
नई दिल्ली। केंद्र और गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट में यू टर्न लेते हुए कहा है कि 11 दोषियों को किस आधार पर रिहा किया गया इसके असली दस्तावेज वह कोर्ट के सामने पेश करेगी.
टाइम्स ऑफ इण्डिया में प्रकाशित खबर के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में अपने पुराने बयान से पलटते हुए अब केंद्र और राज्य सरकार कोर्ट के सामने वो दस्तावेज पेश करेगी, जिसके आधार पर बिलकिस बानो के रेप के दोषियों और उनके परिवार के सात लोगों की हत्या करने वालों को रिहा करने का फैसला लिया गया ताकि कोर्ट इस मामले की सुनवाई आगे बढ़ा सके.
इससे पहले जब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कोर्ट में इस मामले की फाइल पेश करने को कहा था तो 18 अप्रैल को सरकार ने जवाब दिया था कि विशेषाधिकार के चलते वो इस मामले की फाइल कोर्ट के सामने पेश नहीं करना चाहती और सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली बिलकिस बानो की इस याचिका पर सुनवाई स्थगित की जाए.
इस मामले की सुनवाई आगे नहीं बढ़ सकी है क्योंकि इसके एक दोषी को कोर्ट का नोटिस नहीं मिला है और बाकी दोषियों ने सुनवाई को टालने की अपील की है. इस केस में 27 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया था.
उच्चतम न्यायालय ने गत मंगलवार को रिहाई के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करने के लिए 9 मई की तारीख दी है। कोर्ट ने बचाव पक्ष के वकील को जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगने पर सुनवाई की तिथि आगे बढ़ा दी। वहीं दोनों पक्ष के वकीलों को अपना-अपना जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के रिहाई संबंधी दस्तावेज मांगने के आदेश पर गुजरात और केंद्र सरकार पुनर्विचार की मांग नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि वो पुनर्विचार दाखिल नहीं कर रहे हैं। वो रिहाई संबंधी फाइलें पेश करेंगे।
गुजरात सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बिलकिस पीड़िता हैं, लेकिन बाकी याचिका कर्ता तीसरा पक्ष हैं. इसलिए उनकी जनहित याचिकाएं खारिज की जाएं, नहीं तो ये एक बुरी मिसाल होगी। उन्होंने कहा कि हमें बिलकिस की याचिका पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन जनहित याचिकाओं पर सुनवाई ना हो। इसे लेकर जस्टिस जोसेफ ने कहा कि हम फिलहाल बिलकिस के दोषियों की रिहाई के मामले में सुनवाई कर रहे हैं, जनहित याचिकाओं के सुनवाई योग्य होने पर बाद में तय करेंगे।
गुजरात सरकार के लिए सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इस मामले में आपराधिक मामलों में तीसरे पक्ष का कोई अधिकार नहीं है। सुभाषिनी अली और महुआ मोइत्रा द्वारा दायर याचिकाएं खारिज की जाएं। इस पर जस्टिस के एम जोसेफ ने कहा कि पीड़िता खुद यहां है, हम उसे पहले सुन सकते हैं।
पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट में गुजरात सरकार ने रिहाई से जुड़ी फाइल दिखाने का आदेश का विरोध किया था। जस्टिस केम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की बेंच ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा था कि सेब की तुलना संतरे से नहीं की जा सकती। इसी तरह नरसंहार की तुलना एक हत्या से नहीं की जा सकती। जस्टिस केम जोसेफ ने साथ ही कहा था कि अभी बिलकिस बानो है। कल आप और मुझमें से कोई भी हो सकता है।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार द्वारा फाइलें पेश नहीं करने पर नाराजगी व्यक्त की थी। सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस मामले में दोषियों को छूट देने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं के निस्तारण के लिए 2 मई की तारीख मुकर्रर की थी। कोर्ट ने सभी दोषियों से जवाब दाखिल करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट में इसके पहले 28 मार्च को गुजरात सरकार से दोषियों की रिहाई से जुड़े तमाम फाइलें पेश करने को कहा था।
साल 2002 में हुए गोधरा कांड के दौरान बिलकिस बानो से रेप किया गया था और उसके परिवार के लोगों की हत्या कर दी गई थी, लेकिन 15 अगस्त 2022 को गुजरात हाईकोर्ट ने दोषियों को समय से पहले ही रिहा कर दिया था। जिसके बाद बानो ने 30 नवंबर 2022 को इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए याचिका दायर की थी।
बिलकिस बानो ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की थीं। पहली याचिका में 11 दोषियों की रिहाई वाले फैसले का विरोध कर उन्हें दोबारा जेल भेजने की मांग की गई थी। वहीं, दूसरी याचिका में दोषियों की रिहाई पर गुजरात सरकार के फैसला करने पर आपत्ति जताई गई थी।
बिलकिस मामले में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के दखल के बाद सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को राजी हुआ था। केस के लिए सीजेआई ने स्पेशल बेंच बनाई थी। जस्टिस केएम जोसेफ के साथ जस्टिस बीवी नागरत्ना मामले की सुनवाई कर रही हैं। जस्टिस जोसेफ केस को अंजाम तक पहुंचाने के लिए किस कदर संजीदा थे कि उन्होंने गर्मी की छुट्टियों में भी सुनवाई के लिए हामी भरी थी। वो 16 जून को रिटायर हो रहे हैं। 19 जून उनका आखिरी कार्यदिवस होगा। इसी वजह से उन्होंने कहा था कि वो अवकाश के दौरान भी सुनवाई कर सकते हैं। लेकिन सॉलीसिटर जनरल और दोषियों को वकील उनकी इस बात से सहमत नहीं दिखे।
गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आगजनी की घटना के बाद दंगे हो गए थे। इस दौरान 2002 में बिलकिस के साथ गैंगरेप किया गया था। उनके परिवार के 7 लोगों की हत्या कर दी गई थी। इसमें कोर्ट ने 21 जनवरी 2008 को 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके बाद से सभी 11 दोषी जेल में बंद थे लेकिन पिछले साल 15 अगस्त को सभी को रिहा कर दिया गया इसी को कोर्ट में चुनौती दी गई है।
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