें शामिल करने से परहेज किया जा रहा है. आरजेडी की राष्ट्रीय प्रवक्ता व JNU की पीएचडी स्कालर प्रियंका भारती ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर अपने हैंडल से कई पोस्ट्स में आरोप लगाया है कि किस तरह से राजनीतिक प्रभाव में आकर टीवी चैनल डिबेट पैनल में लेने से आनाकानी करने लगे हैं. 

प्रियंका भारती ने इसे तो 'Modern Untouchability' तक कह दिया. उन्होंने कहा, “साल भर से मेरे साथ कई चैनल यही करते थे, कहते थे टॉपिक बदल गया इसलिए आपको नहीं ले रहे फिर देखते थे टॉपिक वही है। सारे प्रवक्ता वही रहते थे सिर्फ गायब मैं रहती थी. एक चैनल साल भर से नहीं लेते थे। कई एंकर्स ने तो साफ़ मना कर रखा था की साथ नहीं बैठेंगे।”

प्रियंका भारती ने द मूकनायक को बताया कि, “जब से हम प्रवक्ता बने हैं तब से यह मेरे साथ अनऑफिसियल रूप से हो रहा है. क्योंकि हमारा स्पष्ट उद्देश्य रहा है कि अगर हमारे बहुजन आईडियल और नेताओं को गालियां दी जाएंगी, जातिगत शब्द कहे जाएंगे तो हम सुनेगे नहीं. और हम टीवी चैनलों से बहुजन समाज की पीड़ा को बताएंगे, वो इसे चाहे या न चाहे. यही बात शायद उन्हें बुरा लग रहा है. ऐसा सिर्फ हमारी पार्टी के साथ ही नहीं सपा के प्रवक्ताओं के साथ भी यही हो रहा है.”

“खासकर जातिवाद मुद्दे पर जिन प्रवक्ताओं से टीवी डिबेट में मेरी भिड़न्त हो चुकी है. वो मेरे पार्टी को-ऑर्डिनेटर्स द्वारा नामिक करने के बावजूद डिबेट पैनल में शामिल नहीं करते थे. फिर मेरी पार्टी की तरफ से स्पष्ट किया गया कि डिबेट के लिए जाएंगी तो वही नहीं तो कोई नहीं जाएगा. तब जाकर 4-5 डिबेट के बाद मुझे पैनल में शामिल किया जाने लगा”, प्रियंका ने बताया.

प्रवक्ता ने बताया कि, “इस मामले पर हमारे पार्टी का स्टैंड क्लियर है कि जो-जो टीवी चैनल्स हमारे प्रवक्ताओं को एक्सेप्ट नहीं करेंगे उस चैनल पर हमारी पार्टी का कोई लीडर शामिल नहीं होगा. उन चैनलों को कोई बाईट नहीं दिए जाएंगे. उन चैनलों के साथ कोई बातचीत नहीं होगी. खुद तेजस्वी जी भी ऐसे चैनलों को इंटरव्यू नहीं देंगे.” 

प्रियंका भारती ने एक प्रवक्ता का नाम भी द मूकनायक को बताते हुए कहा कि, “अजय आलोक ऑन एयर डिबेट में सबके सामने बोले कि जिस डिबेट में ये बैठी होगी हम नहीं बैठेंगे, और BJP का कोई प्रवक्ता नहीं बैठेगा.”

आपको बता दें कि बिहार से आने वाले अजय आलोक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रवक्ता हैं. अजय आलोक पहले जनता दल यूनाइटेड में थे और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाते थे. बाद में भाजपा के दिल्ली स्थित राष्ट्रीय कार्यालय में आयोजित एक मिलन समारोह में उन्होंने बीजेपी की सदस्यता ली थी. केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने उन्हें बीजेपी की सदस्यता दिलाई थी.

RJD की ही एक और राष्ट्रीय प्रवक्ता कंचना यादव ने भी ऐसा ही आरोप लगाया है. वह अपने सोशल मीडिया हैंडल से लिखती हैं कि, “पिछले 2-4 दिनों से जब भी पार्टी मुझे किसी चैनल पर भेजती है, तो चैनल की ओर से फोन आता है कि ‘मैडम, हम आपको नहीं रख सकते, बीजेपी ने आप पर रोक लगा दी है।’ मेरा सीधा सवाल है, आखिर बीजेपी कौन होती है किसी प्रवक्ता को बैन करने वाली? यह तो हमारी पार्टी का अधिकार है, पार्टी जिसको जहाँ भेजती है वह वहीं जाता है। क्या यह निर्णय बीजेपी और एंकरों की सुविधा के आधार पर होगा?”

उन्होंने आगे बताया कि, “परसों से पहले ही 3 चैनलों ने मुझे हटा दिया। उसके बाद परसों 2 और चैनलों ने ऐसा ही किया। परसों एक चैनल ने साहस दिखाते हुए कहा  ‘आईए, हम रिस्क लेंगे।’ लेकिन जैसे ही मैं शो से जुड़ी, महज़ 10 मिनट के भीतर बीजेपी ऑफिस से चैनल को फोन आने लगा कि मुझे हटाया जाए। जब मुझे नहीं हटाया गया तो बीजेपी ने अपने प्रवक्ता को हटा लिया। कल भी एक चैनल ने शो शुरू होने से सिर्फ 10 मिनट पहले मुझे ड्रॉप कर दिया। एक चैनल ने तो फोन तक नहीं किया।”

“जिन चैनलों ने मुझे ड्रॉप किया, उन्होंने साफ कहा ‘हमने बहुत कोशिश की, लेकिन बीजेपी मान ही नहीं रही है।’ अब ज़रूरी है कि समझा जाए यह सब क्यों हो रहा है। सच्चाई यह है कि आरजेडी के सामने इनका नैरेटिव लगातार नाकाम हो रहा है। तथाकथित राजनीतिक विश्लेषक, जो वास्तव में संघी होते हैं, एंकर जो सामान्यत: बीजेपी का ही पक्ष लेते हैं, बीजेपी और एनडीए के अधिकांश प्रवक्ता सब एक ही भाषा बोलते हैं। इसके बावजूद वे आरजेडी की महिला प्रवक्ताओं से घबराए हुए हैं।”

“असल समस्या यह है कि इन्हें यह कल्पना तक नहीं थी कि पिछड़े और दलित समाज से आई महिलाएँ उनके कुतर्कों का डटकर सामना करेंगी और उन्हें टिकने नहीं देंगी। महिलाओं के प्रति घृणा तो इनकी विचारधारा का हिस्सा है ही। लेकिन यह लड़ाई ऐसे ही थमने वाली नहीं है। हम डरकर पीछे हट जाएँ यह संभव ही नहीं है,” कंचना यादव ने अपने पोस्ट में लिखा.

राजनीतिक विश्लेषक आशुतोष ने इस आवाज दबाने की कोशिश बताया. उन्होंने कहा, “कंचना यादव और प्रियंका भारती ने सामाजिक न्याय और दलित आंदोलन को बहुत मुखर आवाज दी है। इनकी आवाज़ को दबाने का अर्थ है सदियों से जिस समाज को बोलने नहीं दिया गया, उन पर फिर पाबंदी लगाई जा रही है। लेकिन अब ये बहादुर लड़कियां मूक नायक नहीं बनेंगी।”

आजेडी की प्रदेश प्रवक्ता सारिका पासवान ने भी इस मामले पर TV चैनलों और BJP पर आरोप लगाया है. उन्होंने अपने एक पोस्ट में लिखा कि, “भाजपाइयों का पुराना इतिहास रहा है, कि जब वह बहुजनों की बहन बेटियों के सवाल का जवाब नहीं दे पाते हैं तब ये बीच डिबेट से उठकर भागते हैं और कहते हैं कि हमारी पार्टी का गाइडलाइन है कि सारिका पासवान जिस भी डिबेट में बैठी रहें वहां से उठ जाना है. तमाम बड़ें मीडिया हाउस को चेतावनी दी गई है कि RJD की प्रवक्ता सारिका पासवान, कंचना यादव, प्रियंका भारती — तीनों प्रवक्ताओं को डिबेट के लिए टीवी चैनल पर जगह नहीं देना है, नहीं तो भाजपा के प्रवक्ता उस डिबेट में नहीं बैठेंगे, खैर संघीयो का डरना भी वाजिब है. हम तीनों का कॉन्बिनेशन भी इनके लिए बहुत खतरनाक है.”

इस मामले पर राजद के राज्यसभा सदस्य व राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज कुमार झा ने सोशल मीडिया पर लिखा कि, “आज टीवी बहसों के एक दुखद पहलू की ओर आप सबों का ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूँ. जहाँ हमारी पढ़ी-लिखी और वैचारिकी से लैस राजद की महिला प्रवक्ताओं के साथ भाजपा बहस में शामिल नहीं होना चाहती है और चैनल्स उसी तुरही को बजा रहे हैंI टीवी बहसों में यदि भाजपा यह तय करे कि विपक्ष से कौन बोलने आएगा और कौन नहीं, तो यह राजनीति में निष्पक्ष खेल नहीं बल्कि एक सजाया हुआ नाटक है। लोकतंत्र में विपक्ष को अपने प्रतिनिधि स्वयं चुनने का अधिकार है, न कि सत्ता पक्ष की मंज़ूरी से।”

उन्होंने आगे कहा, “जब सरकार यह तय करने लगे कि उसके सामने कौन बैठेगा, तो बहस का असली मक़सद ही खत्म हो जाता है। मीडिया की स्वतंत्रता और बहस की विश्वसनीयता इसी में है कि हर पक्ष अपनी आवाज़ लेकर सामने आए—चाहे वह सत्ता के लिए असहज ही क्यों न हो। यही लोकतंत्र की असली परीक्षा है।”

यह उल्लेखनीय है कि इन आरोपों पर अभी तक भाजपा की तरफ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया या टिप्पणी नहीं आई है.

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