राजस्थान: लोकसभा चुनाव से पहले आयोग, निगम व बोर्डों में राजनीतिक नियुक्तियां करने से भाजपा को कितना होगा लाभ?

जातिगत समीकरण साधते हुए नेताओं की नाराजगी दूर करने की दिशा में भाजपा ने चली बड़ी चाल। राजस्थान विधानसभा चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस ने भी दर्जनों बोर्ड व आयोग गठित कर जातिगत समीकरण के आधार पर राजनीतिक लाभ लेने का किया था असफल प्रयास।
राजनीतिक नियुक्तियां
राजनीतिक नियुक्तियांGraphic- The Mooknayak

जयपुर। आचार संहिता लागू होने से चंद घंटों पहले भाजपा की भजन लाल शर्मा सरकार ने शनिवार को विभिन्न बोर्ड व आयोगों में आधा दर्जन से अधिक राजनीतिक नियुक्तियां कर बड़ा राजनीतिक दांव खेला है। यहां जातिगत समीकरण साधने के साथ ही पार्टी ने नाराज नेताओं को मना लिया है। इनमें बड़ा नाम जसवंत बिश्नोई का है। बिश्नोई को राज्य पशु कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष मनोनीत किया गया है। इस नाम के साथ ही राजस्थान में एक बड़े समाज को साधने का प्रयास किया गया है।

वहीं, कांग्रेस ने भी विधानसभा चुनावों से ठीक पहले राजस्थान में दर्जनों बोर्ड व निगमों का गठन कर जातिगत समीकरण साधने का दाव चला था। हालांकि, इन बोर्डों में नियुक्तियां कर पाने में पार्टी असफल रही थीं। अक्सर देखा गया है कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार बोर्डों में राजनीतिक नियुक्तियां अंतिम समय में करती रही है। राजनीतिक नियुक्तियों में लेटलतीफी का खामियाजा कांग्रेस को विधानसभा चुनावों में भुगतना पड़ा था। वहीं इस बार भजन लाल शर्मा ने शुरुआत में ही आधा दर्जन बोर्डों में राजनीतिक नियुक्तियां कर लोकसभा चुनावों में जातीय समीकरण के आधार पर मतदाताओं को खुश करने का प्रयास किया है।

किसान आयोग, देवनारायण बोर्ड, एससी वित्त निगम, सैनिक कल्याण समिति को राजनीतिक रूप से अहम माना जाता है। इन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा देने के आदेश अलग से जारी होंगे। विधानसभा चुनावों के समय से पार्टी से नाराज चल रहे राजेंद्र नायक को भाजपा ने राजस्थान राज्य एससी वित्त निगम अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया है। सेवानिवृत आईएएस राजेंद्र एससी मोर्चा के उपाध्यक्ष हैं। राजस्थान विधानसभा चुनावों में सुजानगढ़ विधानसभा सीट से टिकट नहीं मिलने से पार्टी से नाराज हुए थे। निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा भी की थी। यहां भाजपा ने नायक की नाराजगी दूर करने के साथ ही एससी वर्ग को साधने का प्रयास किया है।

नागौर से पूर्व भाजपा सांसद सी.आर. चौधरी को राजस्थान किसान आयोग अध्यक्ष बनाया गया है। राजस्थान के नागौर निर्वाचन क्षेत्र से 16वीं लोकसभा में संसद सदस्य चुने गए थे। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के राज्य मंत्री की जिम्मेदारी भी मिली। सितंबर 2017 के कैबिनेट विस्तार में, उन्होंने कम्युनिटी और उद्योग मंत्रालय का राज्य मंत्री भी बनाया गया। वह 1971-1977 से सरकारी कॉलेज सिरोही, दौसा और अजमेर में कॉलेज व्याख्याता रहे, 2006-2010 राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष रहे। छोटू राम चौधरी को लोकप्रिय रूप से सीआर चौधरी या सी.आर. साहब कहा जाता है। चौधरी राजनीतिज्ञ के साथ सामाजिक सरोकारों के लिए भी जाने जाते हैं।

जोधपुर से पूर्व भाजपा सांसद जसवंत विश्नोई को जीव जंतु कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति दी गई है। विश्नोई जोधपुर लोकसभा से भाजपा की टिकट की घोषणा के बाद से पार्टी से नाराज थे। बोर्ड अध्यक्ष बनाकर पार्टी ने उन्हें मना लिया है। आचार संहिता से पहले जसवंत सिंह विश्नोई को सरकार ने जीव जंतु कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया। गौरतलब है कि पूर्व सांसद जसवंत सिंह इससे पहले केंद्रीय ऊन विकास बोर्ड के अध्यक्ष रह चुके हैं। जोधपुर से 13वीं और 14वीं लोकसभा के सदस्य रहे हैं। राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं शुमार होते हैं। 1998 के लोकसभा चुनाव में अशोक गहलोत से मामूली अंतर से हारे, लेकिन 1999 और 2004 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की। 2009 में लोकसभा चुनाव में चंद्रेश कुमारी से हार गए।  

गुर्जर मतदाताओं को साधने के लिए ओमप्रकाश भडाना को देवनारायण बोर्ड अध्यक्ष बनाया गया है। भडाना भाजपा में ओबीसी मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। वर्तमान में पार्टी में प्रदेश महामंत्री है, और अजमेर जिले से आते हैं। अजमेर के अलावा भीलवाड़ा, कोटा, बूंदी में भी इनकी समाज पर अच्छी पकड़ मानी जाती है। उधर गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति अध्यक्ष विजय बैंसला के भी देवनारायण बोर्ड अध्यक्ष पद के लिए दौड़ में होने की बात कही गई है। विधानसभा चुनाव में पार्टी ने बैंसला को अलीगढ़-उनियारा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ाया था, लेकिन कांग्रेस के हरीश मीणा के सामने चुनाव हार गए थे।

रामगोपाल सुथार को विश्वकर्मा कौशल विकास बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया। "श्री विश्वकर्मा कौशल विकास बोर्ड" का गठन तत्कालीन कांग्रेस की गहलोत सरकार ने किया था। हालांकि कांग्रेस बोर्ड अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति नहीं कर पाई थी। कौशल, नियोजन एवं उद्यमिता विकास विभाग राजस्थान सरकार के उपसचिव नरेश गोकलानी द्वारा सुथार के मनोनयन सम्बन्धी शासकीय पत्र जारी किया गया है। यह मनोनयन लोकसभा चुनाव की घोषणा के कुछ ही समय पहले किया गया।

राज्य स्तरीय सैनिक कल्याण सलाहकार समिति अध्यक्ष प्रेम सिंह बाजौर भी भाजपा के बड़े नेताओं में से एक हैं। शेखावाटी के नीम का थाना से पूर्व विधायक रहे हैं। बाजोर को तीसरी बार अध्यक्ष बनाया गया है। बाजौर एक बिजनेसमैन भी हैं।

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले छह राजनीतिक नियुक्तियां देकर भाजपा सरकार ने छह बड़े वोट बैंक को मैसेज देकर साधने का प्रयास किया है। जाट, राजपूत, विश्नोई, गुर्जर, एससी, मूल ओबीसी को साधा गया है। किसान आयोग अध्यक्ष पद पर सीआर चौधरी को नियुक्ति देकर जाट वर्ग को मैसेज देने का प्रयास किया है। देवनारायण बोर्ड अध्यक्ष बनाकर गुर्जर समाज को साधने का प्रयास किया है। सैनिक कल्याण समिति में पूर्व विधायक प्रेम सिंह बाजौर को नियुक्ति देकर राजपूत समाज को मैसेज देने का प्रयास किया है। एससी वित्त विकास निगम के जरिए दलित वोटर्स, माटी कला बोर्ड और विश्वकर्मा कौशल विकास बोर्ड के जरिए मूल ओबीसी को मैसेज दिया गया है।

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