मुंबई- मुगल शासक औरंगजेब की कब्र हटाने को लेकर महाराष्ट्र में माहौल गरमा गया है।
ख़ुल्दाबाद शहर छत्रपति संभाजीनगर (पहले औरंगाबाद) से 25 किलोमीटर दूर स्थित है, औरंगज़ेब का मज़ार इसी शहर में स्थित है। आजकल औरंगज़ेब के मज़ार को ध्वस्त करने की मांग ज़ोर पकड़ रही है। विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ता कब्र हटाने को लेकर प्रदर्शन करने का ऐलान कर चुके हैं। इसे लेकर छत्रपति संभाजीनगर के खुल्दाबाद में बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनात की गई है।
विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल की ओर से औरंगजेब के मकबरे को हटाने की मांग पर मकबरे के केयरटेकर फिरोज अहमद कबीर अहमद ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बातचीत की। उन्होंने कहा कि औरंगजेब के मकबरे को लेकर सोशल मीडिया के माध्यम से माहौल खराब करने की कोशिश की जा रही है।
इस दौरान सरकार के हस्तक्षेप की जरूरत है। चूंकि औरंगजेब ने भारत पर 50 साल तक शासन किया, इसलिए अधिकारियों को स्थिति पर नियंत्रण करना चाहिए। नेताओं की ओर से लगातार ऐसे बयान सामने आ रहे हैं, जिससे माहौल खराब किया जा रहा है। जो लोग माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
शेख सादिक ने बताया कि औरंगजेब की कब्र को देखने के लिए काफी संख्या में टूरिस्ट आते थे। लेकिन, मौजूदा समय में ऐसा माहौल बना दिया गया है कि यहां पर टूरिस्ट नहीं आ रहा है। जिससे टूरिज्म को काफी नुकसान हुआ है। यहां पर दुकानदारों की दुकानदारी चौपट हो गई है। सरकार को चाहिए कि पूरे मामले को देखे, जो लोग माहौल खराब करने की कोशिश करते हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
बता दें कि विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने 15 मार्च को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट किया। विनोद बंसल ने पोस्ट में लिखा, "17 मार्च को छत्रपति शिवाजी महाराज की पावन जयंती है। उन्होंने हिंदवी स्वराज्य व उसकी रक्षा हेतु अपनी तीन पीढ़ियां लगा दीं और आतंकी मुगलों को नाकों चने चबवा दिए। देश के स्व की पुन: स्थापना तथा पराधीनता के चिन्हों और पराधीन मानसिकता का पराभव अब होना ही चाहिए। औरंगजेब के बाद अब उसकी कब्र की समाप्ति का समय भी आ रहा है। विहिप व बजरंग दल के कार्यकर्ता उस दिन संपूर्ण महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र को हटाने हेतु प्रदर्शन कर स्थानीय जिलाधीश के माध्यम से सरकार को ज्ञापन देकर कहेंगे कि शिवाजी महाराज की पावन धरा से औरंगजेब की कब्र और औरंगजेबी मानसिकता का समूल नाश हो।
बता दें कि औरंगज़ेब की मृत्यु 1707 में अहिल्यानगर (तत्कालीन अहमदनगर) में हुई. उसके बाद उनका पार्थिव शरीर ख़ुल्दाबाद लाया गया. इतिहासकारों का कहना है कि औरंगज़ेब ने अपनी वसीयत में लिखा था कि उनकी मृत्यु के बाद उनकी कब्र उनके गुरु सैयद ज़ैनुद्दीन शिराजी की कब्र के बगल में हो.औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद उनके बेटे आजम शाह ने ख़ुल्दाबाद में उनकी कब्र बनवाई. औरंगज़ेब की कब्र ज़ैनुद्दीन शिराजी की कब्र के पास स्थित है, जिन्हें औरंगज़ेब अपना गुरु मानते थे.ऐसा कहा जाता है कि उस समय इस कब्र के निर्माण में 14 रुपये 12 आने की लागत आई थी.
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