क्या UP दलितों के लिए सबसे असुरक्षित राज्य बन गया है? NCRB के चिंताजनक नए आँकड़े और अखिलेश यादव के 10 सवाल

समाजवादी पार्टी प्रमुख ने NCRB 2023 के आँकड़े साझा कर प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर उठाए गंभीर सवाल, सरकार को बताया 'पीड़ा भरी आँख' से देखने की दी सलाह।
UP ranks No. 1 in crimes against Dalits.
लितों पर अपराध में UP नंबर 1? NCRB डेटा पर अखिलेश यादव ने सरकार को घेराफोटो साभार- @yadavakhilesh / X
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नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राज्य में दलितों के खिलाफ हो रहे अपराधों को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार पर तीखा हमला बोला है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) 2023 की रिपोर्ट के आंकड़ों का हवाला देते हुए, उन्होंने दावा किया कि उत्तर प्रदेश दलितों पर अत्याचार के मामले में देश में पहले स्थान पर है।

गुरुवार, 2 अक्टूबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा करते हुए अखिलेश यादव ने एक ग्राफिक्स जारी किया। इस ग्राफ के अनुसार, NCRB रिपोर्ट 2023 के मुताबिक उत्तर प्रदेश में दलितों के खिलाफ अपराध के 15,130 मामले दर्ज हुए। तुलनात्मक रूप से, इस सूची में दूसरे स्थान पर राजस्थान है जहाँ 8,449 मामले दर्ज हुए और तीसरे स्थान पर मध्य प्रदेश है जहाँ 8,232 मामले सामने आए।

अपने पोस्ट में अखिलेश यादव ने लिखा, "एक आँकड़ा ये भी है! भाजपा सरकार के काम को सिर्फ़ पक्षपात के चश्मे से नहीं, पीड़ा भरी आँख से भी देखा जाए। उप्र में दलित दमन चरम पर है।"

सरकार पर तंज कसते हुए उन्होंने सिलसिलेवार ढंग से कई मांगें भी रखीं। उन्होंने लिखा:

  • एक टीवी शो इस आँकड़े पर भी होना चाहिए।

  • एक होर्डिंग इस सच का भी लगना चाहिए।

  • एक विस्तृत रिपोर्ट इस पर भी समाचार के रूप में प्रकाशित-प्रसारित होनी चाहिए।

  • एक एसआईटी इसकी विवेचना के लिए भी बननी चाहिए।

  • एक अध्याय इसके लिए भी, पाठ्यक्रम में जोड़ा जाए।

  • एक जाँच आयोग इसके लिए भी बैठाया जाए।

  • एक विशेष वाहिनी, दलित-दमन के उन्मूलन के लिए भी बनाई जाए।

  • एक श्वेतपत्र इस काले अपराध पर भी आना चाहिए।

  • एक रोड शो इस समस्या के बारे में भी जागरूकता फैलाने के लिए निकाला जाए।

  • एक ‘पाँच हज़ार वर्षीय’ आयोजन, इस ऐतिहासिक उत्पीड़न की ‘पंच सहस्राब्दी’ के रूप में, चेतना जगाने के लिए भी आयोजित किया जाए।

अखिलेश यादव का यह पोस्ट राज्य में कानून-व्यवस्था, विशेषकर दलित समुदाय की सुरक्षा को लेकर एक बड़ी राजनीतिक बहस छेड़ सकता है। विपक्ष लगातार सरकार पर दलितों और कमजोर वर्गों की सुरक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाता रहा है। इन नए आंकड़ों ने विपक्ष को सरकार को घेरने का एक और मौका दे दिया है। फिलहाल, इस मामले पर राज्य सरकार की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

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