“मेरा बेटा बहुत रहम दिल इंसान है, वह दंगे नहीं भड़का सकता, यह सारी झूठी कहानियां हैं” — उमर खालिद की मां

उमर खालिद की मां ने कहा, मेरा बेटा दंगे नहीं भड़का सकता, यह सारी झूठी कहानियां हैं
उमर खालिद की मां ने कहा, मेरा बेटा दंगे नहीं भड़का सकता, यह सारी झूठी कहानियां हैं

नई दिल्ली। देश की न्याय व्यवस्था से परेशान लोगों के लिए वेल्फेयर पार्टी ऑफ इंडिया ने पीपल्स ट्रिब्यूनल ऑन पॉलिटिकल प्रिज्नर के नाम से एक कार्यक्रम का आयोजन गत बुधवार को दिल्ली में किया। जिसमें न्यायलय से न्याय की उम्मीद में जेल में अपना जीवन काट रहे लोगों के परिवार वालों ने प्रेस के सामने अपने दुख को प्रकट किया। इस क्रार्यक्रम में नौ ज्यूरी मेम्बर थे। जिसमें सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण और डीयू के प्रोफेसर पूर्वानंद भी शामिल थे। इसके साथ ही बंबई हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एस.एस पारकर भी थे। यह कार्यक्रम दो भागों में संचालित हुआ, जिसमें, प्रथम सत्र में ज्यूरी ने अपनी बात रखी। उसके बाद दूसरे सत्र में जेलों में बंद लोगों के परिवार वालों ने अपना दर्द बयां किया।

देश में न्याय व्यवस्था खत्म हो गई है

जेलों में बंद लोगों के बारे मे बात करते हुए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि देश की मौजूदा स्थिति में कानून तो पूरी तरह से खत्म कर दिया जा रहा है। अब समय आ गया है कि जनता स्वयं अपने घरों से बाहर निकले और न्याय की लड़ाई लड़ें।

दूसरे सत्र में उमर खालिद की मां डॉ. साबिहा खालिद ने कहा कि मेरा बेटा बहुत रहम दिल है। वह कभी ऐसी हरकत नहीं कर सकता है। वह तो उन लोगों में शामिल है जो कभी भी कहीं लड़ाई देखता था मुझे कहता था "मम्मी चलो लड़ाई छुड़ा देते हैं नहीं तो वह उन्हें मारेंगें"। उन्होंने आगे कहा, "मेरा बेटा जब ऐसा था तो मैं कैसा मान लूं कि वह दंगे भड़का सकता है। वह तो जानवरों से इतना प्यार करता है। जब वह जानवरों से इतना प्यार करता है तो इंसानों से कितना करता होगा?"

वह बताती है कि, मेरा बेटा कभी विदेश नहीं जाना चाहता है। वह कहता है कि भारत में रहकर ही लोगों पर हो रहे जुल्म के खिलाफ आवाज उठाउंगा। उमर खालिद की कोर्ट मे पेशी पर वह कहती हैं कि, "वहां जब पेशी होती है तो लगता है कि कोर्ट में कोई कहानी पेश की गई है। जिसमें सिर्फ झूठ है, झूठ है। मैं एक मां हूं। मैं हमेशा बस यही सोचती हूं कि वह कैसे रहता होगा। क्या उसके रहने के लिए अच्छी जगह मिली है की नहीं। मौसम बदलता है तो हम उसी स्थिति के अनुसार घरों में सारी चीजों का इंतजाम कर लेते हैं। लेकिन पता नहीं मेरा बेटा कैसे रहता होगा। मेरी इतनी चिंता के बाद भी मेरा बेटा बहुत हिम्मती है। जब भी वह मिलता है तो एक ही बात कहता है कि मैं ठीक हूं।"

इस सत्र में प्रोफेसर हनी बाबू और खालिद सैफी के परिजन भी शामिल थे। वहीं जामिया की शोधार्थी सफूरा जरगर ने अपनी बात रखते हुए कहा कि मौजूदा समय में देश की जो स्थिति है। उससे यह साफ हो गया है कि आप सरकार के खिलाफ कुछ नहीं बोल सकते हैं और अगर आपने हुकूमत के खिलाफ कुछ बोला तो वह आपको ऐसे ही परेशान करेगी जैसे हमें किया जा रहा है।

कार्यक्रम में प्रो अपूर्वानंद, तपन बोस, गायत्री सिंह, सैय्यद हमीद, जफरूल इस्लाम खान सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।

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