लोकसभा चुनाव 2024ः मोहनलालगंज सुरक्षित सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला, पासी मतदाता तय करेगा किसकी होगी जीत?

हैट्रिक लगाने के लिए भाजपा ने लगाया पूरा जोर, तो सपा सीट फिर परचम फहराने के फेर में, लगातार चार बार दूसरे स्थान पर रही बसपा भी तलाश रही जीत।
कौशल किशोर, आरके चौधरी व मनोज प्रधान क्रमशः।
कौशल किशोर, आरके चौधरी व मनोज प्रधान क्रमशः।द मूकनायक
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लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ की ग्रामीण लोकसभा सीट मोहनलालगंज वर्ष 1962 में वजूद में आई थी। उन्नाव और लखनऊ से सटी यह सीट एससी के लिए रिजर्व है। पहली बार हुए चुनाव में कांग्रेस की गंगा देवी ने जीत हासिल की थी। उसके बाद से लगातार 3 कार्यकाल तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा बना रहा। हालांकि देश में लगी इमरजेंसी ने माहौल बदल दिया और 1977 में जनता पार्टी के राम लाल कुरील ने जीत हासिल करके कांग्रेस का दबदबा तोड़ दिया।

मोहनलाल गंज में काग्रेस आखिरी बार 1984 में जीती थी। तब उसके उम्मीदवार जगन्नाथ प्रसाद इस सीट से सांसद बने थे। उसके बाद से यह सीट बीजेपी और सपा के बीच घूम रही है और कांग्रेस पिछले 40 साल से इस सीट से बाहर है।

वर्ष 2014 में शुरू हुई मोदी लहर में कौशल किशोर इस सीट से जीते थे और तब से लगातार वे इस सीट पर सांसद बने हुए हैं। अब जहां इस सीट पर सपा अपना दबदबा दोबारा पाने को बेकरार है तो कांग्रेस 40 साल पहले खोई अपनी प्रतिष्ठा को फिर से पाने की जद्दोजहद में जुटी है।

बहरहाल, भाजपा हैट्रिक लगाने को बेताब है तो 1998 से 2009 तक लगातार चार बार जीत का स्वाद चख चुकी सपा पांचवीं जीत के लिए बेकरार है। वहीं लगातार चौथे स्थान पर रहने वाली बसपा खाता खोलने की उम्मीद में पूरा जोर लगा रही है। लगातार दो बार भगवा परचम पहरा चुके केन्द्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर को फिर से मैदान में उतारा है। वे मलिहाबाद सीट से 2002 से निर्दलीय विधायक भी रहे है।

लखनऊ के इंदिरा नगर स्थित आवास पर क्षेत्र के लोगों के साथ सपा प्रत्याशी आरके चौधरी।
लखनऊ के इंदिरा नगर स्थित आवास पर क्षेत्र के लोगों के साथ सपा प्रत्याशी आरके चौधरी।द मूकनायक

सपा प्रत्याशी आरके चौधरी बसपा के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे है बसपा सरकार में चार बार मंत्री भी रहे है। मोहनलालगंज विधानसभा सीट से भी चौधरी बसपा के टिकट और एक बार भाजपा के समर्थन से निर्दलीय विधायक रह चुके है। फैजाबाद में जन्मे चौधरी मोहनलालगंज सीट पर तीन बार किस्मत अजमा चुके है। हालांकि तीनों बार उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा। बसपा से जुदा हुए तो 2019 में कांग्रेस से भाग्य आजमाया। अब सपा से मैदान में उतरे है।

बसपा प्रत्याशी राजेश कुमार उर्फ मनोज प्रधान मोहनलालगंज क्षेत्र के ही निवासी है। ऐसे में मतदाता इनसभी से भलीभांति परिचित है। इसी वजह से समर्थन और नाराजगी का अलग स्तर है।

लोकसभा क्षेत्र की सियासी नब्ज टटोलने के लिए द मूकनायक ने क्षेत्र का दौरा किया और मतदाओं से स्थानीय मुद्दों पर बातचीत की।

कौशल किशोर का पम्पलेट दिखाते स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता।
कौशल किशोर का पम्पलेट दिखाते स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता।द मूकनायक.

मौजूदा सांसद से नाराज क्यों है लोग?

भाजपा प्रत्याशी कौशल किशोर को मलिहाबाद विधानसभा क्षेत्र में सवर्णों की नाराजगी झेलनी पड़ रही है। यहां से उनकी पत्नी जयदेवी विधायक है। सपा प्रत्याशी आरके चौधरी की क्षेत्र के दलित वोट बैंक में खासी पैठ मानी जाती है। यही वजह है कि भले ही वे सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हों, लेकिन यहां यादवों का एक वर्ग उनसे नाराज है।

पांचों विधानसभा के अलग है समीकरण व मुद्दे

मोहनलालगंज लोकसभा सीट में लखनऊ की मलिहाबाद, सरोजनी नगर, बीकेटी, मोहनलालगंज और सीतापुर की सिधौली विधानसभा सीट आती है। इन सभी पर भाजपा का कब्जा है। हर विधानसभा क्षेत्र के अपने मुद्दे और समीकरण है। सीतापुर का सिधौली विधानसभा क्षेत्र सबसे दूर है। ऐसे में वहां एक बड़े वर्ग में मौजूदा सांसद के प्रति नाराजगी है।

द मूकनायक को अटरिया निवासी कामता प्रसाद, दर्शन रावत, अर्जुन रावत ने बताया कि चुनाव के दौरान ही सांसद के दर्शन होते है। सिधौली, महमूदाबाद व बिसवां क्षेत्र में ओवरब्रिज नहीं बनने से लोग परेशान है।

फलपट्टी में सुविधाएं नहीं होने से नाराजगी

दुनियाभर में आम के लिए मशहूर मलिहाबाद में समीकरण कुछ भी हो मुद्दा आम के बगीचे ही है। महिलाबाद के पास माल कस्बे में मिले रविकांत और अरविंद भार्गव के मुताबिक क्षेत्र को फलपट्टी का दर्जा है, लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है। कीटों की बढ़ती संख्या तथा कीटनाशकों की आसमान छूती कीमतों की वजह से आम के पेड़ काट कर खेती करने को मजबूर है। वो दिन दूर नहीं, जब यहां गिने-चुने बाग ही बचेंगे।

रोजगार की दिक्कत

द मूकनायक को मोहनलालगंज क्षेत्र के सैदापुर ग्राम पंचायत निवासी व ग्राम प्रधान छत्रपाल रावत ने बताया कि क्षेत्र में शहरीकरण तेजी से हो रहा है निजी बिल्डरों ने जमीन की कीमतें बढ़ा दी। गांव के ही छात्र रवि रावत के अनुसार क्षेत्र में एक भी सरकारी डिग्री कॉलेज नहीं होना यहां का बड़ा मुद्दा है। मजदूरी कर जीवनयापन करने वाले अखिलेश व व्यापारी सूरज के अनुसार रोजगार के लिए अभी भी लोगों को परेशान होना पड़ रहा है।

ग्राम प्रधान छत्रपाल रावत.
ग्राम प्रधान छत्रपाल रावत.

लोकसभा सीट का जातीय समीकरण

मोहनलालगंज के न केवल समीकरण अलग है, मिजाज और अंदाज भी अलग है 35.78 फीसदी दलित आबादी वाली यह सीट 1962 में अस्तित्व में आने के बाद से अब तक अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है। मोहनलालगंज लोकसभा सीट पर करीब 27 लाख वोटर्स हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो इस सीट पर पासी अनुसूजित जाति के वोटर्स का बोलबाला है. इस वर्ग के मतदाता जिस ओर पलट जाते हैं, चुनाव का रिजल्ट भी उसी ओर झुक जाता है. 

कौशल किशोर, आरके चौधरी व मनोज प्रधान क्रमशः।
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