शिशु-मातृ मृत्यु दर में फिसड्डी रहा मध्यप्रदेश! PCC चीफ पटवारी ने सरकार से पूछा- 4500 करोड़ का बजट कहां गया?

अपने पत्र में कांग्रेस नेता ने एक और चौंकाने वाला दावा किया कि पिछले वर्षों में सरकार द्वारा 10 हजार करोड़ रुपये चाय-नाश्ते, प्रचार और इवेंट्स पर खर्च कर दिए गए। जबकि प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं आज भी जर्जर हाल में हैं।
मध्यप्रदेश प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी
मध्यप्रदेश प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारीइंटरनेट
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भोपाल। दो दिन पहले जारी हुई सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS) की रिपोर्ट में एक बार फिर मध्यप्रदेश शिशु और मातृ मृत्यु दर के मामले में देश के सबसे खराब राज्यों में शामिल रहा। इस रिपोर्ट को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने शिवराज सरकार के उत्तराधिकारी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव पर तीखा हमला बोला है। पटवारी ने सीएम को पत्र लिखते हुए प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था और करोड़ों के बजट के बावजूद हालात ना सुधरने पर जवाब मांगा है।

हर 1000 में 40 बच्चों की नहीं बच पाती जान

अपने पत्र में पटवारी ने लिखा, "SRS की रिपोर्ट ने यह खुलासा किया है कि प्रदेश में हर 1000 बच्चों में से 40 बच्चे अपना पहला जन्मदिन तक नहीं मना पाते। यह आंकड़ा बेहद भयावह है और सीधे तौर पर सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।"

4500 करोड़ रुपए का बजट, फिर भी नतीजे शून्य?

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सरकार कागजों में विकास की गंगा बहा रही है, जबकि हकीकत में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं। "हम हर महीने कर्ज लेकर विकास के रथ को आगे बढ़ा रहे हैं, लेकिन 4500 करोड़ रुपए का सालाना स्वास्थ्य बजट आखिर जाता कहां है?" पटवारी ने पूछा। उन्होंने CAG की रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि यह राशि कुपोषण जैसे "घोटालों" में समा जाती है।

जीतू पटवारी ने तंज कसते हुए कहा, "कर्ज, करप्शन और कमीशन का ‘ट्रिपल इंजन’ आर्थिक अराजकता की पटरियों पर बुलेट ट्रेन से तेज दौड़ रहा है, लेकिन भोपाल से दिल्ली तक सिर्फ बयानबाजी हो रही है।"

केवल 120 अस्पतालों में सिजेरियन सुविधा

पटवारी ने स्वास्थ्य विभाग के ढांचे पर भी सवाल उठाए। उन्होंने लिखा, "2022 में प्रदेश में कुल 547 स्वास्थ्य केंद्र थे (52 जिला, 161 सिविल और 348 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र), फिर भी केवल 120 अस्पतालों में ही सिजेरियन डिलीवरी की सुविधा उपलब्ध थी। बाकी अस्पताल क्या सिर्फ रेफरल सेंटर बनकर रह गए हैं?"

70% से अधिक पद खाली, SNCU में 55% मौतें रेफरल से

पत्र में पटवारी ने यह भी लिखा कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में 70% से अधिक शिशु रोग विशेषज्ञों के पद खाली हैं। SNCU (विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई) में होने वाली 55% मौतों का कारण रेफरल होता है। "ऐसे में लगता है कि सरकार का संदेश है- बीमार पड़ो, रेफर हो जाओ और फिर भगवान भरोसे रहो," उन्होंने जोड़ा।

10 हजार करोड़ सिर्फ चाय-नाश्ते पर?

अपने पत्र में कांग्रेस नेता ने एक और चौंकाने वाला दावा किया कि पिछले वर्षों में सरकार द्वारा 10 हजार करोड़ रुपये चाय-नाश्ते, प्रचार और इवेंट्स पर खर्च कर दिए गए। जबकि प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं आज भी जर्जर हाल में हैं।

पटवारी ने सवाल उठाया कि लगभग ₹4.5 लाख करोड़ के कर्ज में डूबा प्रदेश आखिर अपनी बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं क्यों नहीं सुधार पा रहा है? उन्होंने कहा, "बार-बार पूछना पड़ता है कि 'स्वस्थ मध्यप्रदेश' क्या आपकी सरकार की प्राथमिकता में है भी या सिर्फ भाषणों और विज्ञापनों में ही स्वास्थ्य का सपना बेचा जाएगा?"

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