राहुल की संसद सदस्यता रद्द: कांग्रेस आक्रोशित, समर्थक सड़कों पर

मध्य प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. विक्रांत भूरिया द्वारा रानी कमलापति स्टेशन पर राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द करने के विरोध में दक्षिण सुपरफास्ट ट्रेन रोक दिया गया।
राहुल गांधी
राहुल गांधीफोटो साभार- सोशल मीडिया

शुक्रवार का दिन देशभर में राजनीतिक सरगर्मियों भरा रहा। वायनाड के सांसद राहुल गांधी को एक दिन पूर्व सूरत कोर्ट द्वारा 'मोदी सरनेम' को लेकर टिप्पणी करने पर दो साल की सजा सुनाई गई थी। कोर्ट द्वारा निर्णय दिए 24 घण्टों के भीतर ही संसद ने नियमों का हवाला देते हुए गांधी की संसद सदस्यता समाप्त कर दी। लोकसभा सचिवालय की तरफ से इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई। गांधी की सदस्यता समाप्त किये जाने की अधिसूचना के साथ ही कांग्रेस के कद्दावर नेताओं, विपक्ष और समर्थकों ने मोदी सरकार की कड़ी भर्त्सना की। देश भर में कांग्रेस समर्थकों ने इसे द्वेषपूर्ण राजनीति और विपक्ष की आवाज को कुचल देने का प्रयास बताया। नई दिल्ली से लेकर केरल तक कांग्रेसी सड़कों पर उतरे।

राहुल की सदस्यता रद्द होने पर कांग्रेस समर्थकों ने जमकर हंगामा किया। लखनऊ में कांग्रेस नेता, कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी हिरासत में लिए गए। नसीमुद्दीन सिद्दीकी भी हिरासत में लिए गए। राहुल गाँधी की सदस्यता रद्द होने पर रांची के झारखण्ड में कांग्रेस और बीजेपी नेताओं में झड़प हो गई। लोकसभा की वेबसाइट से भी राहुल गाँधी का नाम हटा दिया गया है।

दूसरी ओर कांग्रेस शासित राजस्थान में पुलिस विभाग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए उदयपुर में एक सभा मे भडकाऊ भाषण देने के आरोप में बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री के विरूद्ध शुक्रवार को दो मुकदमे राजसमंद और उदयपुर जिलों में दर्ज किए। हालांकि इसे सीधे तौर पर राहुल गांधी के निष्कासन से नहीं जोड़ा जा रहा लेकिन राजनीतिक विश्लेषक इसे दबे स्वरों में कांग्रेस शासित प्रदेश से भाजपा को एक जवाबी कार्रवाई बताते हैं क्योंकि बागेश्वर धाम इन दिनों भगवा व हिन्दुत्व समर्थकों के आकर्षण और आस्था का सबसे बड़ा केंद्र बना हुआ है।

बता दें कि मानहानि के मामले में सूरत की अदालत ने गुरुवार को ही राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई थी. इसी सुनवाई के दौरान राहुल गाँधी को जमानत भी दे दी गयी थी। राहुल गांधी पर 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी सरनेम को लेकर विवादित टिप्पणी का आरोप लगा जिसके बाद राहुल के खिलाफ गुजरात भाजपा के विधायक पूर्णेश मोदी ने मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था.

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लोकसभा सचिवालय की तरफ से इस बारे में सात पंक्तियों की एक अधिसूचना जारी की गई है. इसमें कहा गया है कि सूरत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत की तरफ से दोषी करार दिए जाने के बाद केरल के वायनाड से लोकसभा सदस्य राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य किया जाता है. यह अयोग्यता उन पर दोष साबित होने के दिन यानी 23 मार्च 2023 से लागू रहेगी. यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 102 (1) (e) के प्रावधानों और जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा आठ के तहत लिया गया है.

सोशल मीडिया में फूटा गुबार

राहुल गाँधी की लोक सभा सदस्यता रद्द होने पर विपक्षी दल के कई बड़े नेताओं ने प्रतिक्रिया दी है। इसी के साथ सोशल मीडिया पर आम जनता द्वारा विरोध भी जताया जा रहा है. कांग्रेस पार्टी के ऑफिसियल ट्विटर हैंडल से भी ट्वीट किया गया और लिखा, "राहुल गांधी जी की लोकसभा सदस्यता ख़त्म कर दी गई. वह आपके और इस देश के लिए लगातार सड़क से संसद तक लड़ रहे हैं, लोकतंत्र को बचाने की हर सम्भव कोशिश कर रहे हैं। हर षड्यंत्र के बावजूद वह यह लड़ाई हर क़ीमत पर जारी रखेंगे और इस मामले में न्यायसंगत कार्यवाही करेंगे. लड़ाई जारी है."

वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ट्वीट करके लिखा, "मोदी सरकार को सबसे ज़्यादा डर श्री राहुल गाँधी व कांग्रेस पार्टी से लगता है. लोकतंत्र की हत्या करने लिए उन्होंने श्री गाँधी की संसद सदस्यता रद्द की है. वो सच बोलने वालों का मुँह बंद करना चाहते हैं. देशवासी ये तानाशाही नहीं सहेंगे. लोकतंत्र की हिफ़ाज़त के लिए हम जेल तक जाएँगे."

अखिलेश यादव भी राहुल गाँधी के पक्ष में उतरे और ट्विटर पर लिखा, "संसद की सदस्यता के अपहरण से राजनीतिक चुनौती ख़त्म नहीं हो जाती. सबसे बड़े आंदोलन संसद नहीं; सड़क पर लड़कर जीते गये हैं. जिन महोदय ने मानहानि का दावा किया है दरअसल ये उन्हें अपने उन लोगों पर करना चाहिए जो अपने देश को धोखा देकर विदेश भाग गये, जिससे उनके नाम-मान को हानि पहुँची है."

"ये लड़ाई इस देश को बचने की लड़ाई है:" अरविंद केजरीवाल

आम आदमी पार्टी ने भी अपने ऑफिसियल ट्विटर हैंडल से कई ट्वीट्स किए, वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, "सारे लोगों को साथ आना पड़ेगा। ये लड़ाई राहुल गाँधी की लड़ाई नहीं है. ये लड़ाई कांग्रेस की लड़ाई नहीं है. ये लड़ाई इस देश को बचाने की लड़ाई है। एक तानाशाह से, एक कम पढ़े-लिखे व्यक्ति से, एक अहंकारी व्यक्ति से—इस देश को बचाने की लड़ाई है."

अरविंद केजरीवाल ने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा, "लोकसभा से राहुल गांधी जी का निष्कासन चौंकाने वाला है. देश बहुत कठिन दौर से गुज़र रहा है। पूरे देश को इन्होंने डरा कर रखा हुआ है। 130 करोड़ लोगों को इनकी अहंकारी सत्ता के ख़िलाफ़ एकत्र होना होगा."

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आदित्य ठाकरे ने भी मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि, "हर बड़ा कदम अब साबित करता है कि हम अपने देश में लोकतंत्र और संवैधानिक आदर्शों के नियोजित अंत की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं. यह केवल राहुल गाँधी के बारे में नहीं है। यह हम सभी नागरिकों के बारे में है."

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव ने भी मामले पर टिप्पड़ी दी और कहा, "तीन कुख्यात घोटालेबाज नीरव मोदी 14000 करोड, ललित मोदी 425 करोड़, मेहुल चौकसी 13500 करोड़ के लुटेरों व देश के भगोड़ो को पिछड़ा कहकर भाजपा उनको बचाने की कोशिश में लगी है, जो बहुत ही दुखद है. अपराधी केवल अपराधी होता है उसे पिछड़ा-अगड़ा, जाति व धर्म के तराजू पर नहीं तौलना चाहिए."

प्रदर्शन पर हिरासत में लिए गए नेता

राहुल गाँधी की लोक सभा सदस्यता रद्द होने पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बड़ी मात्रा में दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन शुरू किया, वहीं लखनऊ में विरोध करने पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया.

इस पूरे मामले पर कांग्रेस पार्टी कि तरफ से प्रेस कांफ्रेंस करते हुए अभिषेक सिंघवी ने कहा, "सरकारी संस्थाओं का दमन हो रहा है. राहुल को सच बोलने की सजा मिली है. लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है." कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, हम सभी जानते हैं कि राहुल गांधी संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह बेख़ौफ़ होकर बोलते आ रहे हैं. जाहिर है, कि वह इसकी कीमत चुका रहे हैं. सरकार बौखला गई है. और उनकी आवाज दबाने के लिए नई तकनीक खोज रही है.

बीजेपी ने भी एक प्रेस कांफ्रेंस कि जिसमें केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, राहुल गांधी खुद को दुर्भाग्य से सांसद मानते थे, जो उनको दुर्भाग्य लगता था आज उससे भी उनको मुक्ति मिल गई है. उनके साथ-साथ वायनाड के लोगों को भी इससे छुटकारा मिल पाया.

"राहुल गांधी इतने लंबे समय से लोकसभा के सदस्य थे, 2009 से 2014 तक, इन 5 वर्षों में कभी अमेठी के लिए सवाल नहीं पूछ पाए. इतने वर्षों में मात्र 21 डिबेट्स में भाग लिया. यह अपने आप में उनके बारे में बताता है," बीजेपी ने राहुल गाँधी पर हमले करते हुए कहा.

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