राजस्थान चुनाव 2023: क्या भरतपुर संभाग की 19 सीटों पर कांग्रेस-बीजेपी का गणित बिगाड़ पाऐगी बसपा?

संभाग में राजनैतिक पार्टियां जनमुद्दों को भुला जातिगत समीकरण को चुनाव प्रचार का बना रही आधार।
बामनवास विधान क्षेत्र में एक बुजुर्ग मतदाता से बात करते हुए द मूकनायक के पत्रकार अब्दुल माहिर
बामनवास विधान क्षेत्र में एक बुजुर्ग मतदाता से बात करते हुए द मूकनायक के पत्रकार अब्दुल माहिरफोटो- द मूकनायक

जयपुर। राजस्थान में विधानसभा चुनाव 25 नवम्बर को है। जैसे-जैसे चुनाव की तिथि नजदीक आ रही है। चुनाव मैदान में डटे प्रत्याशियों की धड़कने भी बढ़ रही है। प्रदेश में चुनाव में भारतीय जनता पार्टी व कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होता रहा है। हालांकि भरतपुर संभाग में बहुजन समाज पार्टी की मजबूती सवाईमाधोपुर, गंगापुरसिटी, करौली धौलपुर व भरतपुर जिलों में कई सीटों के परिणाम पलट सकती है। प्रमुख दलों से बागी होकर चुनाव मैदान में डटे प्रत्याशी भी जातिगत समीकरणों का गणित गड़बड़ाने में अहम भूमिका निभाने वाले हैं।

क्या कमाल दिखा पाऐगी असपा!

इस बार राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी आरएलपी व .आजाद समाज पार्टी गठबंधन कर चुनाव में साथ मिलकर ताल ठोक रहे हैं। कई सीटों पर इस गठबंधन ने दोनों प्रमुख दलों के जातिगत समीकरण को बिगाड़ दिया है। बसपा भी डेढ़ सौ से अधिक सीटों पर चुनाव मैदान में है। वहीं भरतपुर संभाग में आरएलपी-असपा व बीएसपी के प्रत्याशियों की जीत की संभावनाओं को तलाशने के लिए द मूकनायक की टीम ने संभाग का तूफानी दौरा किया।

टीम राजधानी जयपुर से 180 किलोमीटर दूर पूर्वी राजस्थान के भरतपुर संभाग के सवाईमाधोपुर जिला मुख्यालय पहुंची। इस बार सामान्य श्रेणी की सवाईमाधोपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने विधायक दानिश अबरार को दोबारा मैदान में उतारा है। भाजपा ने पिछला विधानसभा चुनाव हारी आशा मीना को किनारे कर राज्यसभा सांसद एवं भाजपा के स्टार प्रचारक डॉ. किरोड़ीलाल मीना पर दांव खेला है। मीना के मैदान में आने से सवाईमाधोपुर विधानसभा सीट संभाग की हॉट सीट बन गई है। भाजपा व कांग्रेस की इस सीट पर नजर है। हालांकि भाजपा से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रही आशा मीना ने भाजपा के स्टार प्रचारक डॉ. किरोड़ी को सवाईमाधोपुर में ही घेर लिया है। डॉ़ किरोड़ीलाल चुनाव प्रचार में अभी तक अपनी जाति से बाहर ही नहीं निकल पा रहे हैं। ऐसे में अब सबकी निगाहें क्षेत्र के सामान्य मदाताओं पर टिकी हैं जो कि निर्णायक होने वाले हैं।

यहां सामाजिक कार्यकर्ता एडवोकेट हरी प्रसाद योगी का कहना है कि लोकतंत्र में विकास के मुद्दों पर चुनाव में आना चाहिए, लेकिन यह कड़वी सच्चाई है कि यहां स्थानीय मुद्दे जैसे रणथम्भौर से रोजगार, शिक्षा, पानी, बिजली व चिकित्सा जैसे मूल मुद्दे गौण हैं। धर्म व जाति ही चुनावी मुद्दा बनकर रह गया है। सवाईमाधोपुर जिले में चार विधानसभा सीट है। पिछली बार तीन कांग्रेस व एक निर्दलीय ने जीती थीं। इस बार खण्डार को छोड़ दें तो सवाईमाधोपुर, गंगापुर सिटी और बामनवास के मतदाता भी विकास के लिए मतदान करने वाले हैं। हालांकि अब हर जगह जातिगत समीकरणों पर चुनाव होने लगा है।

सवाईमाधोपुर से हम बामनवास विधानसभा क्षेत्र के जस्टाना गांव पहुंचे। यह गांव बौंली उपखण्ड में है। गांव की हताई के पास चाय की दुकान पर बैठे ग्रामीणो से बात की तो उन्होंने कहा कि हमारे यहां कोई समस्या नहीं है। किसानों के लिए पानी की समस्या है। अब मोरेल बांध से नहरों में पानी छोड़ दिया है। हंसराज मीना ने कहा कि विकास तो खूब हुआ है। इस बार भी कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में मतदान होगा। विधायक इंदिरा मीना ने जनहित में काम किए हैं। मुन्ना लाल मीना ने कहा कि कांग्रेस किसान हित में काम करती है। यहां बीएसपी प्रत्याशी को लेकर भी चर्चा हुई।

जस्टाना से निकल कर हम मलारना डूंगर के रास्ते 25 किलोमीटर दूर बामनवास विधानसभा क्षेत्र के गंगापुर सड़क मार्ग पर ग्राम पंचायत जीवद के हरीपुरा गांव पहुंचे। यहां सौ प्रतिशत दलित रहते हैं। बातचीत में पता चला कि विकस उनके गांव तक नहीं पहुंचा है। नेता पिछले चुनाव में वोट मांगने आए थे। वोट के बाद पांच साल में पलट कर नहीं देखा। गांव में ना सड़क है ना पानी की व्यवस्था है। हैण्डपम्पों में पानी सूख जाता है। सरकार की ज्यादातर योजनाएं गांव तक नहीं पहुंची है। अब दोबारा चुनाव आ गए हैं। गांव की महिलाओं ने बताया कि इस बार वे विकास के वादे के साथ अपनी पार्टी को वोट करेंगे।

जातिगत समीकरणों पर रहा फोकस

राजस्थान विधानसभा चुनावों में कांग्रेस व भाजपा ने विकास के मुद्दों को छोड़ अपने-अपने समीकरणों के आधार पर विभिन्न समाज के प्रत्याशियों को मौका देकर मतदाताओं को साधने का प्रयास किया है। राजस्थान में कुल 200 विधानसभा क्षेत्र है। यहां स्थानीय जनमुद्दों को नजरअंदाज कर जातिगत समीकरणों को आधार बना प्रत्याशियों को उतारा गया है। कांग्रेस और बीजेपी ने राजपूत, ब्राह्मण, एससी व एसटी और जाट समाज को टिकट देने में ज्यादा महत्व दिया है। बीएसपी व असपा ने भी जातीय आधार को देखते हुए टिकट वितरण किए है।

भरतपुर संभाग के चार जिलो में 19 विधानसभा क्षेत्र हैं। इनमें भरतपुर जिले की वैर, बयाना, धौलपुर जिले की बसेड़ी, करौली जिले की हिण्डौन, सवाईमाधोपुर जिले की खण्डार एससी के लिए आरक्षित हैं। करौली जिले की टोडाभीम, सपोटरा व सवाईमाधोपुर जिले की बामनवास सीट एसटी के लिए आरक्षित हैं। भरतपुर संभाग के वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विशेषज्ञ आकाश गुप्ता के अनुसार इस बार पूर्वी राजस्थान के भरतपुर संभाग में पिछले चुनाव के मुकाबले विधानसभा सीटों में ज्यादातर पर यथा स्थिति रहने वाली है। जबकि कुछ पर बदलाव होने की संभावना है। इस संभाग में कुछ चौंकाने वाले परिणाम में देखने को मिल सकते हैं।

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