दिल्ली: कौन हैं मल्लिकार्जुन खडगे जिनका नाम प्रधानमंत्री उम्मीदवार के लिए किया गया प्रस्तावित!

सूत्रों के अनुसार टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने इंडिया गठबंधन की ओर से प्रधानमंत्री पद के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के नाम का सुझाव दिया है।
मल्लिकार्जुन खडगे
मल्लिकार्जुन खडगेफोटो साभार- इंटरनेट

नई दिल्ली। इंडिया गठबंधन की बहुप्रतीक्षित बैठक आखिरकार नई दिल्ली में खत्म हो गई है। बताया जा रहा था कि इस बैठक में सीट शेयरिंग और 2024 के लिए प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी पर चर्चा होगी। सूत्रों का कहना है कि टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने इंडिया गठबंधन की ओर से प्रधानमंत्री पद के लिए एक नाम का सुझाव भी दिया है। वह नाम है कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का। आप चीफ अरविंद केजरीवाल ने भी इसका समर्थन किया है। बता दें कि इससे पहले चर्चा यह भी थी कि ममता बनर्जी खुद को ही विपक्षी गठबंधन के पीएम फेस के लिए प्रस्तावित कर सकती हैं।

दिल्ली में कार्यरत वरिष्ठ पत्रकार शादाब अहमद ने बताया कि ममता बनर्जी ने इंडिया गठबंधन के संयोजक के लिए भी मल्लिकार्जुन खरगे का ही नाम आगे बढ़ाया है। वहीं आम आदमी पार्टी के चीफ अरविंद केजरीवाल ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया। यह इंडिया गठबंधन की चौथी बैठक थी, जिसे दिल्ली के अशोका होटल में आयोजित किया गया था। गठबंधन के संयोजक पद के लिए अभी किसी का चयन नहीं किया गया है।

उन्होंने आगे बताया कि इस बार दलित नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की चर्चा प्रधानमंत्री के चेहरे के तौर पर सबसे अधिक है। उन्हें गांधी परिवार के साथ-साथ बाकी लोगों का भी समर्थन मिला है।

कौन है मल्लिकार्जुन खड़गे?

खड़गे का जन्म 21 जुलाई 1942 को मैसूर राज्य (अब कर्नाटक) का वरवट्टी गांव में हुआ था। तब वहां निजाम की हुकूमत थी। उनके जन्म के बाद ही देश आजाद हुआ। जिस वक्त देश भारत पाकिस्तान का बंटवारा हुआ उस वक्त इनके गांव में भी दंगे हुए। जिसमें पूरे गांव में आग लगा दी गई थी। इस आग से बचाते हुए इनके पिता इन्हें दूर जंगल में ले गए। जहां कई महीनों तक रहने के बाद शहर आए, जहां उन्होंने खड़गे को मजदूरी में न लगाकर स्कूल में भर्ती कराया। ताकि वह पढ़ लिखकर कुछ अच्छा काम कर सकें। इनकी आरंभिक पढ़ाई गुलबर्गा के स्कूल में हुई। मल्लिकार्जुन पढ़ने में होनहार और कबड्डी के अच्छे खिलाड़ी थे। खबरों के अनुसार अगर खड़गे राजनीति में नहीं आते तो वह कबड्डी के खिलाड़ी होते क्योंकि स्कूल के स्तर पर उन्होंने कई पुरस्कार जीते थे।

शहर के पहले दलित वकील बने

कक्षा 12वीं उन्होंने नूतन स्कूल में पढ़ाई की। उसके बाद गवर्नमेंट कॉलेज से ग्रेजुएशन की और गुलबर्गा के सेठ शंकरलाल लाहोटी लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री प्राप्त की। जिसके बाद खड़गे गुलबर्गा के पहले दलित वकील बने। वकील बनने के बाद उन्होंने गरीब लोगों का मुफ्त में केस लड़ा, ताकि कोई न्याय से वंचित नहीं रह जाए।

राजनीति का सफर

मल्लिकार्जुन का राजनीति का सफर कर्मचारी यूनियन लीडर से शुरू हुआ। जहां उन्होंने कई गरीब मजदूरों की बिना पैसे के केस लड़ा। जिसके कारण यह पूरे शहर में कुछ दिनों में बहुत प्रसिद्ध हो गए, खासकर दलितों में। यहीं से कांग्रेस नेताओं की नजर उन पर पड़ी। साल 1970 में उन्हें कांग्रेस का डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट बनाया गया। साल 1972 में पहली बार गुरमिटकल विधानसभा सीट से मैदान में उतरे और फतह कर दिखाया। इसके बाद वह लगातार राजनीति में सक्रिय रहे है। उनकी इतनी ख्याति कभी नहीं थी। साल 2014 के बाद देश के सभी लोग मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम से परिचित हुए। मोदी लहर के दौरान लोकसभा चुनाव 2014 में कांग्रेस की करारी हार के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे को विपक्ष का नेता चुना गया। इस समय कांग्रेस में 543 में से मात्र 44 सीटों पर जीत हासिल की थी।

बौद्ध धर्म के अनुयायी अंबेडकरवादी नेता

मल्लिकार्जुन खड़गे अंबेडकरवादी नेता हैं। बौद्ध धर्म के अनुयायी भी हैं। डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों और बुद्ध की शिक्षा को लोगों तक पहुंचाने के लिए इन्होंने गुलबर्गा के बाहरी इलाके में बुद्ध विहार बनवाया है। इसके साथ ही खड़गे सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं।

कांग्रेस पार्टी के दूसरे दलित अध्यक्ष

कांग्रेस पार्टी पर आजादी के बाद से नेहरू-गांधी परिवार के सदस्यों का दबदबा सबसे ज्यादा रहा है। अब तक 18 सदस्य कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष रह चुके हैं। जिसमें पांच नेहरू गांधी परिवार से और 13 पार्टी के सदस्य रहे हैं। इनमें सोनिया गांधी पिछले काफी लम्बे समय तक कांग्रेस की अध्यक्ष रही थीं। बाबू जगजीवन राम 1970 में अध्यक्ष बने थे। खडगे कांग्रेस के दूसरे दलित अध्यक्ष बनाए गए हैं।

कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष पद चुनाव में डॉ. शशि थरूर को हराया

अक्टूबर 2022 में वरिष्ठ दलित नेता व सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे। खड़गे ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी शशि थरूर को बड़े अंतर से चुनाव हराया था। मल्लिकार्जुन खड़गे को 7897 वोट मिले थें, जबकि शशि थरूर को 1072 वोट मिले थे। 52 साल के बाद कोई दलित नेता कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष निर्वाचित हुआ था। वहीं 24 साल के बाद कोई गैर गांधी परिवार से पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया था।

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