बदायूं : नीलकंठ महादेव मंदिर या जामा मस्जिद! फास्ट ट्रैक कोर्ट में 3 दिसंबर को अगली सुनवाई

हिंदूवादी नेता मुकेश पटेल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि कोर्ट में जामा मस्जिद और नीलकंठ महादेव मंदिर से संबंधित केस चल रहा है।
बदायूं : नीलकंठ महादेव मंदिर या जामा मस्जिद! फास्ट ट्रैक कोर्ट में 3 दिसंबर को अगली सुनवाई
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बदायूं- बदायूं में जामा मस्जिद बनाम नीलकंठ महादेव मंदिर मामले में शनिवार को फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट में इंतजामिया कमेटी की तरफ से पक्ष रखा गया। इस मामले में अगली सुनवाई 3 दिसंबर को होगी। बदायूं की जामा मस्जिद पर बदायूं के ही रहने वाले हिंदूवादी नेता मुकेश पटेल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि कोर्ट में जामा मस्जिद और नीलकंठ महादेव मंदिर से संबंधित केस चल रहा है।

पिछली सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने अपनी तरफ से रिपोर्ट लगा दी है। आज इंतजामिया कमेटी की ओर से बहस की गई और उन्होंने अपनी बात रखी। अगली सुनवाई 3 दिसंबर को होगी, उस दिन और बहस की जाएगी।

इसके बाद अखिल भारतीय हिंदू महासभा भी अपना पक्ष रखेगी। मुस्लिम पक्ष की ओर से कोर्ट में क्या कहा गया, इस पर उन्होंने कहा कि वे अपनी ओर से बात रख रहे हैं। उनका कहना है कि हिंदू महासभा को इस मामले में अधिकार नहीं है। हम भी अपना पक्ष मजबूती के साथ रख रहे हैं। हम सभी सबूतों के साथ कोर्ट में हैं। हमें सरकार, बदायूं कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट पर पूरा विश्वास है। हमें यकीन है कि हमें न्याय मिलेगा।

वादी पक्ष के वकील विवेक रेंडर ने पत्रकारों से कहा कि कोर्ट की ओर से हमारा दावा पहले स्वीकार किया जा चुका है। हमारे दावे पर विचार किया जा चुका है। सरकार का कहना है कि यह प्रॉपर्टी पुरातत्व विभाग की है। उससे जामा मस्जिद का कोई लेना देना नहीं है। बदायूं जामा मस्जिद की इंतजामिया कमेटी के अधिवक्ता ने पत्रकारों से बात करते हुए कोर्ट में इंतजामिया कमेटी की बहस पर बयान दिया।

उन्होंने पत्रकारों के सवाल के जवाब में कहा कि कोर्ट में नए जज आए हैं। इनके यहां मामले में बहस दोबारा शुरू हुई। हमने आवेदन दिया है कि यह मुकदमा सुनवाई के योग्य नहीं है और इसको खारिज किया जाना चाहिए। यह पूजा स्थल अधिनियम के खिलाफ है। इस तरह के मुकदमों से माहौल खराब होता है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कोर्ट ने थोड़ी सी बहस सुनी और आगे की बहस के लिए 3 दिसंबर की तारीख निर्धारित की है, ताकि उस दिन और बहस की जा सके।

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